Lok Sabha Election 2019: हरियाणा के तीन लाल देवीलाल, बंसीलाल और भजनलाल करीब 4 दशक तक राज्य की सियासत तय करते रहे थे. ये दूसरा लोकसभा चुनाव है, जिसमें इन तीनों में से किसी भी लाल की मौजूदगी नहीं है. लेकिन आज भी राज्य की राजनीति इन तीनों से पूरी तरह बाहर नहीं निकल पाई है. इस चुनाव में भी देवीलाल, बंसीलाल और भजनलाल परिवार की तीसरी और चौथी पीढ़ी मैदान में है. चुनाव के लिए हम अपनी खास सियासी घराना सीरीज में आज देवीलाल परिवार की कहानी के बारे में बताने जा रहे हैं, जो कि अब पूरी तरह से दो हिस्सों में बंट चुका है.


आजादी की लड़ाई का हिस्सा थे देवीलाल
1912 में देवीलाल का जन्म हरियाणा के सिरसा जिले के तेजाखेड़ा गांव में हुआ था. देवीलाल ने 15 साल की उम्र में ही देश के लिए कुछ करने का इरादा ठान लिया था. देवीलाल ने 1930 में महात्मा गांधी के आंदोलन में शामिल होने का फैसला किया और इसी के चलते 1930 में उन्हें जेल भी जाना पड़ा. इसके बाद 1938 में देवीलाल ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी का हिस्सा बने. 1942 में देवीलाल को 'अंग्रेजो भारत छोड़ो' आंदोलन के दौरान करीब दो साल तक जेल में रहना पड़ा.



1952 में राजनीति का आगाज
उस समय हरियाणा पंजाब का हिस्सा हुआ करता था. देवीलाल 1952 में पहली बार पंजाब विधानसभा के सदस्य चुने गए. इसके बाद उन्हें 1956 में पंजाब कांग्रेस का अध्यक्ष बना दिया गया. लेकिन इसके बाद देवीलाल ने हरियाणा को अलग राज्य बनाने की लड़ाई छेड़ दी और 1966 में उनकी मुहिम कामयाब हुई. 1971 में देवीलाल ने कांग्रेस के साथ अपने लंबे सफर का अंत कर दिया. 1974 में देवीलाल रोडी हलके से विधायक चुने गए. देवीलाल को एमरजेंसी के दौरान जेल में रखा गया. इसके बाद देवीलाल 1977 में जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़े और पहली बार राज्य के सीएम बनने में कामयाब रहे.



हालांकि भजनलाल के पार्टी तोड़ने की वजह से देवीलाल दो साल तक ही सीएम रह पाए. 1987 के विधानसभा चुनाव से पहले देवीलाल ने लोक दल बना लिया. इस वक्त तक देवीलाल एक बड़े किसान नेता के रूप में उभर चुके थे. देवीलाल 1987 में हरियाणा में सरकार बनाने में कामयाब रहे. इसके बाद देवीलाल ने 1989 में जनला दल की सरकार में शामिल होने का फैसला किया और उन्हें वीपी सिंह और चंद्रशेखर की सरकार में उपप्रधानमंत्री की कुर्सी मिली. ये वो समय था जब देवीलाल की पहचान एक बड़े राष्ट्रीय कद्दावर नेता के तौर पर उभरी.


ओमप्रकाश चौटाला का आगाज
देवीलाल के उपप्रधानमंत्री बनने के बाद उनके बेटे ओमप्रकाश चौटाला हरियाणा के सीएम की कुर्सी पर काबिज हुए. ओमप्रकाश चौटाला 1989 में 1991 के बीच तीन बार हरियाणा के मुख्यमंत्री चुने गए. वहीं देवीलाल को 1991 के लोकसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा और वह फिर कभी चुनाव नहीं जीत पाए. 1999 में ओमप्रकाश चौटाला बीजेपी के सहयोग से राज्य में सरकार बनाने में कामयाब रहे और 2005 तक हरियाणा के सीएम बने. इस दौरान 2001 में देवीलाल का निधन हो गया.



ओमप्रकाश चौटाला की सरकार में उनके दोनों बेटे अजय चौटाला और अभय चौटाला राजनीति में एक्टिव हो गए. एक तरफ जहां अजय चौटाला पार्टी के कार्यकर्ताओं में काफी पॉपुलर होते जा रहे थे, तो वहीं अभय पार्टी का सारा मैनेजमेंट संभालने लगे. लेकिन पार्टी को 2005 और 2009 के दोनों विधानसभा चुनाव में करारी हार का सामना करना पड़ा.


परिवार में फूट का आगाज


चौटाला परिवार में असल फूट की शुरुआत 2013 के बाद से हुई जब ओमप्रकाश चौटाला और अजय चौटाला को जेबीटी घोटाले की वजह से 10 साल के लिए जेल जाना पड़ा. इसके बाद इंडियन नेशनल लोकदल की पूरी कमान अभय चौटाला के हाथ में आ गई. 2014 के चुनाव में अजय चौटाला के बड़े बेटे दुष्यंत चौटाला का भी राजनीति में आगमन हो गया. दुष्यंत चौटाला 2014 में हिसार लोकसभा सीट से कुलदीप बिश्नोई को हराकर देश के सबसे युवा सांसद बने.


दुष्यंत के सांसद बनने के बाद इनेलो पूरी तरह के दो खेमों में बंटना शुरू हो गई. 2014 के विधानसभा चुनाव में भी पार्टी को हार का सामना करना पड़ा. इसके बाद पार्टी का एक गुट अभय चौटाला के साथ आ गया, तो दूसरा दुष्यंत चौटाला को अपना नेता मानने लगा. 2018 में पार्टी की फूट पूरी तरह से सामने आ गई और ओमप्रकाश चौटाला ने अजय के दोनों बेटों दुष्यंत और दिग्विजय को पार्टी से निकाल दिया.


दुष्यंत चौटाला ने बनाई अलग पार्टी


इनेलो से निकाले जाने के बाद अजय चौटाला के आदेश पर दुष्यंत चौटाला ने अलग पार्टी बनाने का फैसला किया. दिसंबर 2018 में दुष्यंत चौटाला ने देवीलाल को आदर्श बताते हुए जननायक जनता पार्टी की नींव रखी. वहीं इनेलो की कमान पूरी तरह के ओमप्रकाश चौटाला के छोटे बेटे अभय चौटाला के हाथ में आ गई. हालांकि दुष्यंत के अलग होने के तुरंत बाद इनेलो को बड़ा झटका लगा और बीएसपी ने राज्य में उसके साथ अपना गठबंधन तोड़ लिया. जेजेपी को आगाज करते ही हार का सामना करना पड़ा. इसी साल जनवरी में हुए जींद बाई इलेक्शन में जेजेपी के उम्मीदवार दिग्विजय चौटाला बीजेपी से हार गए.



वहीं दुष्यंत ने 2019 के चुनाव के लिए राज्य में आम आदमी पार्टी के साथ जाने का फैसला किया है. राज्य में पार्टी 7 सीटों पर लोकसभा चुनाव लड़ रही है. अजय चौटाला के दोनों बेटे दुष्यंत-दिग्विजय हिसार और सोनीपत से किस्मत आजमा रहे हैं. अभय चौटाला के छोटे बेटे करण चौटाला का भी राजनीति में आगाज हो गया. करण चौटाला इनेलो के टिकट पर कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट से पहली बार चुनावी मैदान में हैं.