UP Assembly Elections 2022: उत्तर प्रदेश में 403 सदस्यीय विधानसभा के लिए चुनाव के दूसरे चरण में 55 सीटों पर 14 फरवरी को मतदान होगा. इनमें पश्चिमी उत्‍तर प्रदेश के सहारनपुर, बिजनौर, अमरोहा, संभल, मुरादाबाद, रामपुर के अलावा रुहेलखंड के बरेली, बदायूं, शाहजहांपुर जिलों के 55 विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं. दूसरे चरण में बीजेपी के लिए चुनौतियां पहले की अपेक्षा अधिक होंगी क्योंकि 55 सीटों में से ज्यादातर में मुस्लिम आबादी की बहुलता है. इन इलाकों में बरेलवी (बरेली) तथा देवबंद (सहारनपुर) के मुस्लिम धर्म गुरुओं का भी काफी प्रभाव माना जाता है.


2017 में इन 55 सीटों पर बीजेपी को मिली कड़ी चुनौती


साल 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में इस इलाके की 55 सीटों में से 38 सीटें बीजेपी को, 15 सीटें समाजवादी पार्टी (सपा) को और दो सीटें कांग्रेस को मिली थीं. पिछला विधानसभा चुनाव सपा और कांग्रेस ने मिलकर लड़ा था. सपा के खाते में आईं 15 सीटों में से 10 पर पार्टी के मुस्लिम उम्मीदवार जीते थे. जबकि पहले चरण की 58 सीटों में से बीजेपी ने 53 सीटें जीतीं और सपा बहुजन समाज पार्टी को दो-दो, राष्‍ट्रीय लोकदल को एक सीट ही मिली थी.




समाजवादी पार्टी ने 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ और 2019 के लोकसभा चुनाव में बीएसपी, राष्‍ट्रीय लोकदल के साथ गठबंधन किया. दोनों चुनावों में इन 55 सीटों पर बीजेपी के मुकाबले गठबंधन की सियासत को फायदा मिला. लेकिन, इस बार सपा, बसपा और कांग्रेस तीनों के अलग-अलग चुनाव मैदान में उतरने से राजनीतिक समीक्षकों का दावा है कि मतों का बिखराव होगा और बीजेपी को इसका फायदा मिल सकता है. बीएसपी ने भी इस इलाके में मुस्लिम उम्मीदवार उतारे हैं और अपनी सक्रियता भी बढ़ाई है.


मुस्लिम, जाट और दलित मतदाताओं के गठजोड़ का फॉमूला


2017 विधानसभा चुनाव में जहां सपा और कांग्रेस को कुल 17 सीटों पर जीत मिली, वहीं लोकसभा चुनाव में इस इलाके की 11 सीटों में से सात सीटें बसपा-सपा गठबंधन के हिस्‍से में आयीं. इनमें से चार सीटों (सहारनपुर, नगीना, बिजनौर और अमरोहा) पर बसपा जीती जबकि सपा को मुरादाबाद, संभल और रामपुर में तीन सीटों पर जीत मिली थी. इससे एक बात साफ है कि इस गढ़ में मुस्लिम, जाट और दलित मतदाताओं के गठजोड़ का फॉमूला कामयाब हुआ था.


2022 यूपी विधानसभा चुनाव का समीकरण


खैर, इस बार यूपी विधानसभा चुनाव में बीजेपी से इस्तीफा देकर सपा में आए स्वामी प्रसाद मौर्य, धर्म सिंह सैनी और महान दल के केशव देव मौर्य का समीकरण मजबूत साबित हो सकता है. बहरहाल, स्वामी प्रसाद की बेटी संघमित्रा मौर्य अभी बदायूं से बीजेपी की सांसद हैं और उन्होंने दल छोड़ा नहीं है. उधर, कांग्रेस भी अपनी जमीन मजबूत करने के लिए प्रयासरत है. बरेलवी मुसलमानों के धार्मिक गुरु और इत्तेहाद--मिल्लत काउंसिल (IMC) के अध्यक्ष मौलाना तौकीर रजा खां ने उत्तर प्रदेश और पंजाब समेत पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस प्रत्याशियों के समर्थन का ऐलान किया है.


उधर, आल इंडिया मजलिस--इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के नेता असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने भी इस अंचल की कुछ सीटों पर अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं. इस अंचल में पिछले साल कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आए और योगी सरकार में विज्ञान प्रौद्योगिकी मंत्री बने पंडित जितिन प्रसाद (Jitin Prasad) भी चुनावी कसौटी पर रहेंगे. शाहजहांपुर उनका गृह जिला है और ब्राह्मण नेता के रूप में बीजेपी ने उनको आगे किया है.


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