अभिनेता ओमपुरी कभी खराब अंग्रेज़ी को लेकर रहते थे मायूस, फिर भी 20 इंग्लिश फिल्मों में किया काम
ओमपुरी यानि एक ऐसे कलाकार जिन्होंने ना केवल भारत बल्कि दुनियाभर में अपनी कला का लोहा मनवाया. भारतीय सिनेमा में तो उनका योगदान रहा ही साथ ही ब्रिटिश और अमेरिकी फिल्मों में भी उनकी मौजूदगी दर्ज हुई.
एक बेहद ही साधारण सा चेहरा...लेकिन गज़ब की दमदार आवाज़ और एक्टिंग से प्यार ने ओमपुरी को बेहद ही अनूठा कलाकार बनाकर दर्शकों के सामने पेश किया. ऐसे ऐसा कलाकार जिसने ना केवल भारत बल्कि दुनियाभर में अपनी कला का लोहा मनवाया. भारतीय सिनेमा में तो उनका योगदान रहा ही साथ ही ब्रिटिश और अमेरिकी फिल्मों में भी उनकी मौजूदगी दर्ज हुई. 18 अक्टूबर, 1950 को अंबाला में जन्मे ओमपुरी के जीवन से जुड़ी कुछ ऐसी ही खास बातें हम आपको बताने जा रहे हैं.
तंगहाली में बीता बचपन
यूं तो ओमपुरी के पिता रेलवे में कर्मचारी थे लेकिन सीमेंट की चोरी के आरोप में उन्हें जेल हो गई. तब अभिनेता की उम्र महज़ 6 साल की ही थी. लेकिन घर चलाने के लिए इतनी कम उम्र में भी उन्हें चाय की एक छोटी सी दुकान में काम करना पड़ा.
बचपन से था पढ़ने लिखने का शौक
ओमपुरी जीवन में भले ही कितने ही उतार चढ़ावों से जूझ रहे थे. लेकिन उन्हें पढ़ने लिखने का शौक था और वो एक्टिंग भी काफी पसंद करते थे. शायद इसीलिए वो काम करने के साथ साथ कुछ अलग करना चाहते थे. ओमपुरी बड़े हुए और हालात कुछ सुधरे तो उन्होंने नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा, दिल्ली में एडमिशन ले लिया. यही उनकी मुलाकात नसीरुद्दीन शाह से हुई. जिन्होंने ओमपुरी को फिल्म एंड टेलीविज़न इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया, पूणे में जाने के लिए प्रेरित किया. यहां से भी उन्होंने एक्टिंग के गुर सीखे.
शुरु हुआ फिल्मी करियर
ओमपुरी की पहली फिल्म थी ‘चोर-चोर छुप जा’ जो खासतौर से बच्चों की फिल्म थी. इसके बाद एक्टर ने एक एक्टिंग स्टूडियो में काम करना शुरु किया. जहां गुलशन ग्रोवर और अनिल कपूर जैसे सितारे उनके स्टूडेंट बने. इसके बाद ओमपुरी आगे ही आगे बढ़ते गए और उन्होंने कई शानदार फिल्मों में अभिनय किया. स्पर्श, आक्रोश, कलयुग, गांधी, जाने भी दो यारों, अर्ध सत्या, मंडी, पार, मिर्च मसाला, चाची 420, चोर मचाए शोर, मकबूल, धूप, मालामाल वीकली, दबंग, द गाजी अटैक उनकी शानदार फिल्मों में से एक हैं.
कई अंग्रेज़ी फिल्मों में भी आए नज़र
जब ओमपुरी एनएसडी में थे तब उन्हें अक्सर अपने दोस्तों की अंग्रेज़ी सुनकर खुद की अंग्रेज़ी पर अफसोस होता था. लेकिन उन्होंने यहां भी हार नहीं मानी. उन्होंने इंग्लिश भाषा पर अपनी पकड़ बनाई. जिसमें उनका साथ एक बार फिर दिया नसीरुद्दीन शाह ने. धीरे धीरे उनकी अंग्रेज़ी इतनी अच्छी हो गई कि वो कई इंग्लिश फिल्मों में नज़र आए. उन्होंने Gandhi (1982). My Son the Fanatic (1997), East Is East (1999)] and The Parole Officer (2001), City of Joy (1992), Wolf (1994), The Ghost and the Darkness (1996) जैसी कई फिल्मों में शानदार रोल निभाया. अपने करियर में उन्होंने लगभग 300 के करीब फिल्मों में काम किया. और कई धारावाहिकों में भी अपनी मौजूदगी दर्ज कराई. हालांकि 6 जनवरी, 2017 को हार्ट अटैक आने से इस उम्दा और बेहतरीन सितारे ने दुनिया को अलविदा कह दिया. और ये वाकई भारतीय सिनेमा के लिए कभी ना भरने वाली क्षति थी.