बॉलीवुड के सुपरस्टार अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) 4 दशकों से दर्शकों को एंटरटेन कर रहे हैं. उन्होंने अपनी फिल्मों में अलग-अलग किरदार निभाकर हमेशा ही फैंस का दिल जीता. भले ही आज अमिताभ सुपरस्टार हों लेकिन अपने संघर्ष के दिनों से लेकर अब तक उन्होंने कभी भी अपने पिता हरिवंश राय बच्चन में मिली सीख को नहीं भुलाया है. अमिताभ बच्चन ने अपने एक इंटरव्यू में इस बात का जिक्र किया था कि कैसे पिता से मिली एक सीख उनके लिए सफलता का कारण बनती रही.
अमिताभ बच्चन ने बताया था कि 'उनके पिता हर सुबह सैर के लिए जाया करते थे और रास्ते में उन्हें जिन पत्थरों में कोई शेप या मूरत दिखाई देती उन्हें घर ले आते थे. घर लाकर वो उन पत्थरों पर कलर करते और उसे किसी इंसान या जानवर की शक्ल दे देते थे. एक सुबह पिता ने अमिताभ बच्चन को उठाया और कहा कि मुझे मदद करो. जब अमिताभ पिता के पास पहुंचे तो देखा कि घर की दहलीज़ पर एक पत्थर की बड़ी से शिला पड़ी हुई है. उस पत्थर को देखकर अमिताभ ने कहा बाबूजी ये तो बहुत भारी है, हम दोनों इसे उठा नहीं पाएंगे. मैं कुछ लोगों को बुला लाता हूं. यहां इसे लाया कौन?'
अमिताभ बच्चन ने इंटरव्यू में आगे बताया कि- ये सुनकर बाबूजी ने कहा, इस शिला को मैं लेकर आया हूं. मैंने हैरान होकर पूछा, आप इतने भारी पत्थर को कैसे लेकर आ गए. तब उन्होंने कहा, 'मैं हर रोज़ इस पत्थर को थोड़ा-थोड़ा खिसकाता था, ऐसा करते हुए मुझे 3 महीने हो गए तब जाकर इस पत्थर को यहां तक ला पाया'.पिता की ये बात अमिताभ बच्चन के दिल में घर कर गई. उन्हें समझ में आ गया था कि सफलता एक दिन में नहीं मिलती इसके लिए निरंतर मेहनत करनी पड़ती है. आज अपनी इसी मेहनत की वजह से अमिताभ बच्चन बन चुके हैं सदी के महानायक.
यह भी पढ़ेंः
किस वजह से अपने दोनों बच्चों को लेकर Asha Bhosle को छोड़ना पड़ा था पति का घर