नई दिल्लीः कहने के लिए यूपी में एसपी बीएसपी गठबंधन का कांग्रेस से कोई लेना देना नहीं है. लेकिन अंदर ही अंदर खिचड़ी तो पक रही है. भले ही मामला बस दो चार सीटों का है. कुछ खास नेताओं को संसद तक पहुंचाने के लिए आपस में ही खेल कर लिया गया है. अमरोहा लोकसभा सीट का केस तो सबसे अनूठा है. कांग्रेस ने राशिद अल्वी को टिकट दिया था. इसी बीच जेडीएस के बड़े नेता दानिश अली हाथी पर सवार हो गए. बेंगलुरू से चल कर अचानक वे लखनऊ पहुंचे और बीएसपी में शामिल हो गए. जेडीएस के महासचिव और प्रवक्ता दानिश राजनीति में मैनेजमेंट गुरू माने जाते हैं. अपने इसी हुनर का इस्तेमाल करते हुए उन्होंने गेम कर दिया. कांग्रेस का उम्मीदवार ही बदलवा दिया. राशिद अल्वी के बदले सचिन चौधरी को टिकट मिल गया. पेशे से बिल्डर सचिन समाजवादी पार्टी में जुगाड़ भिड़ा रहे थे. राशिद अल्वी अमरोहा से लोकसभा के सांसद रह चुके हैं. अगर वे चुनावी मैदान में डटे रहते तो फिर मुस्लिम वोटों का बंटवारा हो जाता. ऐसे हालात में बीजेपी के सांसद और उम्मीदवार कँवर सिंह तंवर का रास्ता आसान हो जाता. फिर तो बेंगलुरू से अमरोहा चुनाव लड़ने आए दानिश को अपना बैग पैक करना पड़ता. इसीलिए कांग्रेस में अपने कनेक्शन से दानिश ने राशिद की जगह सचिन को टिकट दिलवा दिया.


ऐसा ही भाईचारा एसपी बीएसपी गठबंधन और कांग्रेस में कानपुर में भी है. श्रीप्रकाश जायसवाल यहां से कांग्रेस के उम्मीदवार हैं. वे यहां से पहले भी सांसद रह चुके हैं. साथ ही मनमोहन सिंह की सरकार में मंत्री भी थे. गठबंधन में ये सीट समाजवादी पार्टी के खाते में गई. कई नेता टिकट की जुगाड़ में थे. लेकिन जब अखिलेश यादव ने उम्मीदवार का एलान किया तो सब हैरान रह गए. पार्टी ने यहां से राम कुमार को टिकट दिया है. वे मुलायम सिंह यादव के पुराने मित्र मनोहरलाल के बेटे हैं. कानपुर शहर में बड़ी चर्चा है कि राम कुमार डमी कैंडिडेट हैं. उनके चुनावी मैदान में होने से बीजेपी के वोट कटेंगे. ऐसा होने पर कांग्रेस के श्रीप्रकाश जायसवाल की मदद हो जाएगी. राम कुमार मल्लाह बिरादरी के हैं. बीजेपी ने यहां से योगी सरकार में मंत्री सत्यदेव पचौरी को टिकट दिया है.


यूपी के पूर्वांचल में कुशीनगर में तो ग़ज़ब ही हो गया. कांग्रेस के बड़े नेता आर पी एन सिंह को यहां से टिकट मिला है. उनके मुक़ाबले बीजेपी ने मौजूदा सांसद राजेश पांडे का टिकट काट कर विजय दूबे को दिया है. आर पी एन चाहते थे कि गठबंधन से कोई कमजोर उम्मीदवार आए. पिछड़ी बिरादरी का हो तो और बढ़िया. समाजवादी पार्टी के बालेश्वर यादव यहां से टिकट की जुगाड़ में थे. उन्हें चुनाव लड़ने का भरोसा भी दिया गया था. 2004 में तो बालेश्वर यादव कुशीनगर से निर्दलीय सांसद भी रह चुके हैं. लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिला. समाजवादी पार्टी ने उनके बदले नथुनी कुशवाहा को टिकट दे दिया. अब कुशीनगर का सामाजिक समीकरण तो यही कहता है कि आर पी एन सिंह का माहौल ठीक है. वे भी मनमोहन सिंह की सरकार में मंत्री रह चुके हैं.


रामपुर में जयाप्रदा और आज़म खान के बीच मुक़ाबला है. यहां से कांग्रेस ने पूर्व विधायक संजय कपूर को टिकट दिया है. वैसे यहां से कांग्रेस से बेगम नूर बानो चुनाव लड़ती रही हैं. इस बार भी वे चुनाव लड़तीं तो फिर मुस्लिम वोट बंट जाते. फिर नुक़सान समाजवादी पार्टी के आज़म खान का होता. लेकिन कपूर के कारण बीजेपी की जयाप्रदा के परंपरागत वोट में सेंधमारी हो सकती है. आज़म खान के विरोध के बावजूद वे 2009 में लोकसभा का चुनाव जीत चुकी हैं.


रायबरेली में सोनिया गांधी और अमेठी में राहुल गांधी के ख़िलाफ़ गठबंधन ने उम्मीदवार नहीं दिया है. बदले में कांग्रेस ने भी मुलायम सिंह, अखिलेश यादव और उनकी पत्नी डिंपल के ख़िलाफ़ चुनाव न लड़ने का फैसला किया है.