UP Elections 2022: देश के सबसे ज्यादा आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश में अगले साल विधानसभा के चुनाव होने हैं. राज्य में बीजेपी, कांग्रेस और समाजवादी पार्टी पूरी ताकत से चुनाव प्रचार में जुटी हुई हैं. खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक के बाद एक ताबड़तोड़ दौरे कर रहे हैं, लेकिन बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख और चार बार राज्य की मुख्यमंत्री रहीं मायावती कहीं प्रचार के लिए जोर लगाती दिख नहीं रही हैं. आखिर मायावती कहां हैं? इस चुनाव में उनकी या उनके नेताओं की ज्यादा दिलचस्पी क्यों नहीं दिख रही?
चुनाव की तारीखों के एलान के बाद प्रचार शुरू करेंगी मायावती?
बीजेपी और सपा का चुनाव प्रचार ज़ोर शोर से चल रहा है. बीजेपी की तरफ से पीएम मोदी, अमित शाह से लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ लगातार दौरे पर हैं. सपा की ओर से अध्यक्ष और पूर्व सीएम अखिलेश यादव भी विजय रथ यात्रा पर निकल चुके हैं. मायावती अब तक चुनाव प्रचार पर नहीं निकल पाई हैं. इसके जवाब में पार्टी नेताओं का कहना है कि वह चुनाव की तारीख़ों के एलान के बाद ही प्रचार शुरू करेंगी. उससे पहले वे सारा होम वर्क कर लेना चाहती हैं. उन्होंने अपने नेताओं को बूथ मज़बूत करने को कहा है.
मायावती की चुनाव प्रचार से दूरी पर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी भी तंज कस चुकी हैं. प्रियंका गांधी ने कहा, ''उत्तर प्रदेश में जितने भी विपक्षी दल हैं, किसी ने आंदोलन नहीं किया और कोई सड़क पर नहीं निकला. किसी ने जनता के मुद्दे नहीं उठाए. मेरी समझ में नहीं आता कि मायावती जी चुप क्यों हैं? राज्य में इतना अपराध हो रहा है, लेकिन वह कुछ भी नहीं बोल रहीं. सिर्फ कांग्रेस लड़ रही है.''
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मायावती ने किया यूपी में बसपा की सरकार बनने का दावा
बसपा सुप्रीमो मायावती चुनाव प्रचार से नदारद हैं. हालांकि कल वह एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में दिखीं. मौका पार्टी नेताओं को जीत का मंत्र देने का था. बड़ी बात यह है कि चुनाव प्रचार में पार्टी की निष्क्रियता के बावजूद उन्होंने मीडिया के सामने अगले साल बसपा की सरकार बनाने का दावा कर दिया. मायावती ने लखनऊ में पार्टी ऑफिस में यूपी के सभी मंडल कोऑर्डिनेटर और सेक्टर प्रभारियों की बैठक बुलाई थी. इसमें तय हुआ कि जल्द से जल्द सभी उम्मीदवारों का नाम फ़ाइनल कर लिया जाए. बीएसपी ने इस बार अकेले ही विधानसभा की सभी 403 सीटों पर चुनाव लड़ने का मन बनाया है.
साल 2012 में मायावती यूपी की सत्ता से बेदखल हुई थीं और अब दस साल बाद वापसी का दावा कर रही हैं, लेकिन इस दावे में दम इसलिए कम दिखता है, क्योंकि यूपी के तमाम सर्वे मायावती को कम आंक रहे हैं.
11 दिसंबर को एबीपी न्यूज के लिए सी वोटर ने जो सर्वे किया उसमें-
- बीजेपी+ को 212 से 224 सीट
- सपा+ को 151 से 163 सीट
- बीएसपी को 12 से 24
- कांग्रेस को 2 से 10
- और अन्य को 2 से 6 सीट मिलने का अनुमान जताया गया है.
सर्वे पर यकीन करें तो यूपी में मुकाबला सीधा आमने सामने का दिख रहा है. यानि मुकाबला सत्ताधारी बीजेपी और समाजवादी पार्टी के बीच है.
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जहां तक मुख्यमंत्री की पसंद का सवाल है तो 20 दिसंबर का सर्वे कहता है-
- योगी- 42 फीसदी लोगों की पसंद हैं
- अखिलेश- 35 फीसदी
- और मायावती 13 फीसदी लोगों की पसंद हैं.
कहने का मतलब ये कि मायावती सीएम की रेस में भी तीसरे नंबर पर हैं. क्या चुनाव प्रचार से मायावती की दूरी का एक कारण यही तो नहीं? साल 2014 के लोकसभा चुनाव में मायावती की पार्टी को करारी हार मिली थी. साल 2017 के विधानसभा चुनाव में भी हाल यही था और पार्टी को सिर्फ 19 सीटें जीतकर संतोष करना पड़ा. साल 2019 में जब उन्होंने दुश्मनी भूलाकर अखिलेश से गठबंधन किया तो बेहतर स्थिति में लौटी थीं, लेकिन अब अखिलेश साथ नहीं हैं और मायावती को अपनी सोशल इंजीनियरिंग के भरोसे लड़ना है. राजनीति के जानकार बताते हैं कि मायावती चुनावों की तारीख घोषित हो जाने के बाद ही प्रचार में सक्रिय होती हैं. हालांकि मायावती अपनी चुनावी तैयारियां शुरू कर चुकी हैं. चुनाव के लिए बसपा ने इस बार एक फोल्डर जारी किया है. इसमें पहले ही बसपा की सरकारों में हुए काम का ब्यौरा दिया गया है. पार्टी का कहना है कि इस फोल्डर को सभी 403 विधानसभा सीटों के गांव-गावं में पहुंचाया जाएगा. पार्टी कार्यकर्ता लोगों को बताएंगे कि मायावती के मुख्यमंत्री बनने पर बसपा विकास और जनकल्याण के काम करेगी.