Uttarakhand Assembly Election: उत्तराखंड में जैसे ही चुनावों का ऐलान हुआ, वैसे ही पार्टियों ने अपने मोहरे सेट करने शुरू कर दिए. समीकरण बैठाने की कवायद शुरू हो गई और जिताऊ उम्मीदवारों की सूची भी जारी कर दी गई. सूबे में वार-पलटवार का दौर जारी है. पहाड़ी राज्य की सत्ता किसे मिलेगी, ये तो 10 मार्च को पता चल ही जाएगा लेकिन उससे पहले हर कोई जानना चाहता है कि राज्य में किसने नाम की हवा बह रही है? किस क्षेत्र से कौन जीतेगा और किसको वनवास मिलेगा. 


इन सवालों का जवाब जानने के लिए एबीपी न्यूज लगातार 'ग्राउंड जीरो' पर है ताकि लोगों का मूड भांपा जा सके. एबीपी न्यूज लगातार लोगों से विभिन्न मुद्दों पर उनकी राय ले रहा है. एक सवाल लोगों से पूछा गया कि हरक सिंह के कांग्रेस में वापस आने से पार्टी को फायदा या नुकसान? दरअसल जिन उम्मीदवारों ने एक से दूसरी पार्टी में पलायन किया है, उनमें से एक हैं हरक सिंह रावत, जो हाल ही में बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में लौटे हैं. 


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इस सवाल के जवाब में करीब 44 फीसदी लोगों ने कहा कि हरक सिंह के आने से कांग्रेस को फायदा होगा. जबकि 41 प्रतिशत लोगों ने कहा कि कांग्रेस को नुकसान होगा. 15 प्रतिशत लोगों ने पता नहीं में जवाब दिया. 


हरक सिंह के कांग्रेस में वापस आने से पार्टी को फायदा या नुकसान ?
फायदा- 44%
नुकसान- 41%
पता नहीं- 15%


बता दें कि उत्तराखंड में 14 फरवरी को होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए सभी दलों द्वारा अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर दिए जाने के बाद यह साफ हो गया है कि पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत इस बार के चुनावी दंगल में दांव आजमाते दिखाई नहीं देंगे. प्रदेश के उत्तराखंड के दो दशक के चुनावी सफर में ऐसा पहली बार होगा जब चुनावी राजनीति के महारथी माने जाने वाले हरक सिंह चुनाव नहीं लड़ रहे होंगे.


कथित रूप से अपने अलावा अपनी पुत्रवधू के लिए भी टिकट की मांग पर अड़ने और इसके लिए अन्यत्र संभावनाएं टटोलने के कारण हाल में बीजेपी से निष्कासित होने के बाद कोटद्वार के विधायक हरक सिंह किसी तरह कांग्रेस में दोबारा वापसी करने में तो सफल रहे लेकिन अपने लिए टिकट हासिल नहीं कर सके.


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उत्तराखंड के चार बार के विधायक हालांकि अपनी पुत्रवधू और फेमिना मिस इंडिया की पूर्व प्रतिभागी रहीं अनुकृति गुसाईं को लैंसडौन से कांग्रेस का टिकट दिलवाने में कामयाब रहे. कांग्रेस में शामिल होने के बाद से रावत कह रहे थे कि वह चुनाव लड़ने के लिए उत्सुक नहीं हैं लेकिन अगर पार्टी उनसे कहेगी तो वह चुनाव लड़ेंगे.