Uttarakhand Election 2022: 'घोषणापत्र' में मुख्यमंत्री बनने से लेकर उम्रदराज़ होने तक पर क्या बोले हरीश रावत? जानें सब कुछ
Uttarakhand Election Ghoshnapatra: हरीश रावत के लिए इस बार का चुनाव किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं है. उनके सामने उत्तराखंड में कांग्रेस की वापसी कराने की जिम्मेदारी है.
Uttarakhand Election Ghoshnapatra 2022: कांग्रेस के कद्दावर नेता और उत्तराखंड में पार्टी का चेहरा हरीश रावत उत्तराखंड में इन दिनों चुनावी गतिविधियों में काफी मशरूफ हैं. इस बीच उन्होंने एबीपी न्यूज़ के चुनावी कार्यक्रम 'घोषणापत्र' में शिरकत की और राज्य में कांग्रेस पार्टी इस बार क्या क्या करने का इरादा रखती है, उसे जनता के सामने पेश किया. कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कई ज्वलंत और बड़े सवालों के जवाब दिए.
कार्यक्रम के दौरान हरीश रावत ने बीजेपी पर निशाना साधा और कहा कि 5 साल में अच्छी सरकार देने की बजाय 3 सीएम बदल दिए. उन्होंने कहा कि धामी (पुष्कर धामी) पर खनन प्रिय सीएम का तमगा लगा है. उन्होंने कहा सचिवालय के चारो तरफ भ्रष्टाचार की सड़ांध है.
क्या हरक सिंह रावत को कांग्रेस में शामिल करेंगे?
बीजेपी से निकाले गए हरक सिंह रावत को कांग्रेस में शामिल कराने के सवाल पर हरीश रावत ने कहा, "ये मेरी ज़िम्मेदारी का भाग नहीं है और जो लोग इस तरह का निर्णय लेने के लिए अधिकृत हैं उन्होंने अभी कोई फैसला लिया नहीं है. मुझे इस बारे में ज्यादा सूचना नहीं मिली है. लेकिन जिन लोगों ने विधानसभा सत्र के दौरान अचानक बीजेपी में जाकर सरकार (कांग्रेस की) को गिराया था, वो लोकतंत्र के भी दोषी हैं और वो उत्तराखंड के जनता के भी दोषी हैं."
उम्र को लेकर हो रहे सवाल पर हरीश रावत ने कहा, "यदि बीजेपी के पास कोई बहुत ही चटकीला नौजवान है और वो दौड़ने की बात कहता है तो हरीश रावत उसके साथ दौड़ने में भी मुकाबला करने को तैयार है." उन्होंने कहा कि राज्य में हाल में आपदा आई थी. तब बीजेपी जवानों ने हेलिकॉप्टर का सर्वे किया था. वो भी जब कुछ दिनों के बाद मैं पहुंच गया. उन्होंने कहा, "जिसको कह रहे हैं कि हरीश रावत उम्रदराज़ है, वो हरीश रावत लाठी टेक कर के, घास पकड़कर के, झाड़ियों को पकड़ कर के उन गावों को देखने और वहां के लोगों को सांत्वना देने पहुंचा."
सीएम बनने के सवाल पर क्या बोले?
सीएम के तौर पर खुद को प्रोजेक्ट करने के सवाल पर हरीश रावत ने कहा, "इस समय हमारे सामने मुख्यमंत्री का लक्ष्य नहीं है. और मैंने अपनी उस आकांक्षा को पार्टी का आज की आवश्यकता को देखते हुए अलग रख दिया है." हरीश रावत ने कहा कि मैं सीएम पद का दावेदार नहीं हूं, लेकिन पार्टी तय करती है तो मैं सहर्ष फैसला स्वीकार करूंगा.
