Bhagwan Dada One Mistake: बात आज बॉलीवुड के लीजेंड्री एक्टर और फिल्ममेकर रहे भगवान दादा (Bhagwan Dada) की जिनकी एक समय फिल्मों में तूती बोलती थी. ख़बरों की मानें तो भगवान दादा अपने समय के अमीर स्टार्स में से एक थे. भगवान दादा की रईसी के किस्से एक वक्त काफी चर्चाओं में रहे थे. हम आपको भगवान दादा की रईसी के किस्से भी सुनाएंगे और यह भी बताएंगे कि आखिर क्या वजह रही जो अपने समय के इतने रईस एक्टर को अंतिम समय बेहद तंगहाली में मुंबई की एक चॉल में काटना पड़ा था. सबसे पहले आपको बता दें कि एक वक्त ऐसा था जब भगवान दादा और उनकी रईसी के चर्चे आम हुआ करते थे. 
 
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो भगवान दादा एक समय मुंबई के पॉश इलाके जुहू में एक सी फेसिंग बंगले में रहते थे. यह बंगला भी कोई चार या पांच कमरों का नहीं बल्कि पूरे पच्चीस कमरों का था. कहते हैं इस बंगले से समंदर के खूबसूरत नज़ारे दिखाई देते थे. यही नहीं, भगवान दादा के बारे में यह भी बताया जाता है कि उनके पास सात लग्ज़री गाड़ियां थीं. यह गाड़ियां सप्ताह के हर दिन के लिए अलग-अलग थीं, यानी भगवान दादा हफ्ते के हर दिन के लिए एक अलग गाड़ी से आते-जाते थे.




बहरहाल, अब आते हैं उस घटना पर जिसने भगवान दादा की किस्मत को पलटकर रख दिया था और उन्हें अर्श से फर्श पर पटक दिया था. असल में भगवान दादा एक फिल्म बना रहे थे जिसका नाम था ‘हंसते रहना’, कहते हैं इस फिल्म के लिए भगवान दादा ने अपना सारा रुपया पैसा लगा दिया था. 




 
वहीं, फिल्म में भगवान दादा ने बतौर एक्टर किशोर कुमार (Kishore Kumar) को साइन किया था और यही उनकी सबसे बड़ी भूल थी. कहते हैं कि किशोर कुमार के नखरों के चलते यह फिल्म कभी पूरी नहीं हो सकी थी और इसका खामियाजा भगवान दादा को उठाना पड़ा था. भगवान दादा का अंतिम समय बेहद तंगहाली में कटा था.


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