VIP Seat Series: कांग्रेस की बादशाहत वाली अमेठी लोकसभा सीट पर बस 1 बार जीती BJP, SP नहीं उतारती है कैंडिडेट
VIP Seat Series हमारी उस मुहिम का हिस्सा है जिसमें हम आपको लोकसभा की 543 सीटों में से उन सीटों का ब्यौरा देने वाले हैं जिनपर हार-जीत पर सबकी निगाहें रहेंगी. इसी सीरीज की ये किश्त यूपी की सीट अमेठी के बारे में है.
![VIP Seat Series: कांग्रेस की बादशाहत वाली अमेठी लोकसभा सीट पर बस 1 बार जीती BJP, SP नहीं उतारती है कैंडिडेट VIP Seat Series Congress is the king of Amethi Lok Sabha Seat and has won it 16 times, while the BJP has won it only once VIP Seat Series: कांग्रेस की बादशाहत वाली अमेठी लोकसभा सीट पर बस 1 बार जीती BJP, SP नहीं उतारती है कैंडिडेट](https://static.abplive.com/wp-content/uploads/sites/2/2018/09/27143111/ram_vilash_paswan_1.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
अमेठी लोकसभा सीट: अमेठी लोकसभा सीट उत्तर प्रदेश (यूपी) की 80 लोकसभा सीटों में से एक हैं. ये अमेठी और रायबरेली जिले की पांच विधानसभा सीटों को मिलाकर बनी है. चार विधानसभा सीटें अमेठी जिले की हैं और एक सीट रायबरेली जिले की है. 2014 के लोकसभा चुनाव में यूपी की 80 लोकसभा सीटों में से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को 71, उसकी सहयोगी पार्टी अपना दल को दो, अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी (एसपी) को पांच और कांग्रेस को दो सीटों पर जीत मिली थी. 2014 के लोकसभा चुनाव में मायावती की बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) का खाता भी नहीं खुला था. इस चुनाव में अमेठी सीट पर कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने चुनाव जीता था. आपको बता दें कि दिसंबर 2017 में राहुल को कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया है.
लोकसभा सीट का इतिहास
- देश में 1951-52 में पहली बार लोकसभा चुनाव हुए. तब अमेठी लोकसभा का कोई वजूद नहीं था. तब ये इलाका सुल्तानपुर दक्षिण लोकसभा सीट में आता था. यहां से तब कांग्रेस के बालकृष्ण विश्वनाथ केशकर चुनाव जीते थे.
- 1957 में मुसाफिरखाना लोकसभा सीट अस्तित्व में आई. जो इस वक्त अमेठी जिले की एक तहसील है. कांग्रेस के बी वी केशकर फिर से यहां के सांसद बने.
- 1962 के लोकसभा चुनाव में राजा रणंजय सिंह मुसाफिरखाना लोकसभा सीट से कांग्रेस के टिकट पर सांसद बने. राजा सिंह अमेठी राजघराने के 7वें राजा था. रणंजय सिंह वर्तमान राज्यसभा सांसद संजय सिंह के पिता थे.
- 1967 के आम चुनाव में अमेठी लोकसभा अस्तित्व में आई. नई सीट पर कांग्रेस के विद्याधर वाजपेयी को अमेठी का पहला सांसद बनने का गौरव मिला. लेकिन उनकी जीत को भारतीय जनसंघ के गोकुल प्रसाद पाठक ने काफी मुश्किल कर दिया था. उन्हें चुनाव में मात्र 3,665 वोटों के अन्तर से जीत मिली.
- 1971 में फिर से कांग्रेस के विद्याधर वाजपेयी अमेठी से सांसद चुने गए. लेकिन इस बार जीत का अन्तर 75,000 से ज्यादा था.
- 1977 में इमरजेंसी के बाद हुए चुनाव में कांग्रेस ने राजा रणंजय सिंह के बेटे संजय सिंह को प्रत्याशी बनया. उस वक्त देश में जनता पार्टी लहर थी, संजय सिंह चुनाव हार गए और भारतीय लोकदल के रविन्द्र प्रताप सिंह सांसद चुने गए. पहली बार चुनावों में इस सीट पर कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा था.
- 1980 के चुनाव से कांग्रेस ने सत्ता के साथ-साथ इस सीट पर भी वापसी की. इस सीट से पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के छोटे बेटे संजय गांधी ने चुनाव लड़ा और जीतकर सांसद चुने गए. इस सीट पर पहली बार नेहरू-गांधी परिवार का कोई सदस्य चुनाव लड़ा. 23 जून 1980 को संजय गांधी की विमान दुर्घटना में मौत हो गई.
