साउथ सिनेमा के निर्देशक के भाग्यराज जिनकी लगभग तमाम फिल्मों का हिंदी रीमेक बन चुका है. उनकी चाहत थी कि यदि वो कई फिल्म बनाएं तो अमिताभ के साथ ही बनाएं. हालांकि वो फिल्म ‘मास्टरजी’ में अमिताभ बच्चन को कास्ट करना चाहते थे लेकिन अमिताभ को उस फिल्म की स्क्रिप्ट खास जमी नहीं.  उसके बाद भी के भाग्यराज ने हार नहीं मानी और उन्होंने एक और फिल्म लिखी जिसका नाम था ‘आखिरी रास्ता’. ये फिल्म भी उनकी तमिल फिल्म की ही रीमेक थी जिसमें कमल हासन ने लीड रोल निभाया था ‘ओरु कैदियन डायरी’. 



Aakhree Raasta (1986) Bollywood Movie Poster

फिल्म ‘आखिरी रास्ता’ में अमिताभ बच्चन के साथ जया प्रदा और श्रीदेवी जैसी शानदार अदाकाराओं ने अहम किरदार निभाया था, इस फिल्म में अमिताभ बाप और बेटा दोनों के किरदार में नजर आए थे, यानि डबल रोल में.  साथ ही इस फिल्म को मशहूर कम्युनिस्ट नेता ए पूर्णचंद्र राव ने प्रड्यूस किया था जो इससे पहले साउथ की बहुत सी बड़ी फिल्मों को प्रड्यूस कर चुके थे. फिल्म बनी और बॉक्स ऑफिस पर बेहद कामयाब रही, लेकिन इस फिल्म को बनाना इतना आसान भी नहीं था क्योंकि ये बात तो के भाग्यराज तय कर चुके थे कि वो अपनी पहली हिंदी फिल्म अमिताभ बच्चन के साथ ही बनाएंगे, लेकिन अमिताभ का क्या?


खैर, जब फिल्म की कहानी तैयार हो गई तो प्रड्यूसर पूर्णचंद्र राव ने कहानी सुनाने के लिए अमिताभ को चेन्नई बुलवा लिया. अमिताभ को फिल्म ‘आखिरी रास्ता’ की कहानी पसंद आ गई लेकिन उन्हें के भाग्यराज के डायरेक्शन पर शक था, उन्हें लगा था कि इन्होंने इससे इससे पहले कोई भी हिंदी फिल्म डायरेक्ट नहीं की है और ना ही उन्हें हिंदी भाषा का कोई ज्ञान नहीं है, मगर पूर्णचंद्र को भाग्यराज पर भरोसा था. काफी समझाने के बाद अमिताभ ने भाग्यराज को एक सीन समझाने के लिए कहा, भाग्यराज ने बहुत ही अच्छे तरीके से अमिताभ को पूरा सीन एक्ट करके समझाया, जो अमिताभ को भी काफी पसंद आया. फिर क्या था एक मोटा साइनिंग अमाउंट लेकर अमिताभ मुंबई वापस आ गए. 


फिल् ‘आखिरी रास्ता’ में विलेन का किरदार सदाशिव अमरापुरकर ने किया था, लेकिन उनसे पहले इस किरदार के लिए अनुपम खेर से बात की गई थी. उस वक्त अनुपम, सुभाष घई की फिल्म ‘कर्मा’ साइन कर चुके थे जिसमें वो ‘डॉक्टर डैंग’ का नेगेटिव किरदार निभा रहे थे तो उन्हें लगा कि लगातार दो फिल्मों में विलेन बनना शायद उनके करियर के लिए ठीक नहीं होगा तो उन्होंने के भाग्यराज की फिल्म में विलेन के किरदार के  लिए इंकार कर दिया. हालांकि उन्होंने इसी फिल्म में डेविड यानि अमिताभ के दोस्त का किरदार निभाया था. अमिताभ के साथ ये अनुपम की पहली फिल्म थी, जिसमें दोनों की दोस्ती को लोगों ने काफी पसंद भी किया था. वहीं दूसरी तरफ श्रीदेवी और अमिताभ बच्चन की जोड़ी को भी लोगों ने खूब प्यार दिया, इससे पहले दोनों फिल्म ‘इंकलाब’ में भी साथ काम कर चुके थे. 



फिल्म ‘आखिरी रास्ता’ के गाने भी काफी पॉपुलर हुए थे. अमिताभ बच्चन और श्रीदेवी पर फिल्माया गया गाना ‘गोरी का साजन साजन की गोरी’ दर्शकों के बीच काफी लोकप्रीय हुआ, जिसे मोहम्मद अजीज ने अपनी आवाज दी और हीरोइन की आवाज के लिए इसमें एस जानकी को चुना गया.


 इसके अलावा बात करें फिल्म के संवाद की तो उन्हें मशहूर राइटर राही मासूम रजा ने लिखा. शुरू से अंत तक बाकी सब तो ठीक था लेकिन फिल्म के संवादों को लेकर अमिताभ और  के भाग्यराज के बीच खटपट चलती ही रही. खबरों की माने तो उन दिनों इंदिरा गांधी के देहांत के बाद अमिताभ अपने करीबी दोस्त राजीव गांधी को सपोर्ट करने के लिए राजनीति में व्यस्त हो रहे थे, जिसकी वजह से उन्हें अक्सर, दिल्ली से मुंबई, मुंबई से ऊटी तो कभी इलाहाबाद या भी चेन्नई आना-जाना पड़ता था, जो काफी तनाव भरा था. जिसका असल ‘आखिरी रास्ता’ की शूटिंग पर भी पड़ता था.



इतना ही नहीं फिल्म के लाइमेक्स सीन को फिल्माने को लेकर तो अमिताभ और के भाग्यराज में झड़प हो गई थी. उस सीने के संवादों को लेकर दोनों के बीच मामला इतना बिगड़ गया था कि उन्होंने वहां मौजूद सभी लोगों को वहां से जाने के लिए भी कह दिया था ताकि अमिताभ और वो अकेले में इस मुद्दे पर बात कर सकें. काफी वाद- विवाद के बाद भाग्यराज ने अमिताभ को ये कहकर मना लिया कि, ‘एक बार आपके अनुसार शूटिंग कर लेते हैं और एक बार जैसे मैं चाहता हूं.’ फिर सीन देखने के बाद जो अच्छा लगेगा उसे फिल्म में रख लेंगे. हालांकि अंत में हुआ वहीं जो भाग्यराज चाहते थे. उस आखिर सीन को शूट करने के बाद के भाग्यराज हिंदी फिल्मों से तोबा कर गए. तमाम हिंदी फिल्मों के ऑफर उन्होंने ठुरा दिए लेकिन 10 साल तक कोई हिंदी फिल्म नहीं बनाई. फिर 10 साल बाद अनिल कपूर और श्रीदेवी के साथ उन्होंने ‘मिस्टर बेचारा’ बनाई जो उनकी ही तमिल फिल्म ‘वीतिले विशेषांगा’ की हिंदी रीमेक थी.