हाल ही में शेरनी फिल्म रिलीज हुई है जिसमें विद्या बालन के साथ साथ एक और नाम के चर्चे खूब हो रहे हैं. वो नाम है बृजेंद्र काला(Brijendra Kala) का. सिनेमा की नब्ज़ पहचानने वाले कलाकार हैं बृजेंद्र काला जिन्होंने थियेटर में एक्टिंग की बारीकियां सीखीं और आज हिंदी सिनेमा में अपने बेमिसाल अभिनय से अमिट छाप छोड़ चुके हैं. फिल्मी दुनिया को तिलसमी दुनिया बताने वाले बृजेंद्र काला आज भी इसका हिस्सा बनने को सपने जैसा ही मानते हैं. वो यहां कैसे पहुंचे, क्यों पहुंचे और फिर कैसे खुद एक फिल्म के लिए जरूरी बना दिया. इन सबके पीछे एक दिलचस्प कहानी है.
कई फिल्मों में निभाए दिलचस्प किरदार
जब वी मेट फिल्म तो आपने जरूरी देखी होगी. इस फिल्म में एक सीन जब करीना कपूर ट्रेन पकड़ने के लिए टैक्सी में बैठती है. ये सीन बेहद सामान्य था लेकिन इस सामान्य से सीन को मजेदार और यादगार बनाने वाले थे बृजेंद्र काला. जिसके लिए उन्हें ज्यादा मेहनत करने की जरूरत नहीं थी. ह्यूमर उन्हें कुदरती मिला है और इस सीन में बस उसी ह्यूमर का इस्तेमाल बृजेंद्र काला ने बखूबी किया. ऐसे ही न जाने कितने ही छोटे छोटे किरदार बृजेंद्र अब तक निभा चुके हैं जो दर्शकों के जहन में ऐसी छाप छोड़ चुके हैं कि उन्हें नजरअंदाज नही किया जा सकता. बृजेंद्र काला के मुंबई आने का किस्सा भी बड़ा मजेदार है. थियेटर में काफी काम कर चुके बृजेंद्र काला के एक दोस्त ने सलाह दी थी कि मुबंई में जमना है तो 1 जून को ट्रेन पकड़ लो ताकि 2 जून को पहुंच जाओ और कम से कम इससे दो जून की रोटी तो मिल जाए. बस फिर क्या था...बृजेंद्र काला ने 1 जून की टिकट बुक कराई तय इरादे के साथ 2 जून को वो मुंबई में थे. चलिए इनकी एक्टिंग का एक और नमूना आपको दिखाते हैं फिल्म पान सिंह तोमर से.
ऐसा नहीं था कि मुंबई आते ही बृजेंद्र को सब कुछ आसानी से मिल गया. हर कलाकार की तरह इन्होने भी खूब धक्के खाए, ऑडिशन की लाइनों में लगे और स्ट्रगल किया. धीरे धीरे आगे बढ़ते गए, कुछ काम बनता गया और ट्रेन पटरी पर लौटने लगी. आज बृजेंद्र काला किसी परिचय के मोहताज नही हैं. स्क्रीन पर केवल उनका काम बोलता है और दर्शकों के लिए यही काफी है.
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