- 1981 में हुए उपचुनाव में इंदिरा गांधी के बड़े बेटे राजीव गांधी अमेठी से सांसद चुने गए.
- अक्टूबर 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद दिसंबर 1984 में लोकसभा के चुनाव हुए. राजीव गांधी एक बार फिर अमेठी से प्रत्याशी बने. संजय गांधी की पत्नी मेनका गांधी पति की विरासत पर दावा करने के निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर मैदान में उतरीं लेकिन मेनका को सिर्फ 50,000 वोट मिले. राजीव गांधी 3 लाख से ज्यादा वोटों के अंतर से चुनाव जीते और साबित किया कि नेहरू-गांधी परिवार के असली वारिस वही हैं.
- 1989 और 1991 के लोकसभा चुनावों में राजीव गांधी फिर से अमेठी से कांग्रेस के टिकट पर सांसद बने. 1989 में राजीव गांधी ने जनता दल के प्रत्याशी और महात्मा गांधी के पौत्र राजमोहन गांधी को हराया.
- 1991 में मई-जून के महीनों में लोकसभा चुनाव हुए थे. 20 मई को पहले चरण की वोटिंग हुई. 21 मई को राजीव गांधी प्रचार करने तमिलनाडु गए जहां उनकी हत्या कर दी गई. 1991 में अमेठी लोकसभा सीट पर उपचुनाव हुआ जिसके बाद कांग्रेस के सतीश शर्मा सांसद चुने गए.
- 1996 में सतीश शर्मा फिर से सांसद चुने गए.
- 1998 में बीजेपी ने कांग्रेस से बीजेपी में आए अमेठी राजघराने के वारिस संजय सिंह को चुनाव लड़ाया. संजय सिंह चुनाव जीत गए और सतीश शर्मा चुनाव हार गए. ये दूसरा मौका था जब इस सीट पर कांग्रेस को हार मिली.
- 1999 में राजीव गांधी की पत्नी सोनिया गांधी चुनाव मैदान में ऊतरीं और अमेठी की सांसद बनीं. बीजेपी से चुनाव मैदान में ऊतरे संजय सिंह चुनाव हार गए.
- 2004 में अमेठी से राजीव गांधी के बेटे राहुल गांधी पहली बार सांसद चुने गए. राहुल 3 लाख से ज्यादा वोटों से चुनाव जीते. समाजवादी पार्टी ने यहां अपना प्रत्याशी नहीं उतारा.
- 2009 में राहुल गांधी फिर से सांसद चुने गए. इस बार जीत का अन्तर 3,50,000 से भी ज्यादा का रहा. समाजवादी पार्टी ने फिर से अपना प्रत्याशी नहीं उतारा.
- 2014 में राहुल गांधी इस सीट से लगातार तीसरी बार सांसद चुने गए. लेकिन इस बार राहुल गांधी की जीत का अंतर 1,07,000 वोटों का ही रह गया. बीजेपी ने राज्यसभा सांसद स्मृति ईरानी को यहां से मैदान में उतारा था. वहीं, आम आदमी पार्टी (आप) के कुमार विश्वास भी यहां से चुनाव लड़े थे. ईरानी ने 3 लाख से ज्यादा वोट हासिल कर राहुल को कड़ी टक्कर दी जबकि कुमार विश्वास की जमानत जब्त हो गई थी. समाजवादी पार्टी ने एक बार फिर अपना प्रत्याशी नहीं ऊतारा था.
कौन सी पार्टी कितनी बार जीती अब तक हुए 16 लोकसभा चुनावों और 2 उपचुनाव में कांग्रेस ने 16 बार जीत दर्ज की. 1977 में भारतीय लोकदल और 1998 में बीजेपी ने इस सीट पर जीत दर्ज की. बीएसपी इस सीट पर अभी तक खाता नहीं खोल सकी है, जबकि एसपी लगातार 3 चुनावों से इस सीट पर अपना प्रत्याशी नहीं उतरती. एसपी ने राहुल और सोनिया के खिलाफ प्रत्याशी नहीं उतारने का फैसला किया है.
