नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश में बीजेपी अपने ही घर के झगडे से परेशान है. खबर के मुताबिक सीएम योगी आदित्यनाथ और डिप्टी सीएम केशव मौर्या के बीच सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. दरअसल आज यूपी सरकार की तरफ से उत्तर प्रदेश दिवस मनाया जा रहा है. इस उपलक्ष्य में भव्य कार्यक्रम आयोजित हुए. इन्हीं कार्यक्रम में पूरी यूपी सरकार मंच पर दिखी सिर्फ यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य नहीं थे. बस यहीं से एक बार फिर यूपी की सियासत में योगी और मौर्य के खटपट की खबरें चलनी शुरु हो गयीं.


पार्टी सूत्रों के मुताबिक संगठन और सरकार में भी बन नहीं रही है. आरएसएस के बीच-बचाव के बाद भी तनातनी बढ़ती जा रही है. हाल ये है कि सीएम और डिप्टी सीएम एक साथ एक मंच पर भी नहीं दिख रहे हैं.


- 20 जनवरी को वाराणसी के युवा उद्घोष कार्यक्रम में केशव को नहीं बुलाया गया था
- 23 जनवरी को योगी ने मंत्रियों की मीटिंग बुलाई लेकिन केशव नहीं आये
- धूम धाम से यूपी दिवस मनाया गया लेकिन केशव मौर्य गायब रहे


डिप्टी सीएम के यूपी दिवस में ना होने का कारण बताया गया कि वे मुंबई में हैं. मुंबई में रहने वाले दोनों मंत्री स्वतंत्रदेव सिंह और महेंद्र सिंह यूपी दिवस के मंच पर थे लेकिन केशव का ना होना कई तरह की चर्चाओं को जन्म दे गया.



यूपी विधानसभा चुनाव के दौरान योगी आदित्यनाथ बीजेपी के स्टार प्रचारक थे और केशव प्रसाद मौर्य प्रदेश अध्यक्ष. सीएम की रेस में दोनों थे. खूब जोर आजमाईश हुई. बताया जाता है कि इसी दौरान योगी और केशव आमने सामने हो गए.


सुनील बंसल, ओम माथुर, दिनेश शर्मा, केशव मौर्या और योगी आदित्यनाथ सब एक साथ दिल्ली से लखनऊ पहुंचे थे. ऑब्जर्वर बन कर वेंकैया नायडू पहले ही लखनऊ पहुंच चुके थे. वीवीआईपी गेस्ट हाऊस में उन्होंने जैसे ही योगी को सीएम और केशव को डिप्टी सीम बनाने का एलान किया. केशव नाराज हो गए. बड़ी मुश्किल से उन्हें मनाया गया था.


शपथ लेने के कुछ दिनों बाद जब योगी दिल्ली में थे. केशव प्रसाद मौर्या एनेक्सी बिल्डिंग में आये. इसकी पांचवीं मंजिल पर सीएम का ऑफिस है. केशव मौर्या ने उसी ऑफिस पर अपना नेमप्लेट लगवा दिया. जब योगी लखनऊ लौटे तो फिर केशव के नाम का बोर्ड हटा.


- यूपी में एनडीए के पास 325 एमएलए हैं, इनमें से 103 तो पिछड़ी जातियों के हैं.
- जबकि 76 दलित और आदिवासी समाज के हैं.
- अगड़ी जातियां तो बीजेपी की परम्परागत वोटर रही हैं.
- लेकिन पिछड़ों ने एक जुट होकर पार्टी को प्रचंड बहुमत दिला दिया.
- लोक सभा चुनाव में भी इनके साथ से एनडीए ने 73 सीटें जीत ली.



बताया जाता है कि सरकार, संघ और संगठन के बीच दो-तीन महीने में एक बार मीटिंग होती है. ऐसी ही एक बैठक नौ जनवरी को हुई थी. सीएम के बंगले पर हुई ये मीटिंग हंगामेदार रही. केशव मौर्या ने सबके सामने अपने मन की बात की. अगले दिन संघ के सह सर कार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले के घर पहुंच गए.


काम के बंटवारे को लेकर भी सीएम और डिप्टी सीएम में वर्चस्व की लड़ाई है.
- योगी आदित्यनाथ के पास 36 विभाग हैं
- जबकि केशव मौर्य को सिर्फ चार विभाग मिले हैं
- अपने मंत्रालय में किसी तरह का हस्तक्षेप केशव को पसंद नहीं है


और यही झगड़े की असली वजह मानी जा रही है. पीएम नरेंद्र मोदी से लेकर बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह तक को ये पता है. नाराज केशव को मनाने के लिए संघ की कोशिशें भी बेकार साबित हुई हैं और अगर ऐसा ही चलता रहा तो फिर यूपी में मिशन 2019 आसान नहीं रहने वाला.