मुंबई: हाल ही में 'दोपहरी' के प्रकाशन से उपन्यास लेखन की दुनिया में कदम रख चुके दिग्गज अभिनेता पंकज कपूर का मानना है कि किसी भी व्यक्ति को कम से कम अपने माता-पिता का खयाल तो रखना चाहिए.


65 साल के कपूर ने बताया, "मेरी चिंता बुजुर्ग पीढ़ी के प्रति और उनके साथ होने वाले व्यवहार को लेकर भी है. हम उनकी उपेक्षा करते आए हैं और आज भी हम उनकी उपेक्षा करते हैं. हम 50 और 60 के दशक के अपने लोगों पर जरा भी ध्यान नहीं देते हैं, जिन्हें समाज में रहने के साथ ही मनुष्य के तौर पर अपनी पहचान, शिक्षा और ख्याल रखने की आवश्यकता होती है."


थियेटर के दिग्गज कलाकार ने अपने उपन्यास में एक बुजुर्ग महिला अम्मा बी की कहानी बताई है, जो उम्र के 60वें पड़ाव पर है, और लखनऊ में अकेली रहती है.





हार्पर कॉलिंस द्वारा प्रकाशित इस उपन्यास का सार कुछ इस तरह है, "हर दोपहर ठीक 3 बजे, उन्हें अनजाने पैरों की आहट सुनाई देती है. हर दिन दोपहर वह बाहर झांकती हैं, लेकिन वहां कोई नहीं रहता. धीरे-धीरे बढ़ते डर के कारण अम्मा बी वृद्धाश्रम जाने के बारे में विचार करने लगती हैं, तभी उनके यहां एक युवा किराएदार आती है, जिसका नाम साहिबा है. उस युवती के आने से अम्मा बी की सूनी दुनिया प्यार और हंसी ठिठोली से भर जाती है."


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अभिनेता ने आगे कहा, "हर व्यक्ति को इन चीजों पर ध्यान देना चाहिए. कम से कम एक इंसान अपने माता-पिता का और बुजुर्गो का खयाल तो रख सकता है. आखिरकार उनके माता-पिता अपनी जिंदगी का आधे से अधिक वक्त उन्हें पालने-पोसने और बड़ा करने में बिता देते हैं."


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