आखिर क्यों Rajendra Kumar पर हुए हमले की करवाई गई पब्लिसिटी? जानें किस्सा
70 के दशक के मशहूर एक्टर राजेंद्र कुमार ने अपनी फिल्मों के जरिए हमेशा ही दर्शकों का दिल जीता. इसके अलावा 1986 में महाराष्ट्र विधानसभा के प्रचार के लिए राजेंद्र कुमार को चुना गया.
हिंदी सिनेमा के 'जुबली कुमार' उर्फ राजेंद्र कुमार (Rajendra Kumar) आज भले ही हमारे बीच मौजूद न हों, लेकिन उन्होंने अपनी फिल्मों के जरिए फैंस के दिल में सदा के लिए अपना घर बना लिया. खैर! साल 1986 में महाराष्ट्र विधानसभा के प्रचार के लिए सुपरस्टार राजेंद्र कुमार को चुना गया. उन्हें नासिक से मालेगांव जाकर स्पीच देनी थी, जहां भारी संख्या में भीड़ राजेंद्र कुमार का इंतजार कर रही थी.
जैसे ही राजेंद्र कुमार मालेगांव पहुंचे तो भीड़ी ने उनकी गाड़ी को घेर लिया. घबराकर राजेंद्र कुमार अपनी गाड़ी से उतरे ही नहीं. इतनी ज्यादा भीड़ को देखकर राजेंद्र के ड्राइवर ने गाड़ी वापस रेस्ट हाउस की तरफ घुमा ली. जैसे ही राजेंद्र कुमार की गाड़ी वापस गई तो भीड़ पर काबू कर पाना बेहद मुश्किल हो गया, जिसके बाद वहां पुलिस को बुलाया और पुलिस को लाठी चार्ज करना पड़ा.
खूब झगड़ा हुआ
राजनीतिक पार्टी वाले लोग राजेंद्र कुमार के रेस्ट हाउस गए और इस पूरे मामले का जिम्मेदार उन्हें ठहरा दिया. वहां खूब झगड़ा होने लगा और राजेंद्र कुमार इतने गुस्से में आ गए कि एक कार्यकर्ता को मारने के लिए उन्होंने जैसे ही अपना हाथ उठाया तो उनका हाथ खिड़की में जोर से टकरा गया और उनके हाथ से खून बहने लगा. इसके बाद बातचीत करके वहां के माहौल को शांत किया गया.
इसके बाद एक बार फिर राजेंद्र कुमार स्पीच देने के लिए तैयार हो गए. इतना ही नहीं 20 साइकिल रिक्शा पर लाउडस्पीकर लगाकर ये ऐलान किया गया कि विरोधी पार्टी ने राजेंद्र कुमार की स्पीच रोकने के लिए उन पर कातिलाना हमला किया है. इस घटना की इतनी तगड़ी पब्लिसिटी हुई कि जब राजेंद्र कुमार हाथ में पट्टी बांधे दोबारा स्पीच देने आए तो पहले से दोगुनी भीड़ उनका इंतजार कर रही थी.
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