चेन्नई: अभिनेता महेश बाबू के बाद अभिनेता-राजनेता पवन कल्याण भी जल्लीकट्टू के समर्थन में उतरे हैं. उन्होंने कहा कि सांड़ों के खेल पर बैन लगाना द्रविड़ संस्कृति और इसकी अखंडता पर सीधा हमला है.


पवन कल्याण ने शुक्रवार को ट्विटर पर कहा, "भारत सरकार द्वारा मुर्गो की लड़ाई और जल्लीकट्टू पर बैन द्रविड़ संस्कृति पर हमला है. इसे दक्षिण हिंदुस्तान में इसी रूप में देखा जा रहा है. तमिलनाडु के पोल्लाची में शूटिंग के दौरान मैंने देखा कि इससे लोगों के दिल पर गहरी चोट लगी है."


उन्होंने कहा, "पशु क्रूरता के कारण जल्लीकट्टू पर बैन लगाया गया. अगर वास्तव में इस दृष्टिकोण पर हमारा विचार नैतिकतावादी है तो हमें भारतीय बीफ के निर्यात और पोल्ट्री उद्योग के आंकड़ों पर जांच करनी चाहिए."


पवन ने कहा कि पशुवध पशु क्रूरता में शामिल क्यों नहीं है. उन्होंने कहा, "पशु क्रूरता अधिनियम केवल जल्लीकट्टू पर ही क्यों लागू किया गया? इसमें जानवरों के घायल होने या मरने की संख्या व्यापार के लिए इनका किए जाने वाले वध की तुलना में नगण्य है."


राज्य में जल्लीकट्टू के समर्थन में प्रदर्शन की शुरुआत सोमवार से हुई. जल्लीकट्टू के लिए जारी प्रदर्शन के समर्थन में शुक्रवार को दक्षिण भारतीय फिल्म जगत के कलाकार भी एक दिवसीय उपवास पर हैं.