साधना ने अकेलेपन में गुजारे जिंदगी के 20 साल, इस वजह से लगाए कोर्ट के चक्कर
'झुमका गिरा रे, बरेली के बाजार में', इन शब्दों को पढ़कर आपको फिल्म एक्ट्रेस साधना (Sadhana) की याद तो जरूर आई होगी. इस हसीन चेहरे ने खूब कामयाबी देखी तो दूसरी तरफ दुख भी कम नहीं झेले.
'झुमका गिरा रे, बरेली के बाजार में', इन शब्दों को पढ़कर आपको फिल्म एक्ट्रेस साधना (Sadhana) की याद तो जरूर आई होगी. इस हसीन चेहरे ने खूब कामयाबी देखी तो दूसरी तरफ दुख भी कम नहीं झेले. साधना बड़े नाजों से पली-बढ़ी अपने मां-बाप की इकलौती संतान थीं. उन्होंने अपने करियर की शुरुआत साल 1960 में फिल्म 'लव इन शिमला' से की थी. पहली ही फिल्म हिट होते ही साधन स्टार बन गईं.
अक्सर देखा जाता है कि फिल्म की एक्ट्रेस को अपने हीरो से प्यार हो जाता है लेकिन साधन अपनी पहली फिल्म के डायरेक्टर आरए नइयर पर दिल हार बैठीं और 6 साल के रिलेशनशिप के बाद साल 1966 के बाद दोनों ने शादी कर ली. साधना ने हिंदी सिनेमा को कई हिट फिल्में दी. जिनमें, 'मेरा साया', 'वो कौन थी', 'एक फूल दो माली', 'राजकुमार', 'वक्त', 'मेरे महबूब' जैसी कई शानदार फिल्में शामिल थी. आज भी उनकी फिल्में, उनकी अदाकारी और खूबसूरती लोगों को उसी दौर में पहुंचा देती है.
शादी के 30 साल तक साधना पति आरए नइयर के साथ रही, लेकिन 1995 में उनके पति का देहांत हो गया. पति के गुजर जाने के बाद साधना बिल्कुल अकेली रह गई क्योंकि उनकी कोई संतान नहीं थी. साधना ने अपनी जिंदगी के 20 साल तन्हाई में निकाले. इस दौरान वो काफी बीमार भी रहने लगी.
इतना ही नहीं, जिस घर में वो रहती थीं उस पर मुकदमा चल रहा था. जिसकी वजह से उन्हें अक्सर अदालत और पुलिस थाने के चक्कर लगाने पड़ते थे. वो अकेली ही सब कुछ झेल रही थीं. उन्हें न तो किसी रिश्तेदार से कोई उम्मीद थी न दोस्त थे. साल 2015 में साधना ने मुंबई में अपनी अंतिम सांसें ली. उस दिन हिंदी सिनेमा का एक महकता हुआ गुलाब दुनिया से रुखसत हो गया था.
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