UP Elections: समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) मैनपुरी (Mainpuri) की करहल विधानसभा सीट (Karhal assembly seat) से चुनाव लड़ने वाले हैं. ये पहला मौका है जब अखिलेश यादव विधानसभा चुनाव लड़ेंगे. पिता मुलायम सिंह यादव की कर्मभूमि मैनपुरी की करहल सीट से अखिलेश यादव ने चुनाव लड़ने का एलान किया है. इस एलान के बाद करहल के लोग क्या सोचते हैं? अखिलेश के लिए करहल में क्या माहौल है इसको देखने के लिए एबीपी न्यूज की टीम ग्राउंड पर पहुंची और देखा कि अधिकतर लोग अखिलेश और समाजवादी पार्टी के साथ खड़े हैं.


दरअसल, मैनपुरी जिला मुख्यालय से करीब 35 किमोमीटर दूर मुलायम के गृह जिले इटावा के करीब है करहल विधानसभा क्षेत्र. अखिलेश की सरकार में बनाई गई आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे भी इस करहल इलाके के बीच से गुजरती है. इटावा हो या मैनपुरी दोनों ही समाजवादियों का गढ़ है और लिहाजा मैनपुरी के करहल में विकास का काम भी खूब दिखता है. यहां शिक्षा के क्षेत्र की हालत ठीक ठाक कही जा सकती है क्योंकि 30 के करीब कॉलेज हैं. 


नेताजी ने शुरुआती पढ़ाई लिखाई मैनपुरी में हुई


बता दें, मैनपुरी के करहल से नेताजी ने शुरुआती पढ़ाई लिखाई की और जिस जैन इंटर कॉलेज से वो पढ़े-लिखे बाद में वहीं शिक्षक बन गए. जब नेतागीरी करने लगे तो मैनपुरी नेताजी का कर्मभूमि बनी. वहीं अब बेटे अखिलेश यादव ने मैनपुरी में कदम रखा है. ऐसे में करहल सीट से अखिलेश के चुनाव लड़ने को लेकर इलाके के लोगों की क्या राय है ये समझना महत्वपूर्ण है. इसी करहल क्षेत्र के रहने वाले नत्थू सिंह यादव ने मुलायम सिंह यादव को राजनीति में लाने का काम किया. नत्थू सिंह के बेटे और पूर्व मंत्री सुभाष यादव कहते हैं कि करहल इतना विकास हो चुका है कि अखिलेश से कोई डिमांड ही नहीं है. सुभाष यादव कहते हैं कि अखिलेश बस सिर्फ नामांकर भर दें बाकी चुनाव जिताने का काम यहां की जनता यहां के युवा कर देंगे. यही भाव करहल के मुख्य बाजार में भी देखने को मिला. 


आइये जानते हैं आखिर क्यों है अखिलेश और समाजवादी पार्टी की जयजयकार


करहल विधानसभा सीट पर कुल वोटर 3 लाख 71 हज़ार के करीब हैं. इसमें 1 लाख 44 हज़ार यादव, 34 हज़ार शाक्य, 25 हज़ार राजपूत, 33 हज़ार जाटव, 16 हज़ार पाल, 14 हज़ार ब्राह्मण,14 हज़ार मुस्लिम और 10 हज़ार लोधी वोटर हैं. माना जा रहा है कि अखिलेश यादव ने 2 वजहों से करहल को अपनी कर्मभूमि बनाने का फ़ैसला किया है. पहली वजह ये कि सपा का गढ़ होने की वजह से उन्हें सिर्फ नामांकन करने की ज़रूरत है, चुनाव प्रचार के लिए उन्हें करहल की गलियों में घूमने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी. ऐसे में वो पूरे प्रदेश में आसानी से पार्टी के लिए प्रचार कर सकते हैं. दूसरी वजह ये है कि मैनपुरी से लड़कर वो अवध के अलावा पश्चिमी यूपी में असर डाल सकते हैं. ऐसे में पूर्वांचल में उनकी पार्टी को लेकर सर्वे बता रहे हैं कि वो बीजेपी को टक्कर दे रहे हैं. यानी अखिलेश के मैनपुरी आने से अवैध और पश्चिमी यूपी को भी वो साधने की कोशिश कर सकते हैं.


यह भी पढ़ें.


Delhi-NCR Weather News: दिल्ली-एनसीआर में बढ़ेगी ठिठुरन, आज और कल हो सकती है बारिश


Mumbai Corona News: मुंबई में फिलहाल 29 बिल्डिंग्स सील, जानें कितनी है एक्टिव कंटेनमेंट जोन की संख्या?