लोकसभा चुनाव 2019: VIP Seat Series रायबरेली जहां से सांसद हैं सोनिया गांधी, इंदिरा और फिरोज गांधी भी जीते चुके हैं यहां से
VIP Seat Series हमारी उस मुहिम का हिस्सा है जिसमें हम आपको लोकसभा की 543 सीटों में से उन सीटों का ब्यौरा देने वाले हैं जिनपर हार-जीत पर सबकी निगाहें रहेंगी. इसी सीरीज की ये किश्त यूपी की सीट अमेठी के बारे में है.
रायबरेली लोकसभा सीट: रायबरेली लोकसभा सीट उत्तर प्रदेश (यूपी) की 80 लोकसभा सीटों में से एक हैं जो रायबरेली जिले की 5 विधानसभा सीटों को मिलाकर बनी है. 2014 के लोकसभा चुनाव में यूपी की 80 लोकसभा सीटों में से बीजेपी को 71,उसकी सहयोगी पार्टी अपना दल को 2, समाजवादी पार्टी (एसपी) को 5 और कांग्रेस को 2 सीटों पर जीत मिली थी. 2014 के लोकसभा चुनाव में बीएसपी का खाता भी नहीं खुला था. रायबरेली सीट पर कांग्रेस की अध्यक्षा सोनिया गांधी चुनाव जीती थीं. तब वो अपनी पार्टी की अध्यक्ष थीं, लेकिन दिसम्बर 2017 में सोनिया गांधी की जगह राहुल गांधी को कांग्रेस का नया राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया.
लोकसभा सीट का इतिहास
- देश में 1951-52 में पहली बार लोकसभा चुनाव हुए. तब अमेठी लोकसभा का कोई वजूद नहीं था. तब ये इलाका प्रतापगढ़ उत्तर-रायबरेली पूर्व लोकसभा सीट में आता था. तब यहां से 2 सांसद चुने जाते थे. 1951 में कांग्रेस से फिरोज गांधी और बैजनाथ कुरील यहां के सांसद चुने गए. आपको बता दें फिरोज गांधी पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के पति थे.
- 1957 में रायबरेली लोकसभा सीट अस्तित्व में आई. इस सीट पर फिर से कांग्रेस के फिरोज गांधी और बैजनाथ कुरील सांसद चुने गए.
- 8 सितम्बर 1960 को फिरोज गांधी का हार्ट अटैक की वजह से निधन हो गया. बाद में उपचुनाव हुआ और कांग्रेस के आर पी सिंह 40 हजार से ज्यादा वोटों से सांसद चुने गए.
- 1962 की लोकसभा में रायबरेली सीट दलित वर्ग के लिए आरक्षित कर दी गई. दलित सीट पर कांग्रेस के बैजनाथ कुरील सांसद चुने गए. हालांकि, जीत का अन्तर घट कर 14 हजार रह गया.
- 1967 के आम चुनाव में रायबरेली लोकसभा सीट फिर से सामान्य कर दी गई. इस सीट पर कांग्रेस ने फिर से गांधी-नेहरू परिवार से फिरोज गांधी की पत्नी इंदिरा गांधी को चुनाव मैदान में उतारा. इंदिरा तब देश की पीएम थीं. इसके पहले इंदिरा गांधी राज्यसभा से सांसद चुनी जाती थीं. इंदिरा गांधी लगभग 92,000 वोटों से चुनाव जीतकर पहली बार रायबरेली की सांसद चुनी गई.
- 1971 में फिर से कांग्रेस की प्रत्याशी और देश की तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी फिर से रायबरेली की सांसद बनीं. लेकिन इस बार जीत का अन्तर 1,11,000 वोटों से ज्यादा का था. इंदिरा ने सोशलिस्ट पार्टी के राजनारायण को हराया.
