तकरीबन एक दशक से ज्यादा तक इंडस्ट्री में राज करने वाली रेखा(Rekha) का करियर 1981-82 के बाद ढलान की ओर जाने लगा लेकिन वो कहते हैं कि कुछ सितारे टूटकर गायब हो जाने के लिए नहीं होते बल्कि वो ऐसे ध्रुव तारे होते हैं जिनकी रोशनी कभी कभी मंद भले ही हो जाती हो लेकिन वो आकाश में हमेशा कायम रहते हैं और जगमगाते रहते हैं. रेखा भी उन्हीं में से थीं और उन्हें फिर से जगमगाने का मौका मिला साल 1988 में रिलीज़ हुई फिल्म खून भरी मांग(Khoon Bhari Maang) से. फिल्म इतनी बड़ी हिट हुई कि उस साल हर अवॉर्ड शो में फिल्म ने अपना सिक्का जमाए रखा. 


फिल्मफेयर में मिले थे 7 नॉमिनेशन



हिंदी सिनेमा में फिल्म फेयर अवॉर्ड को उच्च कोटि का दर्जा हासिल है. 1988 के इस अवॉर्ड सेरेमनी में रेखा की खून भरी मांग का ही जलवा छाया रहा था. फिल्म को अलग अलग कैटेगरी में 7 नॉमिनेशन मिले थे. जिनमें बेस्ट एक्ट्रेस, बेस्ट सपोर्टिंग एक्ट्रेस, बेस्ट एडिटिंग अवॉर्ड, बेस्ट फिल्म, बेस्ट डायरेक्टर, बेस्ट फीमेल प्लेबैक और बेस्ट म्यूज़िक डायरेक्टर की कैटेगरी शामिल थी. इसमें से तीन अवॉर्ड फिल्म ने अपनी झोली में डाले थे. रेखा को इस रोल के लिए दूसरी बार बेस्ट एक्ट्रेस का फिल्मफेयर अवॉर्ड मिला था. इसके अलावा सोनू वालिया को बेस्ट सपोर्टिंग और बेस्ट एडीटिंग का अवॉर्ड मिला था. 


नेगेटिव रोल में थे कबीर बेदी


खून भरी मांग फिल्म में रेखा के अलावा कबीर बेदी, शत्रुघ्न सिन्हा, सोनू वालिया भी थे और सभी ने दमदार रोल निभाया था. लेकिन इस फिल्म में हीरो कबीर बेदी का किरदार नेगेटिव था. जिसे शायद उस दौर का कोई भी अभिनेता स्वीकार नहीं करता. लेकिन कबीर बेदी ने इसके लिए हामी भरी. और ये रोल किया. राकेश रोशन को उनसे काफी उम्मीदें थीं इसीलिए उन्होंने आगे से कबीर बेदी को इस रोल के लिए अप्रोच किया था. फिल्म 3 दशक पूरे कर चुकी है और आज भी उस दौर के हर दर्शक के दिन इस फिल्म के लिए खास जगह है. 


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