फिल्म इंडस्ट्री में काम करने वाले हर एक्टर का सपना होता है कि वह भी सुपरस्टार बने, लेकिन हर एक्टर का बैकग्राउंड यानी संघर्ष अलग होता है. अरशद वारसी भी बॉलीवुड के ऐसे ही सितारे हैं जिन्होंने अपने जीवन में लंबा संघर्ष किया, लेकिन उम्मीद नहीं छोड़ी. अरशद वारसी का जन्म 19 अप्रैल 1968 को हुआ था, लेकिन सिर्फ 14 साल की उम्र में उनके सिर से माता-पिता का साया उठ गया. इससे अरशद का संघर्ष और बढ़ गया, साथ ही माली हालत भी काफी खराब हो गई.
पैसों की तंगी के चलते अरशद को अपनी स्कूलिंग भी बीच में ही छोड़नी पड़ी. गुजारा करने के लिए तो अरशद ने घर-घर जाकर बतौर सेल्समैन कॉस्मेटिक प्रोडक्ट्स भी बेचे और कुछ समय के लिए फोटो लैब में भी काम किया. अरशद को शुरू से ही डांस का शौंक था. उन्होंने इस दौरान अकबर सामी का डांस ग्रुप जॉइन कर लिया. यहीं से उनके करियर में एक नया मोड़ आया. उन्होंने काश और ठिकाना फिल्म में डांस और कोरियोग्राफर की भूमिका भी निभाई.
साल 1991 में अरशद ने डांस प्रतियोगिता जीती और लंदन में एक डांस चैंपियनशिप का हिस्सा बनने के बाद अपना डांस स्टूडियो ओपन कर लिया. इसी स्टूडियो में उनकी पत्नी मारिया गोरेट्टी ने बतौर स्टूडेंट एडमिशन लिया और बाद में वह वीजे भी बनीं. इसके साथ अरशद ने मुंबई का इंग्लिश थिएटर ग्रुप जॉइन कर लिया, लेकिन अरशद की किस्मत में तो कुछ और ही लिखा था. अरशद ने साल 1993 में रिलीज हुई फिल्म रूप की रानी चोरों का राजा का टाइटल ट्रैक भी कोरियोग्राफ किया था जो काफी लोकप्रिय भी हुआ था.
अरशद वारसी को बतौर एक्टर पहला ब्रेक फिल्म तेरे मेरे सपने से मिला. इससे पहले उन्होंने बतौर डांसर छोटी सी अपीयरेंस आग से खेलेंगे में दी थी. अरशद ने यूं तो कई फिल्मों में काम किया, लेकिन फिल्म मुन्ना भाई एमबीबीएस में उनका किरदार दर्शकों को बहुत पसंद आया. फिल्म में अरशद ने सर्किट का किरदार निभाया था, इसी फिल्म ने उन्हें बतौर कॉमेडी एक्टर भी स्थापित किया, इसी रोल की बदौलत उन्हें गोलमाल जैसी फिल्में भी मिलीं.
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