बॉलीवुड में बनने वाली अधिकांश फिल्मों में हीरो ही सेंट्रल करैक्टर होता है. फिल्मों का चलना या ना चलना उसके बॉक्स ऑफिस कलेक्शन पर निर्भर करता है. ऐसे में यह माना जाता है कि यदि किसी फिल्म में दमदार हीरो है, तो बॉक्स ऑफिस पर वह हिट साबित होगी. हालांकि, बॉलीवुड में प्रचलित इस परसेप्शन से इतर आज हम आपको कुछ ऐसी फिल्मों के बारे में बताने जा रहे हैं जिसमें हीरोइन ही असली ‘हीरो’ थीं.


मदर इंडिया



बॉलीवुड की माइल स्टोन फिल्मों में शुमार ‘मदर इंडिया’ सन 1957 में रिलीज हुई थी. फिल्म में नरगिस दत्त ने मुख्य भूमिका निभाई थी. इस फिल्म की पॉपुलैरिटी का अंदाज़ इसी बात से लगा सकते हैं कि यह ना सिर्फ देश में बल्कि विदेशों तक में चर्चित हुई थी. यह फिल्म महज एक वोट से ऑस्कर जैसे प्रतिष्ठित अवार्ड से चूक गई थी. फिल्म में नरगिस ने एक ऐसी गरीब महिला ‘राधा’ का किरदार निभाया था जो न्याय के लिए अपने बेटे तक को मारने से नहीं हिचकिचाती है.


मिर्च मसाला



साल 1987 में आई इस फिल्म में आपको महिला सशक्तिकरण की गहरी छाप देखने को मिलेगी. फिल्म में स्मिता पाटिल ने एक ऐसी महिला ‘सोन बाई’ का किरदार निभाया है जो उस गांव के एक दबंग सूबेदार (नसीरुद्दीन शाह) तक को ‘ना’ कहने का माद्दा रखती है.


बैंडिट क्वीन



डकैत फूलन देवी की कहानी पर आधारित यह फिल्म साल 1994 में रिलीज हुई थी, फिल्म में सीमा विश्वास ने मुख्य भूमिका निभाई थी. फिल्म में फूलन देवी के, गांव की एक मासूम महिला से डकैत बनने तक के सफर और उनके बदले की कहानी को दिखाया गया था. फिल्म में सीमा विश्वास की एक्टिंग इतनी लाजवाब है कि आप उन्हें असली की फूलन देवी समझने की भूल कर सकते हैं.


कहानी



सस्पेंस और थ्रिल से भरपूर यह फिल्म पूरी तरह विद्या बालन की ही थी. फिल्म की शुरुआत से लेकर एंड तक विद्या से नज़र हटा पाना आपके लिए मुश्किल हो जाएगा. फिल्म एक ऐसी महिला की कहानी है जो अपने पति की मौत का बदला लेने के लिए अंडर कवर एजेंट के तौर पर काम करती है और आतंकवाद का सफाया कर देती है.


क्वीन



साल 2014 में आई कंगना रनोट की फिल्म ‘क्वीन’ एक ऐसी लड़की की कहानी थी जिसका पति शादी से एन पहले उसे छोड़ देता है. फिल्म में कंगना ने ‘रानी’ नामक लड़की का करैक्टर प्ले किया है जो अकेले ही हनीमून पर निकल जाती है. यह यात्रा ‘रानी’ की पूरी लाइफ को कैसे बदल देती है यह इस फिल्म में देखने लायक है.