Amitabh Bachchan Birthday Special: बॉलीवुड के मेगास्टार अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) आज अपना 80वां जन्मदिन मना रहे हैं. उनके बर्थडे पर फैंस के साथ फिल्मी हस्तियां भी अपने-अपने अंदाज में बिग बी को विश कर रही हैं. वही रंगीला फेम डायरेक्टर रामगोपाल वर्मा ने भी बिग बी को यूनिक अंदाज में जन्मदिन की बधाई दी है. रामगोपाल वर्मा ने ईटाइम्स को अपनी राइटिंग शेयर करते हुए बताया कि वे चाहते हैं कि बिग बी को एक नए नाम ‘बी बॉम्ब’ बुलाया जाना चाहिए. इसके लिए उन्होंने कारणों की लिस्ट भी दी है.  


जंजीर ने लोगों के दिमाग में किया था बम की तरह धमाका
11 मई 1973 को अमिताभ बच्चन ने 'जंजीर' के पहले दिन दर्शकों के दिमाग में बम की तरह धमाका किया था. फिर ये ऑडियंस चाहे हिंदी भाषी हों या तेलुगु भाषी या तमिल भाषी या कोई और भाषा बोलने वाले हों इससे कोई फर्क नहीं पड़ता था.  इस बम ने अमिताभ बच्चन की बॉडी लैंग्वेज, उनकी आवाज और उनकी आंखों के जरिए लोगों से कम्यूनिकेट किया.


खुद्दार के लिए चीयर्स


विजयवाड़ा में 'खुद्दर' के एक सीन को देखते हुए मैंने पहली बार दर्शकों पर उन प्रभाव महसूस किया था. यह एक सीन था जब बॉम्ब (अमिताभ बच्चन) को पता चला कि उनका भाई झूठ बोल रहा है तो इसके बाद वह एक डिस्कोथेक में घुस जाते हैं, जहां उनका भाई एक लड़की के साथ ग्रूव करते नजर आता है. जैसे ही वह डीजे पर म्यूजिक बंद करने के लिए चिल्लाते हैं, इस दौरान वह भरी हुई आंखों से अपने भाई की तरफ भी देखते हैं. तभी शातिर दिखने वाले बाउंसरों का एक गिरोह खतरनाक तरीके से उनकी ओर बढ़ता है. इमोशन से भरी आवाज में बॉम्ब कहते हैं कि अगर वे उसे रोकने की कोशिश करेंगे तो वह उनके पैर तोड़ देगा और जब उन्होंने यह कहा तो दर्शकों से भरा थिएटर रोमांच से भर उठा था. दिलचस्प बात यह है कि थिएटर में कोई भी हिंदी नहीं बोल सकता था क्योंकि विजयवाड़ा एक तेलुगु भाषी शहर है.


तो फिर सवाल ये है कि ऑडियंस किस चीज से कनेक्ट हुई थी? यकीकन ये केवल गुस्सा, धोखा लाचारी की भावनाएं थीं और सबसे बढ़कर वह जो ये सब कम्यूनिकेट करने में कामयाब रहा. जो ऐसा लग रहा था कि अगर उसे उकसाया गया तो वह एक बम की तरह फट जाएगा.


दूसरे सुपरस्टार्स के लिए बनें इंस्पीरेशन


रामगोपाल वर्मा आगे लिखते हैं, रजनीकांत, एनटी रामाराव और चिरंजीवी सहित साउथ के सभी सुपरस्टार उनकी फिल्मों के रीमेक से बने हैं, इसके अलावा, अमिताभ बच्चन नाम के बम के प्रभाव की वजह से ही मेरे सहित ज्यादातर डायरेक्टर और एक्टर फिल्म इंडस्ट्री में आ गए थे.


करण जौहर की अमिताभ बच्चन अभिनीत पसंदीदा फिल्में कभी-कभी और सिलसिला हैं, जिन्हें मैं अपने पसंदीदा दीवार और जंजीर की तुलना में नापसंद करता हूं, जो शायद करण को उतना पसंद नहीं हैं. मैं उन्हें द लास्ट लियर और ब्लैक जैसी फिल्मों में देखना पसंद नहीं करता, जबकि संजय लीला भंसाली और रितुपर्णो घोष शायद उनके साथ निशब्द जैसी फिल्में नहीं बनाना चाहते हैं. तो वह अलग-अलग डायरेक्टर्स के साथ इस तरह की डिफरेंट टाइप के रोल में समान रूप से प्रभावी होने कैसे मैनेज कर सकते हैं. ऐसा इसलिए है क्योंकि बी बॉम्ब एक रेयर टाइप के सब्सटेंस है, जो खुद को किसी भी रूप में ढाल सकते हैं. जिससे कोई भी विस्फोट कर सकता है. वह किसी भी फिल्म मेकर के मुताबिक भावनाओं को पर्दे पर उतार सकते हैं.


80 साल की उम्र में और ज्यादा कर रहे हैं बेहतर
आखिर में रामगोपाल वर्मा लिखते हैं बी बॉम्ब, मुझे किसी को भी बूढ़ा होते हुए देखने से नफरत है, लेकिन आपके मामले में, आप बस बेहतर और बेहतर होते जा रहे हैं और अब आप 80 साल की उम्र में 30 साल के मुकाबले ज्याजा बेहतर दिख रहे हैं. जन्मदिन मुबारक हो सरकार!


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