लोकसभा चुनाव 2019: जानें, NDA और UPA में कौन-कौन प्रमुख पार्टियां हैं शामिल?
मौजूदा राजनीतिक परिस्थिति की बात करें तो भारतीय राजनीति में चार तरह का खेमा है. एक वो जो बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए में है. दूसरा वो जो कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए में है. तीसरा वो जो किसी भी खेमे में नहीं है लेकिन कांग्रेस के साथ जा सकती है, चौथा वो जो हाल फिलहाल में किसी के साथ नहीं दिखे.
नई दिल्ली: करीब दो महीने तक चला लोकसभा चुनाव आखिरी पड़ाव में है. कल अंतिम चरण के लिए 59 सीटों पर वोटिंग होगी और उसके चार दिनों बाद 23 मई को नतीजों की घोषणा होगी. इससे पहले सभी पार्टियां अपनी-अपनी जीत का दावा कर रही है. सत्तारूढ़ एनडीए का कहना है कि चुनाव परिणाम उसके पक्ष में होगा और वह 2014 को दोहराएगा. वहीं विपक्षी दलों का दावा अलग है. उसका कहना है कि एनडीए 272 के आंकड़ों को नहीं छू पाएगा, ऐसे में वह एक मंच पर आकर सरकार बनाएगी. इसके लिए विपक्षी दलों ने कवायद भी शुरू कर दी है.
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री और टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू दिल्ली में डेरा डाले हैं. उन्होंने आज कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात की. नायडू शुक्रवार को सीपीआईएम महासचिव सीताराम येचुरी और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से मिले थे. वे आज समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव और बीएसपी अध्यक्ष मायावती से भी मुलाकात कर सकते हैं.
यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मोर्चा संभाल लिया है. उन्होंने अपने विश्वस्त नेताओं से कहा है कि वे 23 मई को चुनाव परिणाम की घोषणा के साथ ही एक बैठक बुलाएं. सूत्रों के मुताबिक, सोनिया गांधी ने अहमद पटेल, पूर्व वित्त मंत्री चिदंबरम, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से कहा है कि क्षेत्रीय पार्टियों से समझौते की बात करें. खासतौर पर उन पार्टियों से जो यूपीए और एनडीए का हिस्सा नहीं हैं.
जानते हैं किस खेमे में कौन है? मौजूदा परिस्थिति की बात करें तो भारतीय राजनीति में चार तरह का खेमा है. एक वो जो बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए में है. दूसरा वो जो कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए में है. तीसरा वो जो किसी भी खेमे में नहीं है लेकिन कांग्रेस के साथ जा सकती है, चौथा वो जो हाल फिलहाल में किसी के साथ नहीं दिखे.
पहले बात एनडीए की बीजेपी के गठबंधन में 40 के करीब छोटी-बड़ी पार्टियां हैं. लेकिन 9 पार्टियां हैं जिसका काफी प्रभाव है. बीजेपी की अहम सहयोगियों में एक नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू है. 2014 के लोकसभा चुनाव में जेडीयू बीजेपी अलग-अलग चुनाव लड़ी थी.
एनडीए में बीजेपी के बाद सबसे बड़ी पार्टी शिवसेना है. 2014 में शिवसेना ने बीजेपी के साथ मिलकर 18 सीटें जीती थी. इस बार के चुनाव में दक्षिण भारत में AIADMK बीजेपी के साथ आई. 2014 के चुनाव में AIADMK ने 36 सीटों पर जीत दर्ज की. इसबार बीजेपी, एआईएडीएमके, पीएमके, डीएमडीके के साथ मिलकर चुनाव लड़ रही है.
इस चुनाव में सबसे पुराने सहयोगी सुखबीर सिंह बादल की पार्टी अकाली दल भी बीजेपी के साथ है. रामविलास पासवान 2014 की तरह ही बीजेपी के साथ चुनाव लड़ रहे हैं. अनुप्रिया पटेल की पार्टी अपना दल उत्तर प्रदेश में दो सीटों पर चुनाव लड़ रही है. प्रफुल्ल महंता की पार्टी असम गण परिषद बीजेपी के खेमे में है.
यूपीए कांग्रेस के नेतृत्व वाले संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) की बात करें तो इस कुनबे में लालू प्रसाद यादव की आरजेडी, शरद पवार की एनसीपी, एचडी देवगौड़ा की जेडीएस, उपेंद्र कुशवाहा की आरएलएसपी, एमके स्टालिन की डीएमके, बदरुद्दीन अजमल की एआईयूडीएफ और शिबू सोरेन की जेएमएम प्रमुख है.
एक धड़ा वो है जो बीजेपी के खिलाफ है और कांग्रेस के साथ जा सकती है इस धड़े में मायावती की बीएसपी, अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी, ममता बनर्जी की टीएमसी, सीपीआईएम, अरविंद केजरीवाल की आप और चंद्रबाबू नायडू की पार्टी टीडीपी है. ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल की, अरविंद केजरीवाल दिल्ली के, चंद्रबाबू नायडू आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं. मायावती और अखिलेश यादव का बड़ा जनाधार है.
जो किसी के साथ नहीं है भारतीय राजनीति में तीन प्रमुख बड़े नेता हैं जो किसी फिलहाल किसी धड़े में नहीं हैं और वह लगातार बीजेपी और कांग्रेस को निशाने पर लेते रहे हैं. इनमें सबसे प्रमुख हैं ओडिशा के मुख्यमंत्री और बीजेडी प्रमुख नवीन पटनायक. 2014 के चुनाव में बीजेडपी ने 20 सीटें जीती थी. पटनायक लगातार 18 सालों से ओडिशा के मुख्यमंत्री हैं.
दूसरे बड़े चेहरे की बात करें तो वह हैं तेलंगाना के मुख्यमंत्री और टीआरएस प्रमुख के चंद्रशेखर राव (केसीआर). तेलंगाना के दो बार से मुख्यमंत्री केसीआर लगातार गैर बीजेपी-गैर कांग्रेस (थर्ड फ्रंट) की सरकार की वकालत करते रहे हैं. टीआरएस के पास फिलहाल 10 सांसद हैं. तीसरे बड़े चेहरे के रूप में वाईएसआर कांग्रेस प्रमुख जगनमोहन रेड्डी उभरते दिख रहे हैं. वाईएसआर कांग्रेस ने चार सीटों पर जीत दर्ज की थी. किसी भी एक पार्टी या मौजूदा गठबंधन (एनडीए-यूपीए) को बहुमत नहीं मिलने की स्थिति में केसीआर, नवीन पटनायक और जगनमोहन रेड्डी किंगमेकर की भूमिका निभा सकते हैं.