Bollywood Movies Moms: बॉलीवुड फिल्में कई बार रील लाइफ से निकलकर रीयल लाइफ का हिस्सा बन जाती हैं. बॉलीवुड में ऐसे ही कई किरदार हैं जो लोगों के डेली रुटीन का हिस्सा बन जाते हैं और हमारी जिंदगी को प्रभावित करना शुरू कर देते हैं. फिल्म कभी खुशी कभी गम तो सभी ने देखी होगी उसमें अमिताभ बच्चन का डायलॉग कह दिया ना, बस कह दिया परिवार में घुटन लाने का एक उदाहरण ही है.


वहीं बॉलीवुड फिल्म दिल धड़कने दो में नीलम मेहरा जो शेफाली शाह का किरदार निभा रही हैं. वह अपनी बेटी को शादी के लिए फोर्स करती हैं. फिल्म में शेफाली खुद एक बुरे रिलेशन में रह रही होती हैं. इसके बावजूद अपनी बेटी को भी यही करने की सलाह देती हैं. बॉलीवुड ने इस तरह के कई कैरेक्टर्स हमें दिए हैं जो कहीं ना कहीं हमारे रोजाना के जीवन का हिस्सा बन जाते हैं और हमें पता भी नहीं लगता. 


फिल्म विवाह की बात करें तो पूनम यानी अमृता राव की मां रामा का किरदार भी एक बुरा उदाहरण है. रामा पूनम से इसलिए जलती है क्योंकि वह उनकी बेटी से सुंदर होती है. अपनी जलन को मिटाने के लिए वह अपनी बेटी को हर दिन उबटन और ब्यूटी प्रोडक्ट्स इस्तेमाल करने के लिए फोर्स करती है. 


तारे जमीन पर फिल्म में ईशान अवस्थी की मां का किरदार भी बुरे पेरेंटिंग का एक उदाहरण है. ईशान की मां अपने बच्चे का साथ देने की बजाए अपने पति के साथ रहती है. ईशान के पिता जब उसे समझ नहीं पाते तो उसे बोर्डिंग स्कूल भेजने के लिए हिंसा का इस्तेमाल करते हैं. ऐसे में ईशान की मां चुप खड़ी रहती हैं. यह बच्चे के लिए एक तरह से मेंटल ब्रेकडाउन हो सकता है.  


दोस्ताना फिल्म में होम्योसेक्शुअलिटी को दर्शाने का प्रयास किया गया है. फिल्म में अभिषेक की मां रानी आचार्या का किरदार किरण खेर ने निभाया है. फिल्म में किरण खेर हमेशा अपने बेटे के गे होने पर शक करती रहती हैं. यह एक ऐसी मां का उदाहरण है जो अपने बच्चे की सेक्शुअल च्वाइस और उनके विचारों को नहीं समझ पाती.


2 स्टेट्स में अमृता सिंह कास्ट को लेकर अपने बेटे के प्यार को नहीं समझ पातीं. अर्जुन कपूर जो फिल्म में अमृता सिंह के बेटे का किरदार निभा रहे होते हैं उन्हें लगातार ब्लैकमेल करती रहती हैं. अपने बेटे की जिंदगी से दूसरे कास्ट की लड़की को निकालने के लिए वह हर दिन नए ड्रामा करती हैं. 


दिल वाले दुल्हनिया ले जाएंगे में लाजवंती का किरदार निभाने वाले फरीदा जलाल अपनी बेटी सिमरन के लिए स्टेंड नहीं लेती. सिमरन को वह दूसरों के सुख-चैन के लिए अपनी खुशियां कुर्बान करने को कह देती हैं. 


गोलियों की रासलीला राम-लीला फिल्म में धनकोर का किरदार सुप्रिया पाठक ने निभाया था. फिल्म में उन्हें घमंडी दिखाया गया था. जो अपनी जात-बिरादरी के लिए लड़ने झगड़ने को तैयार रहती हैं. फिल्म में यह एक ऐसी मां का किरदार निभा रही हैं जो अपनी बेटी की उंगली तक काटने के लिए तैयार रहती हैं क्योंक उसने दुश्मन के बेटे से प्यार किया होता है. 


दम लगा के हईशा में शुभद्रा का किरदार सीमा पहवा ने निभाया था. वह फिल्म में अपनी बेटी को शादी में समझौता करने के लिए कहती हैं. रिश्तें में चीजें ठीक नहीं होने के बावजूद वह बेटी को पति के घर वापस लौटने के लिए कहती हैं. 


कपूर एंड संस फिल्म में सुनीता कपूर एक सो-कॉल्ड मॉर्डन मां होती हैं लेकिन वह अपने बच्चों को अच्छा करियर, अच्छा रिलेशनशिप और आदर्श बेटा होने के लिए फोर्स करती रहती हैं. जब उन्हें पता लगता है कि उनका बेटा गे है तो वह उसके खिलाफ हो जाती हैं. 


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