भारती सिंह अपने कॉलेज से घर जाते वक्त इस चीज से क्यों डरा करती थीं? जानिए किस्सा
Bharti Singh Struggle Story: उन्होंने बताया कि, ‘मैं 21 साल से उस मशीन के शोर में रह रही थी. मैं वहां कभी वापस नहीं जाना चाहती थी.'
Bharti Singh Struggle Story: भारती सिंह को आज किसी पहचान की जरुरत नहीं है. हालांकि इस मुकाम तक पहुंचने के लिए उन्होंने काफी मेहनत की है. भारती ने हाल ही में एक किस्सा साझा किया. यह किस्सा उन दिनों का है जब वो एक स्पोर्ट कोटे में निशानेबाज थीं. उन्होंने बताया था कि, ‘जब मैं कॉलेज में थी तो हमें सरकार से मुफ्त खाना मिलता था. मुझे भी 5 रुपये के तीन कूपन मिलते थे. एक कूपन के साथ एक गिलास जूस भी मिल जाता था. आपको विश्वास नहीं होगा, मेरे पास एक गिलास जूस हुआ करता था. उस एक गिलास जूस को पीकर मेरे पास घंटों खड़े रहने और राइफल शूटिंग का अभ्यास करने की ताकत हुआ करती थी. लेकिन मैं कुछ कूपन अपने घर के लिए बचा लेती थी. महीने के अंत में मैं उन कूपनों के बदले फल और जूस लेकर घर ले जाता करती थी.’
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भारती सिंह इसी के साथ अपने और अपने परिवार के शुरुआती जीवन के बारे में दिल दहला देने वाली जानकारी साझा करते हुए बताती हैं कि कैसे वो सिलाई मशीनों के लगातार शोर के आसपास रहती थी. उन्होंने बताया कि, ‘हमारे घर पर रोज पर्याप्त भोजन नहीं हुआ करता था. घर में हमेशा सिलाई मशीन के चलने कि आवाज आती रहती थी उनकी मां दुपट्टे भी बनाती थी. यहां तक की आज भी जब मैं सेट के कॉस्ट्यूम रूम में जाती हूं तो मशीन की आवाज सुनकर घबरा जाती हूं.''
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उन्होंने आगे बताया कि, ‘मैं 21 साल से उस मशीन के शोर में रह रही थी. मैं वहां कभी वापस नहीं जाना चाहती थी. मेरे पास बहुत बड़े सपने नहीं हैं लेकिन मैं भगवान से प्रार्थना करता थी कि जो मेरे पास है उसे मैं बनाए रख सकूं. हमने नमक और रोटी खाई है, लेकिन अब हमारे पास दाल, सब्जी और रोटी है. मैं बस यही उम्मीद करती हूं कि मेरे परिवार के पास खाने के लिए कम से कम दाल हमेशा रहे. मैं कभी अपने परिवार को पुराने हालातों में नहीं देखना चाहती.’