नई दिल्ली: मशहूर शायर अकबर इलाहाबादी का आज जन्मदिन है. पेशे से सेशन जज रहे अकबर इलाहाबादी शौकिया तौर शायरी किया करते थे. गंभीर से गंभीर बात को बड़े ही सहज ढंग से कहना ही अकबर इलाहाबादी की सबसे बड़ी खूबी है. उनका असली नाम सैयद अकबर हुसैन रिज़्वी था. उन्हें खान बहादुर का खिताब भी प्रदान किया गया था.


अकबर इलाहाबादी का जन्म 16 नवंबर 1846 को उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जनपद में हुआ था. अकबर एक जिंदा दिल इंसान थे, उनकी शायरी में इसकी झलक भी मिलती है. उन्होने गजल, नज्म, शायर और रुबाई भी लिखी.


जिंदगी के हर पहलू पर उनकी शायरी एक व्यंग्य और नसीहत की तरह नजर आती है.जो सीधे असर करती है. उनकी शायर समाज को एक दिशा भी प्रदान करती है.उनकी शायरी निराशा पैदा नहीं करती है. आज के दौर में भी उनकी शायरी आम इंसान के बेहद करीब दिखाई देती है.


हंगामा है क्यों बरपा, थोड़ी सी जो पी ली है,डाका तो नहीं डाला, चोरी तो नहीं की है. यह अकबर इलाहाबादी की सबसे मशहूर गजल है. इस गजल को सुनने के बाद आज भी लोग अपने आप को तालियां बजाने से नहीं रोक पाते हैं.


पाकिस्तानी मूल के गजल गायक मेंहदी हसन और गुलाम अली ने गाकर अमर बना दिया. गजल गायक गुलाम अली तो इस गजल इस कदर प्रभावित थे कि वे स्वयं भी मानते थे कि जो कुछ भी उन्हें नसीब हुआ है उसमें अकबर इलाहाबादी की इस गजल का बहुत योगदान है. दुनिया में हूं दुनिया का तलबगार नहीं हूं बाज़ार से गुज़रा हूं, ख़रीददार नहीं हूं.


यह उनका बेहद लोकप्रिय शेर है जो आज भी खूब कहा और सुनाया जाता है. भारतीय सिनेमा के सबसे बड़े अभिनेता दिलीप कुमार भी अकबर इलाहाबादी की शायरी और उनके मिजाज से बेहद प्रभावित थे. दिलीप कुमार अक्सर उनके शेरों को सुनाया करते थे. 9 सितंबर 1921 को इस महान शायर का निधन हो गया.


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