90 के दशक के मध्य में एक एक्टर ने अपने टैलेंट से सबका ध्यान अपनी ओर खींचा था. ये एक्टर कोई और नहीं बल्कि निर्मल पांडे(Nirmal Pandey) थे. पांडे सबसे पहले 1996 में आई बैंडिट क्वीन से चर्चा में आए थे. निर्मल की पर्सनल लाइफ की बात करें तो उनका जन्म नैनीताल, उत्तराखंड में हुआ था. इसके बाद उनकी पढ़ाई अल्मोड़ा और नैनीताल में हुई. इसके बाद निर्मल ने नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा, दिल्ली से ग्रेजुएशन किया.




नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा छोड़ने के बाद निर्मल लंदन चले और वहां एक थिएटर ग्रुप के साथ हीर रांझा समेत 125 प्ले में काम कर अपने एक्टिंग स्किल्स को और निखारा. छोटे-मोटे रोल्स करने के बाद निर्मल को शेखर कपूर ने फिल्म 'बैंडिट क्वीन' में ऐसा रोल दिला जिसने उन्हें नई पहचान दिला दी. इसके बाद आई फिल्म दायरा, ट्रेन टू पाकिस्तान, इस रात की सुबह नहीं और हम तुम पे मरते हैं,लैला,प्यार किया तो डरना क्या,वन टू का फोर, शिकारी  ने भी निर्मल की पॉपुलैरिटी में इजाफ़ा किया.निर्मल अच्छे सिंगर भी थे और उन्होंने 2002 में जज़्बा नाम का एक एल्बम निकाला था.वह संवेदना नाम से अपना थिएटर ग्रुप भी चलाते थे.




गाजियाबाद में निर्मल ने नए टैलेंट को मौका देने के लिए फ्रेश टैलेंट एकेडमी की भी शुरुआत की थी जहां वह कई तरह की थिएटर वर्कशॉप भी करते थे.निर्मल ने हातिम,प्रिंसेस डॉली और उसका मैजिक जैसे टीवी शोज में भी काम किया था.इतने टैलेंटेड निर्मल तेज़ी से सफलता की सीढ़ी चढ़ते जा रहे थे लेकिन होनी को कुछ और ही मंजूर था. 47 साल की उम्र में निर्मल का 18 फरवरी 2010 को मुंबई में निधन हो गया था. उनकी मौत हार्ट अटैक से हुई थी. निमल की असमय मौत से बॉलीवुड को तगड़ा झटका लगा था.