(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
टुन टुन का दर्दनाक सफर: परिवारवालों की हत्या के बाद घर से भागकर मुंबई आ गई थीं कॉमेडियन, ऐसे मिला फिल्मों में काम
परिवार का साथ छूटने पर टुन टुन बेहद गरीबी में दिन काट रही थीं फिर जैसे-तैसे वो अलीपुर से घर से भागकर मुंबई आ गईं.
बॉलीवुड में मेल कॉमेडियन्स का दबदबा है और फीमेल कॉमेडियन उंगलियों पर गिनी जा सकती हैं. आज हम आपको हिंदी सिनेमा की पहली फीमेल कॉमेडियन के बारे में बताने जा रहे हैं जिनका नाम टुन टुन है. टुन टुन का 40 से 70 के दशक में बॉलीवुड पर दबदबा था. उन्होंने एक कॉमेडियन के तौर पर खूब नाम कमाया. अपने बेहतरीन एक्सप्रेशन और कॉमिक टाइमिंग के चलते टुन टुन आज भी सिनेप्रेमियों के दिलों में जिंदा हैं लेकिन पर्दे पर सबको हंसाने वाली टुन टुन की असल ज़िंदगी बेहद दर्द भरी रही जिसके बारे में चलिए आज हम आपको बताते हैं.
आपको बता दें कि टुन टुन का असली नाम उमा देवी खत्री था. अमरोहा, उत्तरप्रदेश में उनका जन्म 1923 में हुआ था. बचपन से ही उन्होंने अपने जीवन में कई उतार-चढ़ाव देखे और बेहद मुश्किलों में टुन टुन का जीवन बीता. दरअसल , टुन टुन जब छोटी थीं तभी उनके माता-पिता और भाई की हत्या कर दी गई थी. ये हत्या जमीनी विवाद के चलते हुई थी. टुन टुन ने खुद एक इंटरव्यू में कहा था, जब मैं ढाई साल की थी तो मेरी माता-पिता गुजर गए थे. उस वक्त मैं शायद ढाई साल की थी. भाई को भी मार दिया था और तब मेरी उम्र चार-पांच साल की थी.
परिवार का साथ छूटने पर टुन टुन बेहद गरीबी में दिन काट रही थीं फिर जैसे-तैसे वो अलीपुर से घर से भागकर मुंबई आ गईं. यहां वह सीधे म्यूजिक कंपोजर नौशाद के घर पहुंचीं और उनसे कहा कि मैं गाना जानती हूं, आप मुझे काम दीजिए नहीं तो मैं समंदर में कूदकर अपनी जान दे दूंगी.
नौशाद ने उन्हें मौका भी दिया लेकिन कुछ खास सफलता न मिलने पर नौशाद ने उन्हें एक्टिंग करने की सलाह दी और दिलीप कुमार की फिल्म बाबुल (1950) में काम दिलवा दिया. यहीं से उनका नाम उमा देवी से टुन टुन पड़ गया. 2003 में वह चल बसी थीं.
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