Abhay Deol On Family Women Cannot Do Films: बॉलीवुड के ही-मैन यानी धर्मेंद्र को किसी पहचान की जरूरत नहीं है. वहीं उनके दोनों बेटे सनी देओल और बॉबी देओल भी अपने जमाने के सुपरस्टार रहे हैं. वे आज भी फिल्मों में बने हुए हैं और धमाल मचा रहे हैं. लेकिन धर्मेंद्र की फैमिली के महिलाएं फिल्म इंडस्ट्री का हिस्सा नहीं हैं. ऐसे में बार-बार ये सवाल भी उठते रहते हैं कि आखिर देओल फैमिली की औरतें लाइमलाइट से दूर क्यों रहती हैं?
धर्मेंद्र की दूसरी बीवी हेमा मालिनी और उनकी बेटियां शोबिज का हिस्सा हैं. लेकिन एक्टर की पहली पत्नी प्रकाश कौर, उनकी बेटियां विजेयता और अजीता का फिल्म इंडस्ट्री से दूर-दूर तक कोई लेना देना नहीं हैं. धर्मेंद्र की बहुएं पूजा देओल और तानिया देओल भी लाइमलाइट से दूर रहती हैं. यहां तक कि इनके सोशल मीडिया अकाउंट भी प्राइवेट हैं. ऐसे में धर्मेंद्र के भतीजे और एक्टर अभय देओल ने इसकी वजह बताई है.
'उन्हें काम करने की इजाजत है लेकिन फिल्मों में नहीं'
फिल्मफेयर को दिए हालिया इंटरव्यू में अभय देओल ने कहा- 'उन्हें काम करने की इजाजत है लेकिन फिल्मों में नहीं.' अभय कहते है- 'बड़े होने के दौरान हम काफी कंजर्वेटिव थे, हम एक जॉइंट फैमिली में पले बढ़े थे और घर में सात बच्चे थे. फिल्में कुछ ऐसी चीज थीं जिनसे मैं बचपन से ही वाकिफ था, अपने चाचा और पिता की वजह से. वे आम से बैकग्राउंड से आए थे, वे गांव से आए थे और उनके लिए बड़ा शहर और ग्लैमर की दुनिया अजनबी थी.'
'छोटे शहर की वैल्यूज को बरकरार रखना...'
अभय आगे कहते हैं- 'वे (पापा और चाचा) अपने छोटे शहर की वैल्यूज को बरकरार रखना चाहते हैं. उस समय मुझे ये समझ नहीं आया कि उन्हें फिल्मी पार्टियों में जाने, जैसा कि वे उन्हें कहते हैं, या इंडस्ट्री के बच्चों या इंडस्ट्री के बच्चों के साथ घुलने-मिलने से क्यों रोका जाता था. वे हमारी हिफाजत करने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन तब मैं कंफ्यूज था.'
वकील बनाना चाहती थी फैमिली
एक्टर ने कहा- 'मैंने फिल्म इंडस्ट्री में जो किया उससे मेरी फैमिली को बिल्कुल भी हैरान नहीं हुई. वे हमेशा कहते थे कि मुझे या तो वकील बनना चाहिए या एक्टर. अगर आप बॉबी या सनी देओल से पूछेंगे तो वे यही कहेंगे कि मैं बहुत बहस करता हूं. मैंने बाएं हाथ के खिलाड़ी की तरह शुरुआत की और उन्होंने मुझे दाएं हाथ का बना दिया और मैं इस पर सवाल उठाता रहा. अपने करियर की शुरुआत में, मैंने जो फिल्में चुनीं, वे परेशान थे. उन्होंने मेरी पहली फिल्म सोचा ना था बनाई और वे इससे सहमत थे.'
फिल्मों को लेकर परेशान थी अभय की फैमिली
अभय ने कहा- 'बाद में मनोरमा या एक चालीस की लास्ट लोकल जैसी पसंद के साथ, उन्होंने देव डी और ओए लकी लकी ओए के साथ मेरी पसंद के साथ समझौता कर लिया. वे नहीं चाहते थे कि मैं उस रास्ते पर जाऊं, क्योंकि वे परेशान थे. मेरे पिता परेशान थे, वे मनोरमा से नफरत करते थे क्योंकि वो भाषा नहीं थी जिसे वे समझते थे या कोई बदलाव उन्होंने होते हुए नहीं देखा था.'
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