Dinesh Lal Yadav Nirahua Struggle Story: भोजपुरी सिनेमा में ज्यादातर कलाकार ऐसे ही हैं, जिन्होंने फर्श से अर्श तक का सफर तय किया है. गरीबी में पले-बढ़े, गाने गाए, डांस किया और फिर एक दिन किस्मत चमकी और भोजपुरी सिनेमा के सुपरस्टार बन उभरे. ऐसी ही मिलती-जुलती कहानी भोजपुरी सिनेमा के एक और सुपरस्टार की है, जिन्होंने अपनी जिंदगी में मुकाम हासिल करने के लिए मीलों का सफर तय किया है. आज वह भोजपुरी सिनेमा का बड़ा नाम हैं और फिल्मों के साथ-साथ राजनीति में भी चमक रहे हैं. चलिए उनके बारे में आपको बताते हैं.
जब निरहुआ ने देखी मुफलिसी
भोजपुरी से अगर 4-5 सफल अभिनेताओं की बात आएगी तो उसमें दिनेश लाल यादव निरहुआ का नाम जरूर आएगा. निरहुआ आज के समय में भोजपुरी से लेकर राजनीति तक में चमकता हुआ सितारा हैं. गायकी के मंच से करियर की शुरुआत करने वाले निरहुआ की जिंदगी आसान नहीं रही है. उन्होंने अपनी जिंदगी में कई उतार-चढ़ाव देखे हैं और तब जाकर यह मुकाम हासिल हुआ है.
कोलकाता में झोपड़ी में किया गुजारा
दिनेश लाल यादव की कहानी आप सुन लेंगे तो आपको भी यकीन नहीं होगा. निम्नस्तरीय परिवार में पलने वाला बच्चा जिसके पिता फैक्ट्री में मदजूरी करते थे. सभी का गुजारा पिता की 3500 रुपये महीने की सैलरी में होता था. इतनी कम कमाई थी कि किसी का ठीक से पेट भी नहीं भरता था. ऐसे में निरहुआ के पिता कमाने के लिए पत्नी और तीन बेटियों को घर में छोड़कर दो बेटों के साथ कोलकाता आ गए. कोलकाता में वह एक झोपड़ी बनाकर रहने लगे और मजदूरी करने लगे. निरहुआ से पिता की ऐसी हालत देखी नहीं गई और वापस गांव आ गए.
कमाने के लिए मीलों चले पैदल
गांव आकर निरहुआ ने किसी तरह बी.कॉम की पढ़ाई की और काम की तलाश में भटकने लगे. निरहुआ ने अपने चचेरे भाई विजय लाल यादव को देखकर गाना गाने का फैसला किया. मुफलिसी के दिन थे, हालत ऐसी थी कि साइकिल तक खरीदने के पैसे नहीं होते थे. ऐसे में वह शादी में गाना गाने के लिए मीलों पैदल चलते थे.
‘निरहुआ सटल रहे’ ने दिलाया स्टारडम
इसके बाद जब पहली बार निरहुआ का पहला एल्बम 2003 में ‘निरहुआ सटल रहे’ लॉन्च हुआ तो तहलका मच गया. इसके बाद निरहुआ कुछ और म्यूजिक एल्बम लेकर आए. इसके बाद उन्होंने कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा और सफलता की सीढ़ियां चढ़ते गए.