हरियाणा विधानसभा चुनाव 2019: हरियाणा विधानसभा चुनाव का आगाज़ होते ही यहां के डेरों और आश्रमों का जिक्र होना भी शुरू हो गया है. हरियाणा में डेरों की राजनीति का अपना ही इतिहास रहा है, आज भी चुनावों में सभी दलों के नेता इन आश्रमों में हाजिरी लगाने जाते हैं. उनका मकसद बाबाओं के भक्तों की महत्वाकांक्षाओं के ज़रिए खुद का राजनीतिक हित साधना होता है. राम रहीम और रामपाल हरियाणा की राजनीति के दो ऐसे नाम हैं जिन्होंने खुद तो कभी चुनाव नहीं लड़ा लेकिन सालों तक हरियाणा के नेता इनके पास समर्थन मांगने के लिए पहुंचते रहे. ऐसा माना जाता है कि जिस पार्टी को इनका समर्थन मिल जाता था वह सत्ता हासिल करने के करीब पहुंच जाती थी.


लेकिन 2019 के विधानसभा चुनाव में हालात पूरी तरह से बदले हुए हैं. दोनों ही बाबा बलात्कार और हत्या जैसे जघन्य अपराध के लिए दोषी दिए जाने के बाद जेल में सजा काट रहे हैं. हालांकि आज भी इनके पास कुछ राजनीतिक ताकत बाकी है, इसलिए कोर्ट से दोषी दिए जाने के बावजूद कोई भी राजनीतिक दल इनके खिलाफ खुलकर बोलने की हिम्मत नहीं जुटा पाता. नेताओं को लगता है कि अगर इनके बारे में कुछ भी उलटा-सीधा कहा तो इनके भक्तों का वोट बैंक खिसक सकता है.


हरियाणा में 21 अक्टूबर को विधानसभा चुनाव होने हैं, ऐसे में राजनीतिक दल अपने चुनाव प्रचार में छोटी-बड़ी रैलियां कर रहे हैं लेकिन इनके खिलाफ कुछ नहीं बोल रहे हैं. कुछ नेता तो ऐसे भी हैं जो मंच से इन राम रहीम और रामपाल को 'जी' कहकर बुलाते हैं, विपक्षी नेता इन्हें जेल पहुंचाने के पीछे सत्ताधारी दल को दोषी बताते हैं तो सत्ताधारी दल के नेता कोर्ट के आदेश का हवाला देकर पल्ला झाड़ लेते हैं. इसके पीछे की अहम वजह हरियाणा में इन बाबाओं के भक्तों की बड़ी तादाद होना है.


खिलाफ नहीं बोल रहे हैं नेता


राम रहीम और रामपाल दोनों के ही जेल में होने की वजह से पहले लोकसभा और अब विधानसभा चुनावों में हरियाणा के नेताओं को इनके आश्रम में मत्था टेकने का 'सौभाग्य' प्राप्त नहीं हुआ है. हालांकि अपने वजूद की लड़ाई लड़ रहे इन बाबाओं ने अपनी-अपनी आईटी टीमों को सोशल मीडिया पर सक्रिय कर दिया है. इसका मकसद अपने समर्थकों की तादाद बढ़ाने के साथ ही वजूद को जिंदा रखना और राजनीतिक दलों को अपनी ताकत का एहसास कराना है. बीते कुछ महीनों में कई मौकों पर ये बाबा ट्विटर पर टॉप ट्रेंड करते हुए भी नज़र आए.


