बंगाल में TMC पर हिंसा का आरोप लगाने वाली बीजेपी 2019 में खुद थी कटघरे में, 86% सीटों पर विपक्ष के उम्मीदवार को नहीं लड़ने देने का आरोप
WB Panchayat Polls 2023: पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव में हुई हिंसा को लेकर सियासी पारा चढ़ा हुआ है. वहीं अब बीजेपी शासित त्रिपुरा में हुई पिछले पंचायत चुनाव को लेकर भी खूब चर्चा हो रही है.
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West Bengal Panchayat Election Results 2023: पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव में देश में बाकी राज्यों के मुकाबले ज्यादा हिंसा देखने को मिली. बंगाल पंचायत चुनाव में हुई हिंसा को लेकर कई विपक्षी पार्टियों की ओर से राज्य सरकार को इसके लिए कोसा गया. इनमें राज्य के गवर्नर, हाई कोर्ट और राज्य में विपक्ष के नेता शामिल हैं. वहीं इसपर त्रिपुरा के सीएम मणिक साहा भी ममता बनर्जी को उनके राज्य से शांतिपूर्ण और निष्पक्ष चुनाव कराने को लेकर सीख देते नजर आए.
त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक साहा के इस बयान के बाद अब लोग त्रिपुरा में हुए पंचायत चुनाव को लेकर ही चर्चा कर रहे हैं. त्रिपुरा में साल 2019 के पंचायत चुनावों में भी बड़े पैमाने पर हिंसा हुई थी. विपक्ष ने सत्तारूढ़ बीजेपी पर 80% से अधिक सीटें निर्विरोध जीतने के लिए डराने-धमकाने का आरोप लगाया था. लेफ्ट ने भी चुनाव में उनकी पार्टी के उम्मीदवारों को नॉमिनेशन करने से रोकने का बीजेपी पर आरोप लगाया था.
बीजेपी 86 फीसदी सीटों पर निर्विरोध जीती थी
साल 2018 के बहुचर्चित बंगाल ग्रामीण चुनावों के दौरान राज्य में तृणमूल कांग्रेस पर भी ऐसा ही आरोप लगा था. उस चुनाव में सत्तारूढ़ टीएमसी पार्टी ने 34% सीटें निर्विरोध जीती थीं. राजनीतिक विश्लेषक शेखर दत्ता ने इंडियान एक्सप्रेस को बताया, 'अगर बंगाल की घटनाएं राजनीतिक इतिहास में स्थानिक हिंसा को दर्शाती हैं, तो त्रिपुरा का अतीत उतना ही खूनी रहा है. उन्होंने कहा, 'त्रिपुरा में 2019 ग्राम पंचायत चुनावों में बड़े पैमाने पर मतदान में धांधली हुई.'
पिछले त्रिपुरा ग्राम पंचायत चुनाव में बीजेपी ने करीब 86 फीसदी सीटों पर निर्विरोध जीत हासिल की थी. जबकि राज्य में उनाकोटि जिले के कैलाशहर में कांग्रेस और बीजेपी समर्थकों के बीच गिनती के दौरान झड़प देखी गईं. सीपीआई (एम) ने दावा किया कि बीजेपी कार्यकर्ताओं की हिंसा ने उनके उम्मीदवारों को नामांकन दाखिल करने से रोक दिया था. जबकि कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि उसके कई उम्मीदवारों को बचने के लिए अगरतला में शरण लेनी पड़ी थी.
बीजेपी ने आरोपों को किया था खारिज
बीजेपी ने उस समय भय की राजनीति के आरोपों को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि विपक्षी दल "राजनीतिक रूप से दिवालिया" थे और इसलिए अपने टिकटों पर लड़ने के लिए उन्हें समर्थक नहीं मिल सके. त्रिपुरा में 2019 के पंचायत चुनावों में धांधली और हिंसा के विपक्ष के आरोप गलत थे.
बीजेपी प्रवक्ता ने क्या कहा?
बीजेपी प्रवक्ता नबेंदु भट्टाचार्य ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, 'हम किसी को भी चुनाव में भाग लेने से नहीं रोकते हैं. हम लोकतंत्र में विश्वास करते हैं. यदि सीपीआई (एम) अपने खोए हुए समर्थन आधार के कारण उम्मीदवार खड़ा करने में असमर्थ है, तो इसके लिए हमें दोषी नहीं ठहराया जा सकता है. क्या बीजेपी जाकर सीपीआई (एम) के लिए उम्मीदवार ढूंढ सकती है?'
उन्होंने कहा, पश्चिम बंगाल की स्थिति "पूरी तरह से अलग" थी. भट्टाचार्य ने कहा, 'यह कैमरे में कैद हो गया है और यह सब रिकॉर्ड में है कि कैसे लोगों को बंगाल में चुनाव में भाग लेने से रोका गया.'
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