आज भी अधिकांश घरों में बच्चों और पेरेंट्स के बीच कम्यूनिकेशन गैप है. इसी गैप के चलते कई मर्तबा बच्चे अपने दिल की बात या फीलिंग्स पेरेंट्स से ज़ाहिर नहीं कर पाते हैं.आज की यंग जनरेशन के ‘मन की बात’ को यदि कोई पेरेंट्स समझना चाहें तो उन्हें बॉलीवुड की यह फ़िल्में ज़रूर देखना चाहिए.


1) गली बॉय 



‘कोई दूसरा मुझे बताएगा कि मैं कौन है’, साल 2019 में आई ‘गली बॉय’ का यह डायलॉग इस फिल्म के बारे में सब कुछ कह देता है. फिल्म में रणवीर सिंह मुख्य भूमिका में हैं और यह फिल्म सपनों को जीना और उन्हें सच कर दिखाने की ललक को दिखाती है. फिल्म में दिखाया गया है कि पेरेंट्स को प्राउड फील करवाना बच्चों के लिए कितना मायने रखता है.


2) वेक अप सिड



साल 2009 में आई फिल्म ‘वेक अप सिड’ एक ऐसे लड़के की कहानी है जिसे यह नहीं पता कि उसे अपनी लाइफ में क्या करना है. अधिकांश बच्चे यंग एज में ऐसे ही कंफ्यूजन में रहते हैं, इसलिए यह एक सामान्य सी बात है, बस ज़रूरी सिर्फ इतना है कि उन्हें अपनी जिम्मेदारियों का अहसास बना रहे.


3) उड़ान



बॉलीवुड की एपिक फिल्मों में से एक ‘उड़ान’, बच्चों और पेरेंट्स के बीच के कम्यूनिकेशन गैप को बखूबी दिखाती है. इस फिल्म में दिखाया है कि कैसे बच्चों को डिसिप्लिन सिखाने के चक्कर में पेरेंट्स उनपर ज़रुरत से ज्यादा कंट्रोल करने लगते हैं और नतीजतन पेरेंट्स और बच्चों के बीच गैप बढ़ता चला जाता है.


4) 3 इडियट्स



फिल्म ‘थ्री इडियट्स’ की कहानी यंग जनरेशन के मन की बात को समझने के लिए सबसे बेस्ट है. फिल्म में दिखाया गया है कि बच्चे कुछ और चाहते हैं लेकिन पेरेंट्स उन्हें कुछ और बनने के लिए मजबूर करते हैं. सभी पेरेंट्स को यह फिल्म ज़रूर देखना चाहिए ताकि वह भी अपने बच्चों के सपनों को समझ सकें.


5) तारे ज़मीन पर 



यह फिल्म उन सभी पेरेंट्स के लिए एक सबक की तरह है जो अपने बच्चों ज़बरदस्ती का दबाव बनाते रहते हैं. फिल्म में लर्निंग डिसऑर्डर से जूझ रहे बच्चे की कहानी को दिखाया गया है. इस फिल्म को देखकर आसानी से समझा जा सकता है कि आस-पास के माहौल का बच्चे की लाइफ पर कितना गहरा असर पड़ता है.