Ameen Sayani Death: रेडियो किंग की ये ख्वाहिश रह गई अधूरी, आने वाली पीढ़ियों को बताना चाहते थे अपने संघर्ष की कहानी
Ameen Sayani Death: रेडियो किंग अमीन सयानी इस दुनिया को अलविदा कहकर जा चुके हैं. 91 साल की उम्र में अमीन का हार्ट फेल होने से निधन हो गया है.
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Ameen Sayani Last Wish: एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में आए दिन कोई ना कोई बुरी खबर सामने आ रही है. लोग ऋतुराज सिंह और सुहानी भटनागर के निधन से अभी बाहर नहीं आ पाए थे कि एक और बुरी खबर आ गई है. रेडियो किंग अमीन सयानी का निधन हो गया है. 91 साल की उम्र में हार्ट फेल होने की वजह से अमीन का निधन हुआ है. अमीन सयानी ने अपने रेडियो शो गीतमाला से लोगों को दीवाना बना लिया था. 1952 से 1994 तक इस रेडियो शो का टेलिकास्ट हुआ था. इस शो ने अमीन को घर-घर में पहचान दिलाई थी.
अमीन सयानी पिछले कुछ समय से बीमार चल रहे थे. वह कुछ चीजें भी भूलने लगे थे. ऐसे में वो अपनी एक ख्वाहिश पूरी करना चाहते थे जो अधूरी ही रह गई. उन्होंने अपनी इस ख्वाहिश के बारे में बताया था.
आत्मकथा लिखना चाहते थे अमीन सयानी
अमीन सयानी ने प्रदीप सरदराना से खास बातचीत में कहा था- मैं अपनी आत्मकथा लिखना चाहता हूं. मैं चाहता हूं कि अपनी ज़िंदगी की तमाम खास बातों को एक किताब के रूप में दुनिया के सामने रखूं जिससे आने वाली पीढ़ियां भी जान सकें कि मैंने किन किन संघर्ष और किन किन विकट परिस्थितियों के बावजूद भी कैसे सफलता पाई. मैं समझता हूं इससे लोगों को प्रेरणा मिलेगी और लोग मुझे भी याद रखेंगे.'
चीजे भूलने लगे थे
अमीन ने आगे कहा था- 'अब मेरे गले में भी खराश रहने लगी है. जिससे मुझे रिकॉर्डिंग करने में भी दिक्कत होती है. साथ ही दुख यह है कि मैं अब अपनी बहुत सी बातों को भूलने लगा हूं. इसलिए अब मैं इसी काम में लगा हूं. सब कुछ भूल जाऊं, उससे पहले वह किताब लिख लूं. बस मन में यह डर रहता है कि मेरा यह आखिरी सपना पूरा हो पाएगा या नहीं.'
अमीन की ये आखिरी ख्वाहिश अधूरी रह गई. वो अपनी किताब में वो अपनी लव स्टोरी के बारे में भी बताना चाहते थे. उन्होंने एक कश्मीरी पंडित लड़की से शादी की थी. इसके अलावा वो अपनी स्कूल से लेकर थिएटर तक के बारे में फैंस को बताना चाहते थे.
बता दें अमीन का परिवार स्वतन्त्रता आंदोलन से जुड़ा था. वह तब सिर्फ 7 बरस के ही थे कि अपने भाई ब्रॉडकास्टर हामिद सयानी के साथ ऑल इंडिया रेडियो में पहली बार रेडियो प्रसारण को देखा था. उसी दिन से आवाज़ और अंदाज़ की यह दुनिया अमीन सयानी के दिल ओ दिमाग में ऐसे बसी कि कुछ बरस बाद ही वह खुद आवाज़ की दुनिया के सरताज बन गए.
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