बॉलीवुड फिल्म रंग दे बसंती अपने समय की सुपरहिट फिल्मों में से एक है. इस फिल्म को रिलीज हुए पूरे 15 साल हो गए है. अपनी इस स्टोरी में हम आपको बताने जा रहे है कि ये फिल्म क्यों इतनी स्पेशल रही और साथ ही सुपरहिट हुई. फिल्म रंग दे बसंती को लेकर निर्देशक राकेश ओमप्रकाश मेहरा, प्रसून जोशी, शरमन जोशी और कुणाल कपूर ने अपने-अपने एक्सपीरियंस शेयर किए हैं.
शरमन जोशी एक इंटरव्यू के दौरान फिल्म को लेकर बताते है कि, ‘रंग दे बसंती मेरे दिल के सबसे करीब की फिल्मों में से एक है. इस फिल्म का मुद्द भी वो ही है और हमेशा रहेगा जैसा कि सरकार के साथ लोगों का संघर्ष. ये एक संस्कारी फिल्म बन गई और इसमें एंटरटेनमेंट और समाज को संदेश देने के लिए बहुत कुछ था. फिल्म रंग दे बसंती कोई ममूली फिल्म नहीं बल्कि एक मुश्किल फिल्म थी.’
राकेश ओमप्रकाश मेहरा कहते हैं कि, ‘जब इस फिल्म को रिलीज़ किया गया था. उस वक्त भी इसका भारी प्रभाव पड़ा था न केवल सिनेमाघरों में बल्कि राष्ट्र की सामूहिक चेतना के लिए. फिल्म युवा और सदाबहार बनी हुई है और मुझे नहीं पता कि इसका वर्णन कैसे करना है. ये फिल्म सभी को जागरुग करती है और युवा पीढ़ी को सलाम करती है.
प्रसून जोशी अपना एक्सपीरियंस शेयर करते हुए बताते है कि, ‘मुझे आमिर के लिए फिल्म के डायलॉग लिखने के लिए कहा इसलिए मैंने इसे एक शॉट दिया. इसके साथ ही राकेश ने गीत के बारे में बात की ये मेरे लिए एक चुनौती थी कि गाने और डायलॉग दोनों को एक साथ लिखना. लेकिन वो मुझसे हो गया और मैंने बाद में कई फिल्मों में अपने इस टैलेंट को यूज किया.
कुणाल कपूर कहते है कि, ‘मुझे हमेशा लगता है कि मैंने अपने करियर में इस फिल्म में काम किया और ये सबसे अच्छी फिल्मों में से एक है. ये फिल्म दर्शकों का मनोरंजन ही नहीं करती बल्कि अवेयरनेस भी फैलाती है. कुछ ऐसा जिससे आप अपने आसपास की दुनिया को एक अलग तरह से देख सकें. मुझे लगता है कि फिल्म में मेरे लिए सबसे इंपॉर्टेंट मेसेज ये था जो शिकायत नहीं बल्कि जिम्मेदारी लेने और बदलाव लाने की बात करता है.