(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
हरियाणा विधानसभा चुनाव की क्यों बदली गई तारीख, EC ने बताई फैसले के पीछे ये वजह
Haryana Assembly Elections 2024: चुनाव आयोग ने कहा कि हरियाणा में वोटिंग 5 अक्टूबर को होगी और इसके वोटों की गिनती 8 अक्टूबर को की जाएगी.
Haryana Elections Date Change: भारतीय चुनाव आयोग (इलेक्शन कमीशन) ने शनिवार (31 अगस्त) को हरियाणा विधानसभा चुनाव की तारीख में फेरबदल की घोषणा की. चुनाव आयोग ने कहा कि राज्य में मतदान 1 अक्टूबर की बजाय 5 अक्टूबर को होगा और वोटों की गिनती 8 अक्टूबर को होगी.
आयोग ने राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय राजनीतिक दलों के साथ-साथ अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा के ज्ञापनों का हवाला देते हुए कहा कि हरियाणा के बिश्नोई समुदाय के बड़ी संख्या में लोग सदियों पुराने आसोज अमावस्या उत्सव में हिस्सा लेने के लिए राजस्थान में होंगे. चुनाव आयोग ने कहा कि यह निर्णय बिश्नोई समुदाय के मतदान के अधिकार और परंपराओं दोनों का सम्मान करने के लिए लिया गया है, जिन्होंने अपने गुरु जम्भेश्वर की याद में आसोज अमावस्या उत्सव समारोह में भाग लेने की सदियों पुरानी प्रथा को बरकरार रखा है.
चुनाव की तारीख बदलने के लिए बीजेपी ने EC को लिखी थी चिट्ठी
प्रेस रिलीज जारी करते हुए इलेक्शन कमीशन ने कहा, "इससे बड़ी संख्या में लोगों को मताधिकार से वंचित किया जा सकता है और हरियाणा विधानसभा के आम चुनाव में मतदाताओं की भागीदारी कम हो सकती है." भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की हरियाणा इकाई ने इससे पहले चुनाव आयोग को चिट्ठी लिखकर विधानसभा चुनाव के लिए मतदान स्थगित करने का अनुरोध किया था.
क्या लिखा था इस चिट्ठी में?
22 अगस्त को लिखी चिट्ठी में बीजेपी हरियाणा प्रमुख मोहनलाल बडोली ने अपनी चिंता व्यक्त की कि मतदान की तारीख, 28-29 सितम्बर के सप्ताहांत और 2 अक्टूबर को गांधी जयंती सहित विस्तारित अवकाश अवधि के साथ मेल खाएगी. बडोली ने तर्क दिया कि इस विस्तारित अवकाश के कारण मतदान में कमी आ सकती है, क्योंकि कई निवासी बाहर गए होंगे या छुट्टियों पर होंगे.
बीजेपी ने यह भी बताया कि हरियाणा में महत्वपूर्ण मतदाता आधार रखने वाला बिश्नोई समुदाय, राजस्थान के मुकाम गांव की अपनी वार्षिक तीर्थयात्रा के कारण 1 अक्टूबर को अनुपस्थित रहेगा. उन्होंने निर्वाचन आयोग से अधिकतम मतदान सुनिश्चित करने के लिए चुनावों को बाद की तिथि पर पुनर्निर्धारित करने पर विचार करने का आग्रह किया था और अतीत में ऐसे उदाहरणों का हवाला दिया था, जहां इसी प्रकार के कारणों से चुनाव की तिथियां बदली गई थीं.
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