मुंबई: अभिनेता एवं लेखक आशुतोष राणा ने नसीरुद्दीन शाह के 'अभिव्यक्ति की आजादी' वाले वीडियो पर प्रतिक्रिया जताते हुए कहा कि लोगों को अपनी राय बेहतरीन तरीके से पेश करनी चाहिए. नसीरुद्दीन शाह एक वीडियो में देश में अपने बच्चों की सुरक्षा को लेकर चिंता जता रहे हैं, जिसमें वह कह रहे हैं कि जो लोग भारत में अन्याय के खिलाफ खड़े होते हैं, उनकी आवाज को चुप कराया जा रहा है. इस वीडियो के बाद खासा विवाद मचा था.


आशुतोष से यह पूछे जाने पर कि क्या आज के परिवेश में नागरिक कुछ मुद्दों पर अपने विचार व्यक्त करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं? इस पर उन्होंने कहा, "स्वतंत्रता और घबराना दो अलग चीजे हैं. मुझे लगता है कि अभिव्यक्ति की आजादी होनी चाहिए और बोलने से घबराना नहीं चाहिए. अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में दो लोगों के बीच विचारों को लेकर मतभेद हो सकते हैं, लेकिन यह जरूरी नहीं है कि हम बेढंगे तरीके से खुद को व्यक्त करें."


आशुतोष राणा अपनी फिल्म 'सिम्बा' की सफलता के बाद शनिवार को संवाददाताओं से बात कर रहे थे. उन्होंने कहा, "मैं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का प्रबल समर्थक हूं और सभी को अपनी राय व्यक्त करने का पूरा अधिकार होना चाहिए, लेकिन इस दौरान हमें यह याद रखना चाहिए कि हम एक-दूसरे के दुश्मन नहीं हैं, हमारे बीच सिर्फ विचारों को लेकर मतभेद हैं."


रोहित शेट्टी के निर्देशन में बनी 'सिम्बा' बॉक्स ऑफिस पर धुंधाधार कमाई कर रही है. फिल्म ने रिलीज के बाद से लगभग 175 करोड़ रुपये की कमाई की है.


एमनेस्टी के वीडियो में फिर बोले नसीरुद्दीन शाह
हाल में नसीरुद्दीन शाह ने एक बार फिर कहा कि भारत में धर्म के नाम पर दीवार खड़ी की जा रही है. उन्होंने कहा कि भारत में धर्म के नाम पर नफरत की दीवार खड़ी की जा रही है और इस अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने वाले लोगों को सजा दी जा रही है. मानवाधिकारों पर नजर रखने वाली संस्था एमनेस्टी के लिए 2.13 मिनट के एकजुटता वीडियो में शाह ने कहा कि जिन लोगों ने मानवाधिकारों की मांग की उन्हें जेल में डाला जा रहा है.


नसीरुद्दीन शाह ने कहा कि जो इस ‘‘अन्याय’’ के खिलाफ खड़ा होता है उन्हें चुप कराने के लिए उनके कार्यालयों में छापे मारे जाते हैं, लाइसेंस रद्द किए जाते हैं और बैंक खाते फ्रीज किए जाते हैं ताकि वे सच ना बोलें.






इस वीडियो में वो उर्दू में बोलते हुए कहते दिख रहे हैं, ‘हमारा देश कहां जा रहा है? क्या हमने ऐसे देश का सपना देखा था जहां असंतोष की कोई जगह नहीं है, जहां केवल अमीर और शक्तिशाली लोगों को सुना जाता है और जहां गरीबों तथा सबसे कमजोर लोगों को दबाया जाता है? जहां कभी कानून था लेकिन अब बस अंधकार है.’


पहले भी हुआ था नसीरुद्दीन शाह के बयान पर विवाद
नसीरुद्दीन शाह ने पिछले महीने यह कह कर विवाद खड़ा कर दिया था कि गाय की मौत एक पुलिस अधिकारी की मौत से अधिक महत्वपूर्ण है. वह उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में तीन दिसंबर को कथित गोकशी को लेकर हुई भीड़ की हिंसा की घटना पर बोल रहे थे. हिंसा में पुलिस इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह समेत दो लोगों की मौत हो गई थी. गौरतलब है कि प्रवर्तन निदेशालय ने विदेशी लेनदेन उल्लंघन मामले के संबंध में यहां एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया के दो ठिकानों पर अक्टूबर में तलाशी ली थी.’