नई दिल्ली: पुरस्कार समारोह में भाग लिए बिना पुरस्कार जीतने से लेकर भारतीय सिनेमा में नए प्रयोग करने तक अभिनेता-फिल्म निर्माता आमिर खान ने पिछले 30 वर्षो में न केवल सिने जगत के तय नियमों को तोड़कर अपना परचम लहराया, बल्कि उद्योग में हो रहे बदलाव पर भी उनकी नजर बनी रही.
उनका मानना है कि कुछ दशकों में भारतीय दर्शकों की सोच और समझ में काफी बदलाव आया है, जो सिने जगत के लिए काफी अच्छा है. आमिर ने बुधवार को मीडिया के साथ बातचीत के दौरान कहा, "मेरा मानना है कि पिछले 30 वर्षो में जब से मैं अभिनय जगत से जुड़ा हूं, दर्शकों की सोच और समझ बदली है. मैं जानता हूं कि अगर 'जो जीता वही सिकंदर' जैसी फिल्में आज बनाईं जाएं तो, बॉक्स ऑफिस पर हिट होंगी क्योंकि आज के दौर के दर्शक ऐसी ही फिल्में पसंद करते हैं. जब मैं फिल्म उद्योग में आया, तो मैं ऐसे प्रयोग करने वालों में अकेला ही था."
उन्होंने कहा, "मैं ऐसी फिल्में करता था, जिन पर मुझे भरोसा था, लेकिन बाजार और कई अन्य लोग इस तरह कि फिल्मों पर विश्वास नहीं करते थे. कुछ ही लोग उसमें काम करते थे. मैं लगातार प्रवाह के विपरित दिशा में बह रहा था. अब समय बदल गया है. अब ऐसी फिल्मों को मुख्यधारा का सिनेमा कहा जाता है."
संजय दत्त का रोल करना चाहता था
इस दौरान आमिर खान ने बताया कि फिल्म संजू उन्हें ऑफर की गई थी लेकिन उन्होंने फिल्म करने से मना कर दिया क्योंकि उन्हें संजय दत्त का किरदार निभाना था. आमिर ने कहा, मुझे राजू ने फिल्म की स्क्रीप्ट ऑफर की थी और जब मैनें स्क्रिप्ट पढ़ी तो मुझे उसमें संजय दत्त का किरदार बहुत पसंद आया. फिल्म की स्क्रीप्ट बेहद अच्छे तरीके से लिखी गई थी. राजू मेरे पास आए थे और उन्होंने कहा था कि वो चाहते हैं मैं फिल्म में दत्त साहब का किरदार निभाऊं. इस फिल्म में पिता और बेटे के रिश्ते को बेहद खूबसूरत तरके से पेश किया गया है.
आमिर ने आगे कहा, दत्त साहब का किरदार भी अपने आप में खास था, लेकिन मुझे फिल्म में संजय दत्त का किरदार ज्यादा पसंद आया था. इसलिए मैंने राजू कह दिया कि मुझे प्लीज कोई रोल मत ऑफर कीजिए इस फिल्म में, क्योंकि मैं कर नहीं पाउंगा. संजय का रोल मैं कर नहीं सकता क्योंकि वो रणबीर कपूर कर रहा है. मैं जानता हूं रणबीर ने फिल्म में बेहद उम्दा काम किया है.
यहां देखें फिल्म 'संजू' का टीजर