हिंदी सिनेमा की एवरग्रीन मूवी 'शोले' जिसे 45 साल पहले रमेश सिप्पी ने डायरेक्ट किया था. उस साल इस फिल्म ने बंपर कमाई की थी और आज इतने सालों के बाद भी ये फिल्म दर्शकों की पसंदीदा फिल्मों में से एक बनी हुई है. 45 साल पहले इस फिल्म को बनाने में 3 करोड़ रुपये की लागत लगी थी, जो उस दौर के हिसाब से बहुत ज्यादा अमाउंट था. इन 3 करोड़ रुपयों में से 20 लाख रुपए फिल्म की कास्टिंग पर खर्च किए थे.
कुछ साल पहले डायरेक्टर रमेश सिप्पी ने अपने एक इंटरव्यू में कहा था कि 'वो बहुत खशुकिस्मत थे कि 'शोले' को डायरेक्ट करते वक्त उनके पिता जी.पी. सिप्पी उनके साथ थे. अगर हम आज 'शोले' बनाते तो फिल्म का बजट 150 करोड़ रुपए होता जिसमें से 100 करोड़ रुपए सिर्फ कास्टिंग पर ही खर्च हो गए होते.
दरअसल, 70 के दशक के हिसाब से फिल्म का बजट बहुत ज्यादा था, जिसकी सबसे बड़ी वजह थी फिल्म के कुछ सीन्स का लंबा होना. वहीं रमेश सिप्पी इस फिल्म को एक बहुत बड़ी फिल्म बनाना चाहते थे जिसकी वजह से उन्हें हर सीन में परफेक्शन चाहिए था, इसीलिए जब तक उन्हें परफेक्ट शॉट नहीं मिल जाता तब तक वो टेक करवाते रहते थे.
इतना ही नहीं फिल्म में एक 3 मिनट 20 सेकेंड के सीन के लिए रमेश सिप्पी ने 3 साल का इंतज़ार किया था. इस बात का खुलासा खुद अमिताभ बच्चन ने अपने एक इंटरव्यू में किया था. उन्होंने बताया था कि- 'जब हम शूट के लिए तैयार होते थे तभी, लाइटिंग में कुछ ना कुछ दिक्कत हो जाती. रमेश सिप्पी कहते जब तक परफेक्ट लाइट नहीं मिलेगी, तब तक हम शूट नहीं करेंगे. हमने लगभग 3 साल इस सीन को शूट करने में लगाए.'