'आशिकी' फेम राहुल रॉय 1990 के बाद एक बहुत बड़े स्टार बन गए थे, लेकिन 'जुनून', 'सपने साजन के' और अन्य कई फिल्में 'आशिकी' उतनी पॉपुलैरिटी नहीं दिला पाई. एक इंटरव्यू के दौरान राहुल से पूछा गया कि उनकी फिल्मों के असफल होने के बाद क्या इंडस्ट्री में आपके साथ अलग व्यवहार हो रहा था? इस पर रॉय ने सहमति जताई और कहा कि उनकी फिल्में असफल होने के बाद चीजों में बदलाव तो हुआ लेकिन उन्होंने इसे कभी दिल से नहीं लगाया.


राहुल ने कहा, 'बिल्कुल, जब मैं आशिकी के साथ आया था, तब बहुत ही ऊंचाइयों पर था और इसके बाद मैंने जुनून की या कई फिल्में की, मैं उन ऊंचाइयों पर नहीं पहुंच पाया. मैं इसे स्वीकार करता हूं. बिल्कुल, मेरे सहकर्मियों और मेरे बीच बड़े बदलाव भी आए, सभी लोगों और मुझ में बदलाव हुए लेकिन उसका तो हमें पता था ना? जब मैं आया, भट्ट साहब ने मुझसे कहा कि राहुल यह एक अकेलेपन की जर्नी होने जा रही है. इसे मैंने बहुत ही गंभीरता से लिया.'


राहुल ने कहा,'मैंने बहुत से अभिनेताओं को देखा है, मेरे सीनियर्स जो उस दौर से हैं और छोड़ दिए गए हैं लेकिन मुझे कभी बैसाखी की जरूरत नहीं पड़ी. मैं अपने सहयोगियों की स्वीकृति नहीं चाहता और न ही वे. लेकिन, मैं उनमें से बहुत से लोगों से मिला और उनसे काम मांगा कि अगर मेरे लिए कुछ अच्छा है, तो क्यों नहीं? अगर नहीं, तो कोई बात नहीं. मेरी बात यह है कि क्या मेरी फिल्म छोटी है, मैं अभी भी नायक की भूमिका निभा रहा हूं.'


राहुल रॉय ने आगे कहा, ' अगर मैं एक बड़े सेटअप का हिस्सा हूं, जहां मेरी भूमिका यादगार होती है तो मैं ऐसा क्यों करूंगा? मैं उनके साथ काम करना पसंद करूंगा, अगर उन्हें लगता है कि मैं उनके साथ काम करने के लिए योग्य हूं, तो ठीक है, अगर नहीं, तो मैंने इस पर अपनी सांस भी बर्बाद नहीं की.'


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