Uttar Pradesh Assembly Election 2022: उत्तर प्रदेश में 'लड़की हूं लड़ सकती हूं' नारे के साथ चुनावी मैदान में उतरी कांग्रेस राजनीति में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए नए तरीके अपना रही है. प्रियंका गांधी इसी नारे के साथ यूपी की सड़कों पर धूल फांकती नजर आ रही हैं. हाल ही में 'लड़की हूं लड़ सकती हूं' मैराथन (Ladki Hoon Lad Sakti Hoon marathon) का भी कांग्रेस ने आयोजन किया. हर जगह प्रियंका गांधी का ये नारा गूंज रहा है. ऐसे में एक दिलचस्प सवाल का जवाब प्रियंका गांधी ने abp कार्यक्रम घोषणापत्र में दिया. उन्होंने बताया कि 'लड़की हूं, लड़ सकती हूं' का कॉन्सेप्ट कहां से आया.


इस सवाल के जवाब में प्रियंका गांधी ने कहा कि ये स्लोगन दो साल पहले ही बन गया था. इसके पीछे सोच की शुरुआत तब हुई, जब मैं उन्नाव की रेप पीड़िता के घर गई थी, वहां से इस स्लोगन की सोच आई. मैं उन्नाव रेप पीड़िता के घर गई थी, उनके परिवार से बात की. उनके परिवार से मिली तो मेरा नजरिया बदल गया. ऐसा कोई अत्याचार नहीं था, जो उसके (गैंगरेप पीड़िता) परिवार के साथ नहीं किया गया. बेटी का बलात्कार किया गया, उसे जलाकर मार डाला गया. उसकी बहनों को धमकाया. उसके पिताजी का खेत जला दिया गया. उसकी भाभी की 9 साल की बेटी थी उसको धमकी देकर उसका स्कूल जाना बंद करा दिया.


रेप पीड़िता की भाभी ही वहां चिल्ला चिल्ला कर कह रही थी कि मुझे न्याय चाहिए. उसके पिताजी ने कुछ नहीं कहा बस फूट-फूटकर रोने लगे. पिताजी ने कुछ देर बाद कहा कि मेरी बेटी अकेली लड़ रही थी? जब हम उससे पूछते थे कि क्या हम तुम्हारे साथ चलें. वो सुबह 6 बजे उठकर उन्नाव से रायबरेली अकेले जाती थी. ये जानते हुए भी कि कोई उसके पीछे आ सकता है, वो अपने पिताजी से कहती थी कि, ये मेरी लड़ाई है, मैं खुद लड़ूंगी. प्रियंका गांधी ने कहा कि ये लड़ाई मैंने हर जगह देखी है और फिर वहीं से इस नारे की सोच ने जन्म लिया.


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