स्टार कास्ट: मनोज बाजपेयी, सिद्धार्थ मल्होत्रा, रकुल प्रीत सिंह, कुमुद मिश्रा, नसीरूद्दीन शाह, आदिल हुसैन, पूजा चोपड़ा


डायरेक्टर: नीरज पांडे


रेटिंग: 2.5 स्टार


आपको गूगल करने की जरूरत नहीं सबसे पहले आपको 'अय्यारी' का मतलब बता देते हैं. अय्यारी शब्द अय्यार सेे बना है. अलग-अलग रूप बदल ले उसे 'अय्यार' कहते हैं. इस फिल्म के डायरेक्टर नीरज पांडे हैं जिन्होंने इससे पहले 'ए वेडनेसडे', 'बेबी' और 'स्पेशल 26' जैसी फिल्में बनाई हैं. ये फिल्म अगर आपने देखीं हों तो जरूर पता होगा कि इन्हें क्यों इतना पसंद किया गया. जबरदस्त कहानी, दमदार एक्टिंग, सस्पेंस और आखिर में लोगों के लिए एक महत्वूपर्ण मैसेज ने इन फिल्मों को अब तक की शानदार फिल्मों में से एक बना दिया. लेकिन नीरज की 'अय्यारी' में वो बात नहीं जो उन फिल्मों में थी.


कहानी


वैसे तो फिल्म की कहानी ऐसी है कि कहां आ रही है और कहां जा रही समझ नहीं आता. फिर भी आपको बता देते हैं. कर्नल अभय सिंह (मनोज बाजपेयी) और मेजर जय बख्शी (सिद्धार्थ मल्होत्रा) दोनों आर्मी की सीक्रेट यूनिट के लिए काम करते हैं. अचानक जय बख्शी गायब हो जाता है और वो कुछ सूचनाएं लीक करने लगता है जिसकी वजह से अभय उसे 'गद्दार' मानता है. फिर ये कहानी दिल्ली से होते हुए लंदन तक पहुंच जाती है.



इस बीच आर्म्स डील में किस तरह घोटाले होते हैं, कश्मीर के मुद्दे पर कैसे सबकी दुकानें चल रही हैं जैसी बहुत सारी छोटी-छोटी कहानियां देखने को मिलती हैं. बीच में कॉमन मैन नसीरूद्दीन शाह की भी एंट्री होती है और उनके जरिए सस्पेंस क्रिएट किया जाता है. आर्म्स डीलर जो कि चार गुना कीमत पर हथियार बेचता है वो कैसे आर्मी चीफ को ब्लैकमेल करता है ये दिखाया जाता है. आखिर जय बख्शी वाकई गद्दार है? क्या अभय आर्मी चीफ को ब्लैकमेलिंग से बचा पाता है? इस फिल्म में कॉमन मैन का क्या कनेक्शन है? ये सब जानने के लिए आपको फिल्म देखनी होगी.


एक्टिंग


जिस फिल्म में इंडस्ट्री के सारे दिग्गज एक्टर हो उसमें एक्टिंग की क्या बात करें. कश्मीर, करप्शन और देश तो ऐसा मुद्दा है कि जिस पर ठीक-ठाक भी कहानी हो तो लोगों में देशभक्ति जग जाती है. लेकिन यहां ऐसा नहीं हो पाता. नसीरूद्दीन शाह को देखकर 'ए वेडनेसडे' की याद आ जाती है जिसमें कॉमन मैन सब कुछ हिलाकर रख देता है लेकिन यहां वो भी फीके पड़ गए हैं.