उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर स्थिति साफ हो चुकी है. समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव को दोबारा सत्ता में लौटने के लिए एक बार फिर पांच साल इंतजार करना पड़ेगा. हालांकि समाजवादी पार्टी के लिए राहत की बात ये है कि उनका वोट शेयर पिछले चुनाव की अपेक्षा बढ़ा है. 2017 में सपा का वोट शेयर 21.8 प्रतिशत था जो इस बार 10 प्रतिशत के उछाल के साथ 31.8 प्रतिशत हो गया है. हालांकि अपने वोट शेयर में इजाफा करने के बावजूद सपा को पर्याप्त सीटें नहीं हासिल हुई हैं.
इस चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी ने साल 2012 में चुनाव जीता था. उस 29.12% वोट मिले थे. तब अखिलेश यादव ने 200 से अधिक सीटों पर जीत हासिल की थी. समाजवादी पार्टी का भले ही इस बार वोट शेयर पहले की अपेक्षा बढ़ा हो फिर भी बीजेपी को सत्ता से हटाने के लिए अर्याप्त है. वहीं भले ही इस बार बीजेपी की सीटें पिछले चुनाव की अपेक्षा घटी हैं लेकिन बीजेपी का भी वोट शेयर बढ़ा है.
छोटे पार्टियों के साथ गठबंधन नहीं आई काम
2017 के चुनाव में सपा ने कांग्रेस के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ा था लेकिन अखिलेश यादव की पार्टी को 50 से भी कम सीटें प्राप्त हुई. वहीं इस बार के चुनाव में अखिलेश यादव ने कई छोटी-छोटी पार्टियों के साथ गठबंधन किया जिसके परिणाम स्वरूप 2017 की 47 सीटों से बढ़कर 135 सीटों तक पहुंचे हैं.
अखिलेश यादव के नेतृत्व में ये सपा ने तीसरा चुनाव लड़ा. जिसमें सपा अपनी छाप छोड़ने में नाकाम हुई है. अब बीजेपी, अखिलेश यादव की नीतियों पर सवाल खड़े करने की पूरी कोशिश करेगी. 2019 के लोकसभा चुनाव सपा ने बसपा के साथ गठबंधन किया था लेकिन इसमें भी अखिलेश यादव बुरी तरह फेल हुए. अगर बात 2022 के चुनाव की करें तो छोटे दलों के साथ गठजोड़ और बीजेपी के बागी नेताओं ने सपा को जीत के मुकाम पर पहुंचाने में असफल रही है.
यूपी चुनाव में समाजवादी पार्टी का वोट शेयर
1993 के चुनाव में सपा का वोट शेयर 17.94 प्रतिशत, 1996 में 21.80 प्रतिशत, 2002 में 25.38 प्रतिशत, 2007 में 25.43 प्रतिशत, 2012 में 29.13 प्रतिशत और 2017 में 21.82 प्रतिशत वोट शेयर था.
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