देहरादून: आज उत्तराखंड में चौथी विधानसभा के सदस्य चुनने के लिए लोग वोट डाले जाएंगे और नतीजे 11 मार्च को आएंगे. मुख्य मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस में है, लेकिन बागियों ने दोनों की नाक में दम कर दिया है, जिससे नतीजों में बड़ा उलटफेर हो सकता है.


उत्तराखंड में जंग मोदी बनाम रावत की ही है. बीजेपी और कांग्रेस में सीधा मुकाबला है जो प्रदेश के गठन के बाद से बारी बारी सत्ता पर काबिज होते रहे हैं. लेकिन इस बार करीब एक दर्जन सीटों पर बतौर निर्दलीय खड़े हुए कांग्रेस और बीजेपी के बागी पार्टी के उम्मीदवारों का गणित बिगाड़ सकते हैं.


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दिलचस्प है कि ये बगावत भी विरोधी पार्टी के बागियों को टिकट देने से पैदा हुई है. सबसे ज्यादा सिरदर्दी बीजेपी की है, जिसने कांग्रेस से आए 13 बागियों को टिकट दिए हैं.


राज्य में 13 जिलों की कुल 70 विधानसभा सीटें हैं, लेकिन कर्णप्रयाग सीट पर 9 मार्च को वोट डाला जाएगा. क्योंकि हाल ही में यहां बीएसपी के उम्मीदवार की दुर्घटना में मौत हो गई थी. इस तरह 69 सीटों पर कुल 637 उम्मीदवार भाग्य आजमा रहे हैं. जिनमें सिर्फ 62 उम्मीदवार ही महिला हैं. उत्तराखंड में कुल 75,12,559 मतदाता हैं. जिनमें से करीब आधी संख्या यानी 35,78,995 महिला मतदाता हैं.


बीजेपी ने एक रणनीति के तहत मुख्यमंत्री का नाम प्रोजेक्ट नहीं किया है, लेकिन कांग्रेस ने मुख्यमंत्री हरीश रावत के नाम और प्रशांत किशोर की रणनीति पर ही दांव खेला है. वैसे यहां हार-जीत का अंतर कभी ज्यादा नहीं रहा.


पिछली बार 70 सीटों में से कांग्रेस को 32, बीजेपी को 31, बीएसपी को 3, यूकेडी को एक और निर्दलीयों को तीन सीटें मिली थीं. लेकिन इस बार ऊंट किस करवट बैठेगा, अंदाजा लगाना आसान नहीं है.