नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 30 मई को दूसरे कार्यकाल के लिए शपथ लेंगे. बड़ा सवाल है कि उनके साथ कौन-कौन चेहरे होंगे जो मंत्री पद की शपथ लेंगे? क्या पीएम 2014 से 2019 तक काम करने वाले चेहरे को फिर से अपनी कैबिनेट में जगह देंगे या फिर नए चेहरे को तवज्जो देंगे. दरअसल, दो तरह की बातें चल रही है. बीजेपी को अपने नेतृत्व में प्रचंड जीत दिलाने वाले अमित शाह पहली बार लोकसभा चुनाव जीत कर संसद पहुंचे हैं. चर्चा है कि अमित शाह को नई सरकार में कोई बड़ा मंत्रालय मिल सकता है.
बीजेपी की वरिष्ठ नेता सुषमा स्वराज इस बार लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ी हैं. वह किसी भी सदन की सदस्य नहीं हैं. अटकलें लगाई जा रही है कि वह नई कैबिनेट में शामिल नहीं होंगी. ऐसी ही अटकलें वित्त मंत्री अरुण जेटली को लेकर लगाई जा रही है कि वह इस बार मंत्री पद नहीं संभालेंगे. जेटली पिछले कुछ दिनों से स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं. जेटली के पास पिछली सरकार में वित्त मंत्रालय था. सुषमा स्वराज विदेश मंत्री रही हैं. अगर दोनों ही नेता शपथ नहीं लेते हैं तो साफ है कि किसी दूसरे चेहरे को मंत्रालय दिया जाएगा. अटकलें लगाई जा रही है कि रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण और गृहमंत्री राजनाथ सिंह का पोर्टफोलियो बदला जा सकता है.
यहां ध्यान रखना जरूरी है कि नई सरकार में शामिल किए जाने वाले संभावित चेहरों को लेकर आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा गया है, लेकिन कई नेताओं का मानना है कि पिछली सरकार के ज्यादातर अहम सदस्यों को कैबिनेट में बरकरार रखा जाएगा. जेटली के स्वास्थ्य को लेकर भी साफ-साफ कहा गया है कि इलाज के बाद उनकी तबीयत ठीक है. भारत सरकार के प्रधान प्रवक्ता सितांशु रंजन कार ने ट्वीट किया, ‘‘केंद्रीय मंत्री श्री अरुण जेटली की स्वास्थ्य की स्थिति के बारे में मीडिया के एक हिस्से में आई खबरें गलत और बेबुनियाद है. मीडिया को सलाह दी जाती है कि अफवाह फैलाने से परहेज करें.’’
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नए कैबिनेट में राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी, निर्मला सीतारमण, रविशंकर प्रसाद, पीयूष गोयल, नरेंद्र सिंह तोमर और प्रकाश जावड़ेकर जैसे पुराने चेहरे बने रह सकते हैं. सूत्रों ने बताया कि बीजेपी की सहयोगी एलजेपी के प्रमुख रामविलास पासवान ने अपने सांसद बेटे चिराग पासवान को मंत्री बनाने की वकालत की है. पासवान पिछली सरकार में कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं.
एआईएडीएमके को इस बार एक सीट मिली है. तमिलनाडु में सत्ता में होने के कारण उसे एक मंत्री पद दिया जा सकता है. नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू को भी उचित प्रतिनिधित्व दिया जा सकता है. बीजेपी ने इन चुनावों में पश्चिम बंगाल में 18 और तेलंगाना में चार सीटें जीती हैं. इसके कारण पार्टी नई सरकार में दोनों राज्यों को ज्यादा प्रतिनिधित्व दे सकती है.