फिल्मों में सबको हंसाने वाले कादर खान की निजी जिंदगी रही दुखों से भरी
बॉलीवुड की एक ऐसी मशहूर हस्ती जो हिंदी फिल्मों के विलेन, कॉमेडिन, स्टोरी राइटर और डायलॉग राइटर रहे, उनका नाम था कादर खान. फिल्मों में अपने लाजवाब डायलॉग्स से दर्शकों को हसाने वाले कादर की निजी जिंदगी बड़े ही संघर्ष के साथ गुजरी
बॉलीवुड की एक ऐसी मशहूर हस्ती जो हिंदी फिल्मों के विलेन, कॉमेडिन, स्टोरी राइटर और डायलॉग राइटर रहे, उनका नाम था कादर खान. फिल्मों में अपने लाजवाब डायलॉग्स से दर्शकों को हसाने वाले कादर की निजी जिंदगी बड़े ही संघर्ष के साथ गुजरी. उनका बचपन बहुत ही कठिनाइयों के बीच तंगहाली में गुजरा. कादर खान के माता-पिता अफगानिस्तान में रहते थे.
वहां कादर से पहले उनके तीन बेटे हुए लेकिन 8 साल के होते-होते तीनों मर गए, जिसके बाद चौथे नंबर पर कादर खान का जन्म हुआ, जिसके बाद उनके मां-बाप मुंबई आ गए, मुंबई में आकर वो स्लम एरिया में रहने लगे, जहां शराब और जुआखाने तो थे ही साथ ही वहां अक्सर कत्ल भी होते रहते थे. धीरे-धीरे कादर के मां-बाप के बीच झगड़े बड़ते गए और तलाक हो गया.
माता-पिता के तलाक के बाद पाकिस्तान में रह रहे उनके नाना और मामा ने आकर मां की जबरदस्ती दूसरी शादी करवा दी. कादर खान और उनके सौतेले पिता के बीच भी रिश्ते कुछ ठीक नहीं रहे. हर दूसरे दिन उनके सौतेले पिता कादर को उनके पिता के पास पैसे मांगने के लिए भेजते थे, इस बात का जिक्र कादर खान ने अपने एक इंटरव्यू में किया था और बताया कि- 2 रुपये के लिए वो कमाठीपुरे से खड़क जाते थे अपने पिता के पास जाते थे और कहते थे- ‘अब्बा बहुत बुरी हालत में हूं मुझे 2 रुपये दे दो. वो मुझे जैसे तैसे करके 2 रुपये देते थे, उन दो रुपयों में से एक रुपये का हम आटा, दाल,घासलेट लाते और हफ्ते में तीन दिन खाना खाते बाकी के तीन दिन हमें भूखा रहना पड़ता था.’
पैसों की जरूरत को पूरा करने के लिए कादर खान ने मजदूरी करनी शुरू कर दी, लेकिन मां ने उन्हें सिर्फ पढ़ाई पर ध्यान लगाने की सलाह दी. कादर ने मां की उस सलाह को माना और पढ़ाई में दिल लगाने लगे और डिग्री हासिल की. एक्टिंग और दूसरों की नकल करने का शौक उन्हें पहले से ही था, अपने इसी शौक का अभ्यास वो घर के पास बने एक कब्रिस्तान में किया करते थे. एक्टिंग के साथ-साथ कादर खान को लिखने और पढ़ने का भी खूब शौक था.
एक दिन वो कब्रिस्तान में एक्टिंग कर रहे थे तो उनके चेहरे पर एक टोर्च की रोशनी पड़ी, वहां कुछ लोग थे, जिन्होंने कादर को अपने पास बुलाया और कहा कि क्या तुम ड्रामें में काम करोगे, कादर ने पुछा कि ‘ये क्या होता है’? तो उन्होंने कहा कल तुम मिलना मैं बताता हूं ड्रामा क्या होता है. मैं वहां गया तो मुझे पहली बार ड्रामा क्या होता है ये पता चला और मुझे ‘मामक अज़रा’ नाम के ड्रामे में काम करने का मौका मिला, उसमें मैंने रजवाड़े के बेटे का किरदार निभाया था. इस किरदार के लिए मुझे 100-100 के दो नोट मिले थे’.
इस तरह से कारद खान की मुलाकात स्टेज से हो गई. फिर उनकी जिंदगी में वो पल भी आया जब वो अपनी मां को हमेशा के लिए खो चुके थे. कादर खान की मां का देहांत 1 अप्रैल को हुआ था, इस बारे में कादर खान ने बताया ‘जब मेरी मां का देहांत हुआ तो मैंने इसके बारे में लोगों को बताया तो उन्होंने समझा कि मैं उन्हें अप्रैल फूल बना रहा हूं’. उनकी मां की मौत भी बहुत दर्दनाक थी. एक बार जब कादर खान अपने स्टेट प्ले कंप्टीशन से घर वापस लौट रहे थे तो उन्होंने देखा कि उनकी मां खून की उल्टियां कर रही हैं. मां की ऐसी हालत देखकर वो तुरंत डॉक्टर को बुलाने गए तो डॉक्टर ने उनके साथ आने से साफ इंकार कर दिया, उनके इंकार के बाद कादर बिल्कुल फिल्मी अंदाज से डॉक्टर को जबरदस्ती उठा कर घर लेकर आ गए, लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी, मां गुजर चुकी थीं.