ऐसा कहा जाता है कि पंजाब और हरियाणा में ही राम रहीम के लाखों समर्थक है. हरियाणा में 9 जिलों की करीब 30 सीटों पर गुरमीत राम रहीम कथित तौर पर नतीजे प्रभावित करता रहा है. 2009 के चुनावों में कांग्रेस तो पिछले चुनाव में डेरा ने बीजेपी को समर्थन करके का दावा किया था. 25 सितंबर को कैथल में चौधरी देवी लाल की जयंती के मौके पर INLD नेता और ओम प्रकाश चौटाला के बेटे अभय चौटाला ने रैली को संबोधित करते हुए यहां तक कह दिया था कि पिछले चुनाव में बीजेपी ने राम रहीम पर CBI का डर दिखाकर बीजेपी को समर्थन देने का दबाव बनाया था जिसके बाद राम रहीम ने बीजेपी का समर्थन किया था. इस मौके पर अभय चौटाला ने राम रहीम के लिए 'जी' जैसे सम्मानजनक शब्दों का इस्तेमाल करते हुए कहा था कि बाबा के समर्थकों के वोट न देने की वजह से ही INLD की हार हुई थी. बाबा के भक्तों की लिस्ट में सत्ताधारी बीजेपी से लेकर कांग्रेस के तमाम नेता शामिल हैं. कांग्रेस नेता अशोक तंवर को तो कुछ महीनों पहले तक सिरसा में राम रहीम के डेरे में जाते हुए देखा गया है. वहीं बीजेपी के रामविलास शर्मा और अनिल विज जैसे न जाने कितने ही नेता बाबा के दरबार मे हाजिरी लगाते आए हैं.


हालांकि कुछ जानकार ये भी मानते हैं कि गुरमीत राम रहीम जैसे चालाक बाबा पहले ही हवा का रुख भांप लेते है और जिसकी लहर होती है उसे समर्थन देकर ऐसे पेश करते हैं जैसे सरकार बनाने में उनका बड़ा योगदान रहा है. जानकारों बताते हैं कि पिछले चुनावों में कई ऐसी सीटें रहीं जहां बाबा राम रहीम के रसूख का दावा किए जाने के बाद भी उस राजनीतिक दल को जीत नहीं मिली जिसका राम रहीम ने खुलकर समर्थन किया था.


किसी को समर्थन नहीं देने का एलान 


आगामी विधानसभा चुनाव के लिए कुछ दिनों पहले सिरसा में हुई डेरा सच्चा सौदा की बैठक 'नाम चर्चा' में ये फैसला लिया गया कि इस चुनाव में डेरा किसी भी राजनीतिक दल का समर्थन नहीं करेगा और डेरा प्रेमी अपने मन-मुताबिक उम्मीदवार को वोट देंगे. हालांकि राम रहीम को भले ही मौजूदा बीजेपी सरकार में ही जेल जाना पड़ा हो जिसके बाद से ही डेरा प्रेमी बीजेपी से नाराज़ चल रहे हैं, बावजूद इसके राम रहीम फिलहाल बीजेपी का विरोध करने की स्थिति में नहीं है. विश्वस्त सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक राम रहीम ने अपने समर्थकों से इन चुनावों में बीजेपी का विरोध न करने के लिए कहा है.


दरअसल बाबा को ये एहसास हो चुका है कि बीजेपी दोबारा से सत्ता में आ सकती है, ऐसे में अभी बीजेपी का विरोध करना बाबा को और भारी पड़ सकता है. बिना किसी खास परेशानी न सिर्फ राम रहीम रोहतक की सोनारिया जेल में अपनी सजा काट रहा है बल्कि सिरसा में उसका डेरा भी सही-सलामत चल रहा है. राम रहीम का मानना है कि अभी बीजेपी को छोड़कर कोई भी दूसरा राजनीतिक दल सत्ता में आने की स्थिति में नहीं है, इसलिए अगर उसने चुनावी मौसम में बीजेपी के खिलाफ माहौल बनाने की कोशिश की तो उसका खामियाजा उसे जेल के अंदर भुगतना पड़ सकता है. राम रहीम पर अभी और कई सारे मामले चल रहे हैं जिनको लेकर बीजेपी सरकार बाबा पर नकेल कस सकती है और बाबा को भी इस बात का इल्म बखूबी है. राम रहीम की तरह संत रामपाल और उनके समर्थकों की भी स्थिति फिलहाल ऐसी ही है.