50 साल बाद भी खुद को सिनेमा का छात्र मानते हैं राकेश रोशन
मुंबई: भारतीय मनोरंजन उद्योग में 50 साल पूरे करने के बाद भी अभिनेता-फिल्मकार राकेश रोशन का कहना है कि समय गुजरने के साथ उन्हें सबसे बड़ी सीख 'हमेशा छात्र बने रहने की' मिली है. राकेश रोशन ने बधाई संदेशों पर प्रतिक्रिया देते हुए रविवार को ट्वीट किया, "बधाई के लिए आप सबका धन्यवाद. इन 50 सालों में मैंने जो सबसे अच्छी बात सीखी है, वह है: हमेशा छात्र बने रहो. अपने सपनों को साकार करने की कोशिश कर रहे सभी छात्रों को शुभकामनाएं."
राकेश रोशन ने 1967 में अपना सिनेमाई सफर शुरू किया और 1970 में फिल्म 'घर-घर की कहानी से अभिनय की दुनिया में आगाज किया. उन्होंने 'खट्टा मीठा', 'खेल खेल में' और 'खूबसूरत' जैसी फिल्मों में अपने अभिनय से दर्शकों का मनोरंजन किया.
राकेश रोशन ने फिल्म 'खुदगर्ज' (1987) से निर्माण के क्षेत्र में कदम रखा. ऋतिक रोशन ने इस मौके पर ट्विटर पर लिखा, "सिनेमा में पिता के 50 साल के सफर का जश्न, लेकिन वह ऑफिस में हैं और 100 साल की ओर कदम बढ़ा रहे हैं. हमारे लिए असंभव उदाहरण पेश करने के लिए आपका शुक्रिया डैड. हम आपको प्यार करते हैं पापा."
पिता और बेटे ने मिलकर 'कहो ना.प्यार है' और 'कोई मिल गया' जैसी सफल फिल्में दी हैं.
ऋतिक ने एक बार आईएएनएस को दिए साक्षात्कार में कहा था कि उनके पिता जोश से भरपूर और ऊर्जावान रहते हैं और उनकी जगह कोई नहीं ले सकता. वह हमेशा रहेंगे और काम करते रहेंगे.