कौन से बड़े नेता जीते अमेठी राजघराने के राजा राजा रनंजय सिंह पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के छोटे बेटे संजय गांधी पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी अमेठी राजघराने के राजा संजय सिंह कांग्रेस पार्टी की पूर्व अध्यक्ष और पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की पत्नी सोनिया गांधी कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष, पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी और उनकी पत्नी सोनिया के बेटे राहुल गांधी
कितनी विधानसभा सीट– कौन कौन जीता अमेठी लोकसभा सीट में 5 विधानसभा सीटे आती हैं. 4 विधानसभा सीटें तिलोई, जगदीशपुर, अमेठी और गौरीगंज सीट अमेठी जिले की हैं जबकि सलोन विधानसभा सीट रायबरेली जिले में पड़ती है. 2017 के विधानसभा चुनाव में 5 सीटों में से 4 सीटों पर बीजेपी जबकि एक सीट पर एसपी को जीत मिली थी. 2017 के विधानसभा चुनावों में एसपी-कांग्रेस ने गठबंधन किया था लेकिन अमेठी और गौरीगंज सीटों पर दोनों पार्टियों ने प्रत्याशी उतारे थे.
जातिगत समीकरण इस सीट पर दलित और मुस्लिम वोट निर्णायक हैं. अमेठी में लगभग 16 फीसदी यानि की करीब 3 लाख वोटर मुस्लिम समाज से हैं जबकि लगभग इतने ही वोटर दलित समाज के हैं. यादव, राजपूत और ब्राहम्ण भी इस सीट पर निर्णायक भूमिका में हैं.
वोटरों में कितनी महिलाएं, कितने पुरुष 2014 के लोकसभा चुनाव में अमेठी लोकसभा सीट में कुल 16,6,843 वोटर थे. 2014 के लोकसभा चुनाव में कुल 52.39 फीसदी लोगों ने वोट किया था. कुल 8,74,872 लोगों ने वोट किया जिसमें 4,61,524 पुरुष और 4,13,341 महिला मतदाता थीं.
राहुल गांधी- एक परिचय जन्म- 19 जून, 1970, उम्र- 48 साल, शिक्षा- एम. फिल, ट्रिनिटी कॉलेज, कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी. राहुल ने बीए (Bachelor of Arts) में अपना ग्रैजुएशन किया है. उन्होंने दिल्ली के सेंट स्टीफन कॉलेज, हॉरवर्ड कॉलेज और फ्लोरिडा के रॉलिन्स कॉलेज से अपनी पढ़ाई की है.
राहुल गांधी उत्तर प्रदेश के अमेठी से तीन बार लोकसभा सांसद रह चुके हैं. पहली बार वो साल 2004 में लोकसभा सांसद बने. उस वक्त उनकी कुल प्रॉपर्टी की कीमत 55.38 लाख रुपए थी. साल 2009 में वो एक बार फिर से अमेठी से सांसद चुने गए. उस वक्त उनकी कुल प्रॉपर्टी की कीमत 2.33 करोड़ रुपए थी. साल 2014 में राहुल फिर से अमेठी से ही लोकसभा सांसद बने. उस वक्त उनकी कुल प्रॉपर्टी की कीमत 9.40 करोड़ रुपए थी.
साल 2007 में राहुल कांग्रेस के महासचिव बने. साल 2013 में राहुल कांग्रेस के उपाध्यक्ष बने. दिसंबर 2017 में राहुल गांधी कांग्रेस के अध्यक्ष बने. निजी पेशे के तौर पर राहुल गांधी ने लंदन के मॉनीटर ग्रुप में तीन साल तक काम किया है.
क्या है VIP Seat Series VIP Seat Series हमारी उस मुहिम का हिस्सा है जिसमें हम आपको लोकसभा की 543 सीटों में से उन सीटों का ब्यौरा देने वाले हैं जिनपर हार-जीत पर सबकी निगाहें रहेंगी. उदाहरण के लिए इस सीरीज़ में हम आपको पीएम नरेंद्र मोदी से लेकर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी तक की सीट का इतिहास से वर्तमान तक सबकुछ बताएंगे. 2019 के आम चुनाव से पहले जानकारी के लिहाज़ से ये बेहद अहम है कि इन सीटों पर किनका दबदबा रहा है.
क्या है लोकसभा, कैसे बनती है केंद्र सरकार लोकसभा संसद का निचला सदन है. आम चुनाव में वोटर सीधे वोट देकर अपने पसंद के उम्मीदवारों को सांसद बनाकर यहां भेजते हैं. ये उम्मीदवार किसी भी पार्टी का या स्वतंत्र हो सकता है. केंद्र सरकार बनाने के लिए होने वाले इस चुनाव में सरकार बनाने के लिए 543 का आधा+1 यानी 272 सीटों की ज़रूरत होती है. जिस पार्टी या गठबंधन के पास इतनी सीटें हों, वो अपनी सरकार बनाकर अपना पीएम चुन सकते हैं जिसके जिम्मे देश के लिए नीति निर्माण का काम करना होता है.
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