- राजनारायण को विश्वास नहीं हो रहा था कि वो चुनाव हार गए, इंदिरा की जीत को राजनरायण ने हाईकोर्ट में चुनौती दी और याचिका में कहा कि इंदिरा गांधी ने चुनाव जीतने के लिए सरकारी मशीनरी और संसाधनों का दुरुपयोग किया है, इसलिए उनका चुनाव निरस्त कर दिया जाए. 12 जून 1975 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इंदिरा गांधी का चुनाव रद्द कर दिया जिसके बाद इंदिरा सुप्रीम कोर्ट गईं. 24 जून, 1975 को जस्टिस अय्यर ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फ़ैसले पर आंशिक स्थगन आदेश दे दिया. जस्टिस अय्यर ने फ़ैसला दिया था कि इंदिरा गांधी संसद की कार्यवाही में भाग तो ले सकती हैं लेकिन वोट नहीं कर सकतीं. जस्टिस अय्यर के इस फ़ैसले के बाद विपक्ष ने इंदिरा गांधी पर अपने हमले तेज़ कर दिए. 25 जून 1975 को दिल्ली में जयप्रकाश नारायण की रैली रामलीला मैदान में हुई. इसी रैली के बाद इंदिरा गांधी ने आधी रात को देश में आपातकाल की घोषणा कर दी.
- 1977 में इमरजेंसी के बाद हुए चुनाव में कांग्रेस से फिर इंदिरा गांधी चुनाव मैदान में उतरीं. उस वक्त देश में कांग्रेस के खिलाफ माहौल था और जनता पार्टी की लहर थी. जनता पार्टी के नेता राजनारायण भारतीय लोकदल से चुनाव लड़े. राजनारायण ने कांग्रेस प्रत्याशी और देश की तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी को 55,000 से ज्यादा वोटों से चुनाव हरा दिया. केन्द्र सरकार में राजनारायण स्वास्थ्य मंत्री बनें.
- 1980 के चुनाव से कांग्रेस कई भागों में विभाजित हो गई. कांग्रेस (आई) की कमान इंदिरा गांधी के हाथों में थी. इस चुनाव में कांग्रेस (आई) ने सत्ता में और इस सीट पर भी वापसी की. कांग्रेस (आई) से पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी प्रत्याशी थीं. जनता पार्टी ने राजमाता विजयाराजे सिंधिया को प्रत्याशी बनाया था. इंदिरा ने सिंधिया को 1,70,000 से ज्यादा वोटों से हरा दिया. राजमाता विजयाराजे सिंधिया पूर्व कांग्रेसी नेता माधव राव सिंधिया और वर्तमान में राजस्थान की सीएम वसुंधरा राजे की मां थीं.
- 1980 में इंदिरा गांधी दो लोकसभा सीटों रायबरेली (उत्तर प्रदेश) और मेडक (आंध्र प्रदेश) से सांसद बनीं थी. इंदिरा ने बाद में रायबरेली सीट से इस्तीफा दे दिया.
- 1981 में हुए उपचुनाव में कांग्रेस के टिकट अरुण नेहरू रायबरेली से सांसद चुने गए. अरुण नेहरू भी नेहरू परिवार के सदस्य थे. अरुण के परदादा नंदलाल नेहरू, जवाहर लाल नेहरू के पिता मोतीलाल नेहरू के बड़े भाई थे.
- अक्टूबर 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद दिसम्बर 1984 में लोकसभा के चुनाव हुए. कांग्रेस से फिर अरुण नेहरू रायबरेली से सांसद चुने गए.
- 1989 और 1991 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस से शीला कौल रायबरेली की सांसद चुनी गईं. शीला कौल भी नेहरू-गांधी परिवार की सदस्य थीं. शीला कौल पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के साले प्रोफेसर कैलाशनाथ कौल की पत्नी और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की मामी थीं.
- 1996 में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने रायबरेली सीट पर खाता खोला. बीजेपी के अशोक सिंह 1996 और 1998 में रायबरेली से सांसद चुने गए. 1996 में अशोक ने शीला कौल के पुत्र दीपक कौल को हराया, 1998 में अशोक ने शीला कौल की बेटी दीपा कौल को हराया.
- 1999 में कांग्रेस ने फिर यहां से वापसी की. कांग्रेस ने गांधी परिवार के खास रहे सतीश शर्मा को मैदान में उतारा. इसके पहले सतीश शर्मा अमेठी के सांसद थे. शर्मा ने यहां कांग्रेस की वापसी कराई. बीजेपी से अरुण नेहरू चुनाव लड़े थे लेकिन वो हार गए.
- 2004 में रायबरेली से पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की पत्नी सोनिया गांधी चुनाव लड़ीं. सोनिया लगभग 2,50,000 वोटों से चुनाव जीतीं और केन्द्र में कांग्रेस पार्टी की सरकार बनीं.