उन्होंने कहा कि हमारी इस वक्त की ज़रूरत ये है कि हम चुनाव जीतें ताकि हिंदुस्तान में विपक्ष जो लगातार कमज़ोर हो रहा है, लोकतांत्रिक संस्थाएं कमज़ोर हो रही हैं. हमारी संवैधानिक मान्यताएं कमज़ोर होती जा रही हैं. एक सहिष्ण देश असिहुष्ण देश में बदलता जा रहा है, ऐसा करने वालों के सामने एक चेक पॉइंट के तौर पर उत्तराखंड का फैसला अपनी सोच और अपने कार्यक्रम को बदलने के लिए मजबूर करेगा. उन्होंने कहा कि एक बड़ा लक्ष्य लोकतंत्र की रक्षा करना है.
कांग्रेस बनाम बीजेपी है या फिर हरीश रावत बनाम पुष्कर सिंह धामी?
उनसे जब पूछा गया कि उत्तराखंड में लड़ाई कांग्रेस बनाम बीजेपी है या फिर हरीश रावत बनाम पुष्कर सिंह धामी? इस सवाल पर उन्होंने कहा, "निर्णय होगा कांग्रेस बनाम बीजेपी में. हां, कभी कभी लोकतंत्र में चेहरों का भी महत्व है. अगर उसमें से एक चेहरा मुझे समझा जा रहा है तो मैं उसके लिए जनता का आभारी हूं, मैं नेतृत्व का भी आभारी हूं. सरकार का संचालन करना 100 मीटर की रेस नहीं है. आपके पास समझ होनी चाहिए. आपके पास नीतियां होनी चाहिए. आपके पास साहस और निर्णय लेने की परिपक्वता होनी चाहिए."
हरीश रावत के लिए इस बार का चुनाव किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं है. उनके सामने उत्तराखंड में कांग्रेस की वापसी कराने की जिम्मेदारी है. इस बार वो तीन तिगाडा काम बिगाड़ा जैसे नारे देकर बीजेपी पर हमला कर रहे हैं लेकिन उन्हें याद रखना होगा कि सामने बीजेपी की वो सरकार है जिसके पास मोदी जैसा चेहरा है जो किसी भी सियासी गणित को बदलने की ताकत रखते हैं.
हरीश रावत की गिनती कांग्रेस के धुरंधर नेताओं में होती है. कांग्रेस और गांधी परिवार से उनकी वफादारी भी जगजाहिर है. वो खुद को कांग्रेस का बालिका वधू तक कहते हैं. बीते साल पंजाब में जब सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ कांग्रेस की अंदरूनी कलह खुलकर सामने आ गई तो उसमें हरीश रावत ही संकटमोचक बनकर उभरे थे. लेकिन कुछ दिनों पहले बीच चुनावी समर में अपने हाथ बंधे होने का बयान देकर हरीश रावत ने खलबली मचा दी थी.
हरीश रावत का सियासी सफर
73 साल के हरीश रावत 2014 में पहली बार तब उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री बने थे, जब कांग्रेस आलाकमान ने मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा को हटाया था. लेकिन 2017 के चुनाव में न सिर्फ हरीश रावत की सरकार चली गई बल्कि खुद हरीश रावत सीएम रहते हुए दो सीटों से चुनाव हार गए थे. लेकिन इस चुनाव में हरीश रावत नए सिरे से ताल ठोंक रहे हैं. चुनावी सर्वे भी इशारा कर रहे हैं कि उत्तराखंड के सीएम पद के लिए हरीश रावत की लोकप्रियता दूसरे नेताओं से ज्यादा है.
हरीश रावत का अपना सियासी कद है...वो चार बार लोकसभा और एक बार राज्यसभा के सांसद रह चुके हैं. उन्हें यूपीए सरकार में केंद्र में मंत्री बनने का भी मौका मिला. वो उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भी रह चुके है. इस बार हरीश रावत ड्राइविंग सीट पर दिख रहे हैं. उत्तराखण्ड में पार्टी के भीतर उनके सभी बड़े प्रतिद्वन्दी साल 2016 में ही बगावत करके बाहर जा चुके हैं और उनकी राह आसान कर चुके हैं.
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