Yogendra Yadav: एक देश, एक चुनाव पर योगेंद्र यादव ने बताया PM नरेंद्र मोदी का शौक! बोले- पहले दवा दी जाती है और फिर...
Yogendra Yadav: योगेंद्र यादव ने दावा किया कि सरकार नीतियां लागू कर सकती हैं पर जब वह विपक्ष को विश्वास में लिए बगैर ही चुनावी ढांचा बदल दे तब यह लोकतंत्र के बुनियादी नियमों का उल्लंघन है.
Yogendra Yadav on One Nation One Election: स्वराज इंडिया से जुड़े राजनीतिक कार्यकर्ता, भारत जोड़ो अभियान के संयोजक और सेफोलॉजिस्ट रह चुके योगेंद्र यादव ने एक देश, एक चुनाव को लेकर बड़ा दावा किया है. बुधवार (18 सितंबर, 2024) को उन्होंने कहा कि विपक्षी गठबंधन इंडिया ब्लॉक की तमाम पार्टियों ने इसका विरोध किया है. क्या बिना आम सहमति के चुनावी नियम बदल दिए जाएंगे? यह खुद में बहुत बड़ा सवाल है. केंद्र सरकार नीतियां जरूर लागू कर सकती है मगर वह जब विपक्ष को विश्वास में लिए बगैर ही इलेक्शन का स्ट्रक्चर (चुनावी ढांचा) बदल दे तब यह लोकतंत्र के बुनियादी नियमों का उल्लंघन है.
सेफोलॉजिस्ट रहे योगेंद्र यादव ने हिंदी न्यूज चैनल 'न्यूज 24' के डिबेट शो के दौरान कहा, "देखिए, यह एक सुंदर नारा है. अफसोस यही है कि इस दुनिया में हर खतरनाक चीज को सुंदर पैकेज में रखा जाता है. छह साल पहले जब यह बात सामने आई थी तब मैं हंसा था. सोच रहा था कि पता नहीं कि किस-किस तरह के शिगूफे चलते हैं. मुझे लगा कि यह दो-चार दिन की बात है, उसके बाद बंद हो जाएगा मगर जब कमेटी बनी तब मुझे लगा कि मामला कुछ है! हालांकि, मुझे यह भी लगा था कि कमेटी सोचेगी, ऐसे ही थोड़ी न इसे लागू कर देगी. आज जब स्वीकार कर लिया है, तब हमें गंभीरता से सोचना चाहिए."
PM नरेंद्र मोदी पर बोले- उन्हें दवा अच्छी लगती है
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तंज कसते हुए भारत जोड़ो अभियान के राष्ट्रीय संजोयक ने कहा, "मुझे लगता है कि पीएम को बहुत अच्छी दवाई का शौक है. उन्हों कोई दवा बहुत अच्छी लग जाती है और फिर वह चाहते हैं कि वह दवाई सबको पिलाई जाए. ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है. नोटबंदी के समय भी ऐसा ही हुआ था. दवाई उन्हें अच्छी लगती है, वह कहते हैं कि यह टीबी-दिल के दौरे आदि की दवा है. पता लगा कि उसके बाद हार्ट अटैक पड़ गया. फिर पीएम के सलाहकार आते हैं और कहते हैं कि आपकी चमड़ी की खुश्की तो ठीक हो गई. यहां पहले दवा दी जाती है और फिर यह ढूंढा जाता है कि वह किस बीमारी का इलाज करेगी. बदकिस्मती से एक देश, एक चुनाव ऐसी ही चीज है."
"इससे हास्यास्पद क्या हो...", बोले योगेंद्र यादव
योगेंद्र यादव के अनुसार, "वन नेशन, वन इलेक्शन एक विचार है. देखने में बड़ा आकर्षक लगता है. ऐसा लगता है कि छोटी-मोटी सारी समस्याएं सुलझ जाएंगी. हालांकि, हम यह नहीं समझते कि इसका अर्थ क्या है. मैंने कमेटी की रिपोर्ट पढ़ी, जिसमें कहा गया कि कई बीमारियां है और उनका एक इलाज है. पहली बीमारी बताई जाती है कि वोटर बार-बार वोट देकर थक जाता है. हालांकि, पिछले 35 साल में मुझे ऐसा वोटर नहीं मिला. दूसरा तर्क दिया जाता है कि बार-बार चुनाव के चक्कर में आचार संहिता लग जाती है और सरकार चाहकर कुछ कर नहीं पाती. देश के बड़े फैसले भी नहीं हो पाते हैं. अब इससे हास्यास्पद क्या हो सकता है!"
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