- 2006 में 'लाभ के पद' के विवाद के बाद रायबरेली की सांसद रहीं सोनिया गांधी ने लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफ़ा दे दिया. सोनिया संसद की सदस्य होने के साथ राष्ट्रीय सलाहकार परिषद की अध्यक्ष भी थीं. 2016 में हुए उपचुनाव में सोनिया गांधी फिर से सांसद चुनी गईं.
- 2009 और 2014 में फिर से सोनिया गांधी रायबरेली से सांसद बनीं. 2009 और 2014 में एसपी ने सोनिया गांधी के खिलाफ प्रत्याशी नही उतारा था. 2009 में सोनिया 3,72,000 से ज्यादा वोटों से चुनाव जीतीं. 2014 में सोनिया गांधी मोदी लहर के बाद भी 3,52,000 वोटों से चुनाव जीतीं.
कौन सी पार्टी कितनी बार जीती अब तक हुए 16 लोकसभा चुनावों और 3 उपचुनावों में कांग्रेस ने 16 बार जीत दर्ज की. 1977 में भारतीय लोकदल और 1996, 1998 में बीजेपी ने इस सीट पर जीत दर्ज की. बीएसपी इस सीट पर अभी तक खाता नहीं खोल सकी है, जबकि एसपी लगातार 2 चुनावों से इस सीट पर प्रत्याशी नहीं उतरती. एसपी ने राहुल और सोनिया के खिलाफ प्रत्याशी नहीं उतारने का फैसला किया है.
कौन से बड़े नेता जीते फिरोज गांधी– पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के पति इंदिरा गांधी– पूर्व प्रधानमंत्री राजनारायण- समाजवादी नेता और पूर्व केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री अरुण नेहरू– जवाहर लाल नेहरू के रिश्तेदार शीला कौल- जवाहर लाल नेहरू की रिश्तेदार सोनिया गांधी– पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की पत्नी
कितनी विधानसभा सीटें– कौन कौन जीता रायबरेली लोकसभा सीट में 5 विधानसभा सीटें आती हैं. ये सीटें हैं बछरावां, हरचन्दपुर, रायबरेली, सरेनी और ऊंचाहर. 2017 के विधानसभा चुनाव में 5 सीटों में से 2 सीटों पर बीजेपी, 2 सीटों पर कांग्रेस जबकि एक सीट पर एसपी को जीत मिली थी. 2017 के विधानसभा चुनावों में एसपी-कांग्रेस ने गठबंधन किया था लेकिन सरेनी और ऊंचाहार विधानसभा में दोनों पार्टियों ने प्रत्याशी उतारे थें.
वोटरों की कुल संख्या, इसमें महिला और पुरूष 2014 के लोकसभा चुनाव में रायबरेली लोकसभा सीट में कुल 15,94,954 वोटर थें. 2014 के लोकसभा चुनाव में कुल 51.73 फीसदी लोगों ने वोट किया था. कुल 8,25,142 लोगों ने वोट किया जिसमें 4,37,762 पुरुष और 3,87,368 महिला मतदाता थीं.
क्या है VIP Seat Series VIP Seat Series हमारी उस मुहिम का हिस्सा है जिसमें हम आपको लोकसभा की 543 सीटों में से उन सीटों का ब्यौरा देने वाले हैं जिनपर हार-जीत पर सबकी निगाहें रहेंगी. उदाहरण के लिए इस सीरीज़ में हम आपको पीएम नरेंद्र मोदी से लेकर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी तक की सीट का इतिहास से वर्तमान तक सबकुछ बताएंगे. 2019 के आम चुनाव से पहले जानकारी के लिहाज़ से ये बेहद अहम है कि इन सीटों पर किनका दबदबा रहा है. क्या है लोकसभा, कैसे बनती है केंद्र सरकार लोकसभा संसद का निचला सदन है. आम चुनाव में वोटर सीधे वोट देकर अपने पसंद के उम्मीदवारों को सांसद बनाकर यहां भेजते हैं. ये उम्मीदवार किसी भी पार्टी का या स्वतंत्र हो सकता है. केंद्र सरकार बनाने के लिए होने वाले इस चुनाव में सरकार बनाने के लिए 543 का आधा+1 यानी 272 सीटों की ज़रूरत होती है. जिस पार्टी या गठबंधन के पास इतनी सीटें हों, वो अपनी सरकार बनाकर अपना पीएम चुन सकते हैं जिसके जिम्मे देश के लिए नीति निर्माण का काम करना होता है. ये भी देखें