40-50s Hindi Cinema Actress: गुजरे जमाने की जानी-मानी अदाकारा सुलोचना की हालत नाजुक है. ऐसे में 94 साल की सुलोचना को अस्पताल में भर्ती कराया गया है. मुंबई के सुश्रृषा अस्पताल में दिग्गज अदाकारा का इलाज चल रहा है. सुलोचना की बेटी कांचन घाणेकर ने एबीपी‌ न्यूज़ से खास बातचीत की जिसमें उन्होंने बताया कि एक्ट्रेस सुलोचना को‌ सांस लेने में तकलीफ हो रही थी. वहीं उम्र संबंधी अन्य बीमारियों के चलते उन्हें अस्पताल में दाखिल कराया गया है. उनकी तबीयत बिगड़ती ही चली जा रही है.


वेंटिलेटर पर सुलोचना


शनिवार के दिन सुलोचना की तबीयत ज्यादा बिगड़ गई थी, ऐसे में देर रात उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया.इससे पहले तक उन्हें लगातार ऑक्सीजन दी जा रही थी. इसी साल मार्च महीने में भी सुलोचना की तबीयत काफी बिगड़ गयी थी. तब भी सांस लेने और उम्र संबंधी अन्य बीमारियों के चलते उन्हें अस्पताल में दाखिल कराया गया था.लेकिन 3 हफ्ते अस्पताल में इलाज के बाद वो ठीक हो गई थीं. इसके बाद डॉक्टरों ने उन्हें वापस घर भेज दिया था.


बता दें कि मार्च महीने में जब सुलोचना गंभीर हालत में भर्ती हुईं थीं तो महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने उनके इलाज का सारा खर्च उठाने की बात कही थी. मुख्यमंत्री कोष से फौरी रूप से इलाज के लिए अस्पताल को 3 लाख रुपये भी दिये थे.


मराठी फिल्मों का जाना माना चेहरा रही सुलोचना


सुलोचना ने 50 से अधिक मराठी  फ़िल्में कीं. जिनमें वे लीड हीरोइन से लेकर सपोर्टिव रोल में नजर आई थीं. बतौर एक्टर सुलोचना ने 40 के दशक में मराठी फ़िल्मों से अभिनय की दुनिया में कदम रखा था. कई हिट मराठी फिल्में देने‌ के बाद वे हिंदी फिल्मों की भी हीरोइन बनीं.


हिंदी फिल्मों में किया ढेर सारा काम


सुलोचना ने हिंदी सिनेमा में 250 से भी अधिक फ़िल्मों में काम किया है. 40 के दशक में अपने करियर के शुरुआती दिनों में उन्होंने कई बड़ी फ़िल्मों में हीरोइन के रोल निभाए थे,लेकिन बाद में हिंदी सिनेमा में उनकी पहचान एक 'मां' का किरदार निभाने वाली अदाकारा के तौर पर होने लगी थी.


सुलोचना ने सैंकड़ों फ़िल्मों में बड़े-बड़े हीरो/हीरोइन की मां और उनके रिश्तेदारों की भूमिकाएं निभाईं और एक चरित्र अभिनेत्री के तौर पर भी अपनी एक अलग पहचान बनाई. उन्होंने एक मां के रूप में देव आनंद, सुनील दत्त, राजेश खन्ना की मां/रिश्तेदार की भूमिकाएं सबसे अधिक बार निभाई थीं. एक इंटरव्यू में भी इस बात का जिक्र किया था कि उन्हें इन तीनों हीरो की मां की भूमिका निभाना बहुत पसंद है.


सुलोचना ने‌ 50 के दशक के अंत में मां और चरित्र भूमिकाएं निभाना शुरू किया था, इससे पहले तक उन्होंने हिंदी और मराठी फिल्मों में लीड हीरोइन के तौर पर काम किया. इस दौरान उन्होंने अशोक कुमार, त्रिलोक कपूर और नाजिर हुसैन जैसे 40 और 50 के दशक के कई हीरो के अपोजिट लीडर एक्टर के रूप में काम किया.


सिनेमा में योगदान देने के लिए मिला था सम्मान


सुलोचना को 1999 में पद्मश्री पुरस्कार से, 2004 में फिल्मफेयर लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड से, तो वहीं महाराष्ट्र सरकार की ओर से साल 2009 में प्रतिष्ठित महाराष्ट्र भूषण पुरस्कार से नवाजा जा चुका है. सुलोचना का पूरा नाम सुलोचना लाटकर है, मगर वे सुलोचना नाम से ही मशहूर हुईं और इसी स्क्रीननेम से हमेशा जानी जाती रहीं.


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